उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने गांवों में उत्तराधिकार को लेकर उपजे भूमि विवादों को खत्म करने और तहसील और जिला स्तर पर भारी भरकम मामले बनाने वाले संपत्ति के मुकदमों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य में दो महीने तक चलने वाले विशेष 'Varasat' (स्वाभविक उत्तराधिकार) अभियान शुरू किया है.
इस मुहिम से जमीन और संपत्ति को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद खत्म होंगे और विवादित संपत्तियों को निशाना बनाने वाले भूमाफिया द्वारा ग्रामीणों के शोषण पर रोक लगाई जाएगी. यह राज्य में अपनी तरह का पहला अभियान है. इस अभियान के दौरान यूपी के लगभग 1,08000 राजस्व गांवों में कई सालों से लंबित पड़े वरासत के मामलों का निस्तारण किया जाएगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि इस 'Varasat' अभियान के तहत गांवों में उत्तराधिकार को लेकर होने वाले जमीनों के विवाद को जल्दी खत्म किया जाएगा. इस अभियान के दौरान किए गए विवादों के निस्तारण के बाद शासन के वरिष्ठ अधिकारी इसका सत्यापन भी करेंगे.
यह अभियान क्यों शुरू किया गया?
राज्य के हर जिलों में होने वाले तहसील दिवस पर भूमि विवाद से जुड़े मामले सबसे ज्यादा आते हैं. पुलिस के आंकड़ों में भी भूमि विवाद से संबधित मामले बहुत ज्यादा दर्ज होते हैं. 15 दिसंबर से शुरू हुए 'Varasat' अभियान से जहां तहसील कर्मियों की मनमानी पर रोक लगेगी, वहीं भूमि विवादों पर भी काफी हद तक रोक लग सकेगी.
इस मुहिम से जमीन और संपत्ति को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद खत्म होंगे और विवादित संपत्तियों को निशाना बनाने वाले भूमाफिया द्वारा ग्रामीणों के शोषण पर रोक लगाई जाएगी. यह राज्य में अपनी तरह का पहला अभियान है.
ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरह की सुविधाएं
इस अभियान के तहत लोगों को 'Varasat' दर्ज कराने के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरह की सुविधाएं दी गई हैं. इनकी जमीन गांवों में है लेकिन वह कहीं और रह रहे हैं उनके लिए हर तहसील स्तर पर एक काउंटर भी खोला गया है.
भूमि विवादों को खत्म करने में मदद मिलेगी
ग्रामीणों का यह भी मानना है कि इस अभियान से न केवल भूमि विवादों को खत्म करने में मदद मिलेगी, बल्कि इन मामलों में आम तौर पर रुचि नहीं लेने वाले लेखपाल (राजस्व अधिकारी) के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार पर भी अंकुश लगेगा. यह भी परिवारों और रिश्तेदारों के बीच विवादों का मुख्य कारण है और ग्रामीणों को मुकदमों का सामना करना पड़ता है. मुकदमें कई पीढ़ियों तक चलते रहते हैं.
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