अरविंद मायाराम समिति ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय में 18 जून 2013 को प्रस्तुत की.
समिति ने रक्षा क्षेत्र में सरकार की मंजूरी से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने की सिफारिश की है. समिति ने सरकार की मंजूरी से मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 51 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत तक किये जाने का सुझाव दिया है. नागर विमानन क्षेत्र में समिति ने गैर अनुसूचित विमान यातायात सेवाओं में स्वतः मंजूरी के माध्यम से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वर्तमान 49 प्रतिशत से बढ़ाकर सौ प्रतिशत किए जाने की सिफारिश की है.
वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा गठित इस समिति ने एकल-ब्रांड खुदरा, बिजली तथा जिंस बाजार, सार्वजनिक बैंकों, प्रिंट मीडिया, पीएसयू पेट्रोलियम रिफाइनरी, शेयर बाजारों, बीमा समेत विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का सुझाव दिया है.
समिति ने कूरियर सेवा के मामले में 100 प्रतिशत तक तथा हवाई परिवहन सेवा जो नियमित नहीं हैं, क्षेत्र में एफडीआई सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का सुझाव दिया.
अरविंद मायाराम के अनुसार सुझावों का मकसद और विदेशी निवेश आकर्षित करना है. निश्चित रुप से हमें और एफडीआई की जरुरत है. उन्होंने कहा कि आगे की कार्यवाही औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) करेगा.
अरविंद मायाराम समिति
अरविंद मायाराम समिति का गठन वित्त मंत्रालय द्वारा वर्ष 2013 में किया गया था. आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम इस आठ सदस्यीय समिति के अध्यक्ष थे. समिति के अन्य सदस्यों में डीआईपीपी के सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग में मुख्य आर्थिक सलाहकार, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एचआर खान और सेबी सदस्य एस. रमन शामिल हैं. इस समिति का कार्य एफडीआई और एफआईआई को और बेहतर ढंग से परिभाषित करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य सिद्धांतों को लागू करते हुए ब्यौरा तैयार करना था.
रिटेल में एफडीआई से लाभ
• एफडीआई से अगले तीन साल में रिटेल सेक्टर में एक करोड़ नई नौकरियां मिलने की संभावना है.
• इससे किसानों को बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी और अपने सामान की सही कीमत भी मिलेगी.
• सरकार मानती है कि रिटेल में एफडीआई से लोगों को कम दामों पर बेहतर सामान मिलेगा.
• शर्त के अनुसार विदेशी कंपनियां कम से कम 30 प्रतिशत सामान भारतीय बाजार से ही लेगी. इससे लोगों की आय बढ़ेगी और औद्योगिक विकास दर में भी सुधार होगा.
• बड़े शहरों में ही खुलेगी संगठित क्षेत्र की दुकानें. छोटे दुकानदारों को सामान सस्ता मिलेगा.
रिटेल में एफडीआई से हानि
• विरोधियों का मानना है कि विदेशी कंपनियां सस्ता सामान बेचकर लुभाएंगी. परिणामतः देशी दुकानदार इनका मुकाबला नहीं कर पाएंगे.
• रिटेल में विदेशी निवेश से छोटी दुकानें खत्म हो जाएगी और लोगों के समक्ष रोजगार का संकट पैदा हो जाएगा.
• छोटे दुकानदारों का धंधा ठप हो जाएगा और किसानों को भी उनकी उपज का वाजिब मूल्य नहीं मिलेगा.
• विदेशी कंपनियां 70 प्रतिशत सामान अपने बाजार से ही खरीदेगी और ऐसे में घरेलू बाजार से नौकरी छिनेगी.
• बड़ी विदेशी कंपनियां बाजार का विस्तार नहीं करेंगी बल्कि मौजूदा कंपनियों का अधिग्रहण कर बाजार पर ही अधिकार कर लेंगीं.
• भारत में खुदरा व्यवसाय 29.50 लाख करोड़ रुपयों का है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 33 प्रतिशत है. यदि यह हिस्सा विदेशी पूंजीहकों के हाथ चला गया तो जितना पैसा मुनाफे के रुप में विदेश चला जाएगा, उससे देश में आयात-निर्यात का संतुलन बिगड़ सकता है.
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