28 नवंबर 2014 को अरबन मोबिलिटी इंडिया कॉन्फ्रेंस (भारतीय शहरी गतिशीलता सम्मेलन) संपन्न हो गया. सम्मेलन का आयोजन इंस्टीट्यूट ऑफ अरबन अफेयर्स और केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने किया था. इसमें भारत की शहरी गतिशीलता को संबोधित करने के लिए कुछ सिफारिशें की गईं हैं.
सम्मेलन का समापन इस निष्कर्ष के साथ हुआ कि कुशल सार्वजनिक परिवहन ही एकमात्र समाधान है और इस समस्या से निपटने के लिए उभरते हुए शहरों को सक्षम करने के लिए शीघ्र हस्तक्षेप करने का आग्रह किया ताकि मेगा और प्रमुख शहरों को बढ़ने वाले बोझ से बचाया जा सके.
सम्मेलन की मुख्य बातें–
• सम्मेलन में एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में व्यापक गतिशीलता योजनाओं जिसमें प्रारंभिक चरण में ही सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों पर फोकस करने की बात कही गई ताकि वर्तमान में बड़े शहर जिस समस्या से जूझ रहे हैं उनसे उन्हें बचाया जा सके, के निर्माण की सिफारिश की गई.
• इसने शहरी विकास को व्यापक भूमि– प्रयोग एवं गतिशील योजनाओं के जरिए परिवहन योजना पर केंद्रित होने की जरूरत की भी सिफारिश की.
• इसने जन परिवहन प्रणाली की अंतिम मील कनेक्टिविटी (लास्ट माइल कनेक्टिविटी) के साथ मुख्य फोकस की सिफारिश की जिसे एक स्मार्ट सिटी के लिए समग्र योजना बनाने की जरूरत है.
• सड़कों, फ्लाइओवर और एलिवेटेड सड़कों पर आधारित उच्च गुणवत्ता वाले सार्वजनिक परिवहन प्रणाली बनाना अल्पकालिक राहत तो दे सकता है लेकिन बढ़ते निजी मोटर परिवहन में यह जल्द ही भर जाएगा.
• इसने सरकार को स्मार्ट सिटी प्रोग्राम के पूर्व– शर्त के तौर पर एक शहर के लिए स्मार्ट कार्ड आधारित प्रौद्योगियों जो बाद में दूसरी प्रौद्योगिकियों से बदली जा सकें, का प्रयोग कर एक डेटाबेस विकसित करने हेतु पायलट प्रोजेक्ट शुरु करने की सिफारिश की.
• महज उच्च लागत वाली मेट्रो या बस रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (बीआरटी) बनाना काफी नहीं है और सम्मेलन में बेहत परिणामों के लिए अंतिम बिन्दु तक संपर्क सुनिश्चित करने वाली एकीकृत बहु– मोडल प्रणालियों की सिफारिश की गई.
• इसमें सतत परिवहन के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए मीडिया की भूमिका को ध्यान में रखते हुए नई पहल की अवधारणा के स्तर पर और बाद में व्यापक प्रचार– प्रसार के लिए मीडिया को सहयोजित किए जाने की सिफारिश की गई.

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