HAL- GE Aerospace deal: अमेरिकन मल्टीनेशनल कॉरपोरेशन जनरल इलेक्ट्रिक (GE) ने हाल ही में भारतीय वायु सेना के लिए लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए भारत की सरकारी स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ एक अनुबंध किया है.
यह डील पीएम मोदी की अमेरिका की आधिकारिक राजकीय दौरे के दौरान की गयी है. इस डील को एक ऐतिहासिक समझौते के रूप में माना जा रहा है. इस डील के तहत GE-F414 इंजन का निर्माण किया जायेगा जो कई आधुनिक तकनीक से लैस है.
Stronger U.S.-India defense ties.
— US-India Strategic Partnership Forum (@USISPForum) June 22, 2023
Congratulations to @GE_Aerospace and HAL on the deal to produce fighter jet engines for the @IAF_MCC. GE Aerospace’s F414 engines would be co-produced in India to power the Tejas Light Combat Aircraft Mk2https://t.co/JUknzeYhYj
क्या है GE-F414 इंजन?
GE-F414 इंजन लड़ाकू विमानों में उपयोग किया जाने वाला एक आधुनिक और एडवांस वर्जन का इंजन है. यह एफएडीईसी सिस्टम से लैस है जो इंजन की परफॉर्मेंस को डिजिटल तरीके से कंट्रोल करता है. इसमें हाई क्वालिटी के कूलिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है जो इंजन की लाइफ लाइन और क्षमता को बढ़ा देता है.
यह एक हल्का टर्बोफैन इंजन है, इस टेक्नोलॉजी का उपयोग अमेरिका की नेवी कर रही है. जो पिछले 30 सालों से अपनी उम्मीदों पर खरा उतर रहा है.
चीन की बढ़ती आक्रमकता के बीच हुई डील:
दोनों देशों के बीच हुई यह डील कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है. एशिया में चीन की बढ़ती आक्रमकता को देखते हुए यह डील काफी अहम हो जाती है. GE-F414 इंजन टेक्नोलॉजी भारतीय वायु सेना की फाइटर क्षमता को और मजबूत करेगी.
चीन के पास भी नहीं है यह टेक्नोलॉजी:
GE-F414 इंजन टेक्नोलॉजी के भारतीय वायु सेना में शामिल होने के बाद भारत उन शक्तिशाली देशों में शुमार हो जायेगा जिनके पास यह टेक्नोलॉजी है. भारत इस टेक्नोलॉजी के मामले में पड़ोसी देश चीन को भी पीछे छोड़ देगा.
इसकी क्षमता की बात करें तो यह अभी तक 50 लाख से अधिक घंटो की उड़ान भर चुका है. जनरल इलेक्ट्रिक अभी तक इस प्रकार के 1600 से अधिक इंजनों का निर्माण कर चुकी है जिनका इस्तेमाल फाइटर जेट्स में किया जा रहा है.
इन जेट्स में होता है इस इंजन का उपयोग:
एडवांस GE-F414 इंजनों का उपयोग सुपर हॉर्नेट, ग्रोलर और ग्रिपेन जैसे फाइटर जेट्स में होता है. सुपर हॉर्नेट का विकास बोइंग द्वारा किया गया है. बोइंग ने ही ग्रोलर जेट्स को भी तैयार किया है. जिसे 2009 में कई वेरिएंट के साथ अमेरिकी नौसेना में शामिल किया गया था.
क्यों खास है भारत के लिए यह डील?
भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट में GE-F414 इंजनों के उपयोग से इनकी क्षमता में इजाफा होगा साथ ही इनकी परफोर्मेंस भी बेहतर होगी. GE-F414 इंजनों को तेजस एमके2 एयरक्राफ्ट में इंस्टाल किया जायेगा जिससे तेजस की क्षमता में काफी इजाफा होगा.
अभी तक तेजस में बेसिक डिजाइन GE-404-IN20 इंजन का उपयोग किया जा रहा है. इस डील के साथ भारत उन देशों की कैटेगरी में शामिल हो जायेगा जिनके पास खुद फाइटर जेट्स इंजन तैयार करने की क्षमता है.
इन देशों के पास है फाइटर जेट्स इंजन तैयार करने की क्षमता:
फाइटर जेट्स इंजन तैयार करने की क्षमता दुनिया में कम ही देशों के पास है, अब भारत भी उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जायेगा जिनके पास यह टेक्नोलॉजी होगी. अभी तक अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस के पास ही यह टेक्नोलॉजी है.
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