केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में भारतीय रेलवे के संगठनात्मक पुनर्गठन को मंजूरी प्रदान की. यह माना जा रहा है कि यह सुधार भारतीय रेलवे की स्थिति को और बेहतर करने में मददगार साबित होगा. इसमें रेलवे के समूह ‘ए’ की मौजूदा आठ सेवाओं का ‘भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस)’ में एकीकरण सबसे महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन कार्यात्मयक तर्ज पर होगा, जिसकी अध्यक्षता सीआरबी करेंगे. इसमें 4 सदस्यों के अलावा कुछ स्वतंत्र सदस्य भी होंगे. मौजूदा सेवा ‘भारतीय रेलवे चिकित्सा सेवा (आईआरएमएस)’ का नाम बदलकर भारतीय रेलवे स्वास्थ्य सेवा (आईआरएचएस) रखा जाएगा.
मुख्य बिंदु
• भारतीय रेलवे द्वारा अगले 12 वर्षों में 50 लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश द्वारा रेलवे का आधुनिकीकरण किया जायेगा. साथ ही, यात्रियों को उच्च मानकों वाली सुरक्षा, गति एवं सेवाएं मुहैया कराई जायेंगी.
• रेलवे के अनुसार, विभिन्न चुनौतियों से निपटने और मौजूदा कठिनाइयों को दूर करने के लिए इस कदम की आवश्यकता काफी समय से थी.
• रेलवे में सुधार के लिए बनाई गई विभिन्न समितियों द्वारा सेवाओं के एकीकरण की सिफारिश की गई है. इन समितियों में प्रकाश टंडन समिति (1994), राकेश मोहन समिति (2001), सैम पित्रोदा समिति (2012) और बिबेक देबरॉय समिति (2015) शामिल हैं.
• रेलवे बोर्ड में अब एक चेयरमैन होगा जो ‘मुख्य कार्यकारी अधिकारी’ के रूप में कार्य करेगा. इसके अतिरिक्त 4 सदस्य होंगे जिन्हें अलग-अलग जवाबदेही दी जाएगी.
• यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि अधिकारियों को पुनर्गठित बोर्ड में शामिल किया जाए अथवा उनकी सेवानिवृत्ति तक समान वेतन एवं रैंक में समायोजित किया जाए.
लाभ
कैबिनेट का मानना है कि सेवाओं के एकीकरण से मौजूदा विभागवाद समाप्त हो जायेगा तथा रेलवे के सुव्यवस्थित कामकाज को बढ़ावा मिलेगा. इसके अतिरिक्त निर्णय लेने में तेजी, संगठन के लिए एक सुसंगत विजन सृजित करना तथा तर्कसंगत निर्णय लेने को प्रोत्साहन दिया जाना भी इसके लाभ में शामिल हैं.
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