क्या है रेजांग ला में वॉर मेमोरियल, जिसका उद्घाटन कर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शहीदों को देंगे श्रद्धांजलि?

Nov 18, 2021, 13:46 IST

यह युद्ध स्मारक 13 कुमाऊं रेजीमेंट के उन बहादुर भारतीय सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने रेजांग ला की लड़ाई में चीन को पटखनी देते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी.  

What is the War Memorial in Rezang La
What is the War Memorial in Rezang La

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 18 नवंबर 2021 को लेह-लद्दाख (Leh Ladakh) के दौरे पर पहुंचे हैं. वे यहां रेजांग ला (Rezang La) में नए सिरे से बनाए गए वॉर मेमोरियल (War Memorial) का उद्घाटन करेंगे. साथ ही 1962 की जंग में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देंगे. आपको बता दे कि इस जगह भारतीय सैनिकों ने 1962 में चीनी सेना (China) का वीरता से मुकाबला किया था.

यह युद्ध स्मारक 13 कुमाऊं रेजीमेंट के उन बहादुर भारतीय सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने रेजांग ला की लड़ाई में चीन को पटखनी देते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी. वॉर मेमोरियल का उद्घाटन रेजांग ला में हुई जंग की 59वीं वर्षगांठ पर किया जा रहा है. चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ जनरल बिपिन रावत भी अपनी लद्दाख यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री के साथ रहेंगे.

रेजांग ला में वॉर मेमोरियल: एक नजर में

सेना के अफसरों के अनुसार, पूर्वी लद्दाख सेक्‍टर में स्थित रेजांग ला वॉर मेमोरियल पहले छोटा था. अब इसे काफी बड़ा बनाया गया है. इसे लद्दाख के पर्यटन मैप पर भी लाया जाएगा. उनका कहना है कि अब आम लोग और पर्यटक भी इस वॉर मेमोरियल व सीमा क्षेत्रों में जा सकेंगे.

भारतीय सैनिकों का पराक्रम

भारत-चीन (India-China War) 18 नवंबर 1962 को युद्ध के दौरान 18,000 फीट की ऊंचाई पर रेजांगला पोस्ट पर कुमाऊं रेजिमेंट के 120 जवानों ने अदभुत वीरता का परिचय दिया था.  भारत के वीर जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान करते हुए चीनी सैनिकों को रेंजागला पोस्ट पर कब्जा नहीं करने दिया. इस युद्ध में कुमाऊं रेजिमेंट के जवानों ने कई चीनी सैनिकों को मार गिराया.

यह लड़ाई 59 साल पहले बर्फीली पहाड़ियों के बीच लड़ी गई थी. खास बात ये है कि जो जवान उन बर्फीली पहाड़ियों में चीनी सैनिकों से लोहा ले रहे थे, उन्हें बर्फ में लड़ने का अनुभव नहीं था. इस लड़ाई में भारतीय सेना के भी कई जवान शहीद हुए, लेकिन कम संसाधन के बाद भी उन्होंने वीरता का परिचय दिया, जिसे आज भी भारत याद करता है.

इन सैनिकों की अगुआई मेजर शैतान सिंह ने की थी. उन्हें बहादुरी के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया था. इन सैनिकों की याद में हरियाणा के रेवाड़ी में भी एक युद्ध स्‍मारक है. शहीद हुए सैनिकों में से अधिकांश यहीं के थे. इस युद्ध में मेजर शैतान सिंह और 98 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. हालांकि, शहादत देने से पहले भारतीय जवानों चीन के 400 सैनिकों को मार गिराया था.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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