साइबर क्राइम इस बढ़ती डिजिटल दुनिया में अब एक आम बात होती जा रही है. अब इस तरह के एक नए साइबर क्राइम से पर्दा उठ गया है जिसको डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) का नाम दिया गया है. डिजिटल अरेस्ट की मदद से इस समय कई लोगों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है.
इस साइबर क्राइम में मनगढ़ंत कानूनी उल्लंघनों के बेबुनियाद आरोपों के माध्यम से लोगों के साथ ठगी की जा रही है और इस तरह के मामलों आयें दिन देखें जा रहे है. चलिये इसके बारें जानते है.
हाल के एक मामले में, फ़रीदाबाद की एक 23 वर्षीय महिला इस घोटाले का शिकार हो गई, जहां फर्जी सीमा शुल्क अधिकारी बनकर साइबर अपराधियों ने महिला से 11 लाख रुपये की ठगी की.
8 घंटे तक करके रखा 'डिजिटल अरेस्ट':
साइबर अपराधियों ने घटना के समय महिला को गिरफ्तारी का डर दिखाकर डराया और उसे लगभग 8 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा. ठगों ने महिला को विडियो कॉल कर अपने बैकग्राउंड में पुलिस स्टेशन का फेक बैकग्राउंड दिखा कर उसके साथ ठगी की.
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
साइबर अपराधियों ने इस समय ऑनलाइन ठगी का नया तरीका खोज लिया है जिसे डिजिटल अरेस्ट का नाम दिया गया है. इसके तहत लोगों को ऑनलाइन ब्लैकमेल किया जाता है. डिजिटल अरेस्ट स्कैम में लोगों को कॉल और वीडियो कॉलिंग के जरिये लोगों को सीधे ब्लैकमेल किया जाता है जिसे डिजिटल अरेस्ट का नाम दिया गया है. साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट के दौरान नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और उनसे ठगी करते है.
ऐसे मामलों की जाँच में लगी है पुलिस:
डिजिटल अरेस्ट से जुड़े कई मामले अब तक सामने आ चुके है लेकिन इसमें अभी तक किसी तरह की कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. ऐसे मामलों के संज्ञान में आने के बाद साइबर क्राइम टीम जांच में लग गयी है. वहीं इस तरह के मामलों में पुलिस का कहना है कि जल्द ही साइबर ठगों की गिरफ्तारी की जाएगी.
कैसे बचे इस तरह के अपराधों से:
कॉल वेरीफाई करें: यदि आपको ऐसी कोई कॉल आती है तो पहले आधिकारिक क्रेडेंशियल और संपर्क जानकारी मांगकर उनकी पहचान कॉल करने वाले को सही तरीके से वेरीफाई करें.
पर्सनल जानकारी कभी न दें: ऐसे मामलों में कभी भी अपनी गोपनीय जानकारी न दे विशेष रूप से अपने बैंकिंग डिटेल्स. वैसे भी बैंक इस तरह के मामलों में लोगों से जानकरी न देने को कहता है.
हमेशा डॉक्यूमेंट की मांग करे: कानूनी आरोपों के बारे में जानकारी को स्वतंत्र रूप से सत्यापित करें. ऐसे किसी मामले में ऑफिसियल चैनलों के माध्यम से कानून प्रवर्तन एजेंसियों या कानूनी अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश करें.
घबराएं नहीं: ऐसे किसी मामलों में शांत रहें और कभी भी घबराएं नहीं क्योकिं वास्तविक कानूनी मामलों को आम तौर पर औपचारिक प्रक्रियाओं के माध्यम से निपटाया जाता है, न कि तत्काल धमकियों के माध्यम से.
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