प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 22 मार्च 2017 को राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) एक्ट, 1981 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
मुख्य बातें:
• राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) एक्ट, 1981 में संशोधनों में वैसे प्रावधान शामिल हैं जो केंद्र सरकार को नाबार्ड के 5000 करोड़ रु. की अधिकृत पूंजी को बढ़ाकर 30000 करोड़ रु. करने में सक्षम बनाएंगे.
• इसमें आरबीआई से परामर्श कर अधिकृत पूंजी को 30000 करोड़ रु. से अधिक बढ़ाने का भी प्रस्ताव है, जैसा समय– समय पर अनिवार्य समझा जाए.
• इसमें आरबीआई के नाबार्ड में 0.4 फीसदी हिस्सेदारी को केंद्र सरकार को देने का भी प्रस्ताव है. आरबीआई की हिस्सेदारी 20 करोड़ रु. की है.
• प्रस्तावित संशोधनों में शामिल है– लंबे शीर्षक और कुछ विभागों में बदलाव ताकि आकार वाले उद्यमों और हैंडलूम को नाबार्ड के जनादेश में शामिल किया जा सके.
टिप्पणी:
नाबार्ड की अधिकृत पूंजी में प्रस्तावित बढ़ोतरी संगठन को उसकी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद करेगी खासकर दीर्घकालिक सिंचाई कोष और सहकारी बैंकों को ऋण देने पर मंत्रिंडल द्वारा किए गए हालिया फैसले के संदर्भ में.
यह नाबार्ड को अपने कारोबार को बढ़ाने में सक्षम बनाएगा और एकीकृत ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए अपनी गतिविधियों को बढ़ाने एवं रोजगार के अधिक अवसर पैदा कर ग्रामीण इलाकों की समृद्धि सुनिश्चित करने में सक्षम बनाएगा.
आरबीआई द्वारा नाबार्ड में अपनी पूरी हिस्सेदारी को केंद्र सरकार को देने से नाबार्ड में बैंकिंग नियामक और शेयरहोल्डर के तौर पर आरबीआई की भूमिका के संघर्ष को दूर कर देगा.
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