कैलिफोर्निया आधारित भूगर्भविज्ञानी एवं हिमालय की प्रागैतिहासिक चट्टानों का शोध करने वाले निगेल हगेस के अनुसार आधुनिक तकनीक से देखरेख और भंडारण की सुविधाओं के अभाव में भारत में करोड़ों वर्ष पुराने जीवाश्मों पर नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है. भारत की अधिकांश भूगर्भीय और जीवाश्मीय धरोहरें अकादमिक संस्थानों में रखी गई हैं. भारत में इन जीवाश्मों को भारतीय विश्वविद्यालयों के संकाय सदस्यों ने एकत्र किया है.
निगेल हगेस के अनुसार चूंकि ये संस्थान संग्रहालय नहीं है इसलिए वे जीवाश्मों का रखरखाव नहीं कर सकते.
विदित हो कि भारत जीवाश्म वाली चट्टानों के संग्रह के मामले में समृद्ध है जो करोड़ों साल पुरानी हैं और ये जीवन की उत्पत्ति और विकास को समझने के लिए बहुत अहम हैं.
भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण संग्रहालय कोलकाता भारत में एकमात्र ऐसा संस्थान है जहां देश के विभिन्न हिस्सों के जीवाश्म, खनिज और चट्टानों के नमूनों के संग्रह रखे हुए हैं.
जीवाश्म
पृथ्वी पर किसी समय जीवित रहने वाले अति प्राचीन सजीवों के परिरक्षित अवशेषों या उनके द्वारा चट्टानों में छोड़ी गई छापों को जो पृथ्वी की सतहों या चट्टानों की परतों में सुरक्षित पाये जाते हैं उन्हें जीवाश्म (जीव + अश्म = पत्थर) कहते हैं. जीवाश्म से कार्बनिक विकास का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है. इनके अध्ययन को जीवाश्म विज्ञान या पैलेन्टोलॉजी कहते हैं.
जीवाश्म को अंग्रेजी में फ़ॉसिल कहते हैं. इस शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द "फ़ॉसिलस" से है, जिसका अर्थ "खोदकर प्राप्त की गई वस्तु" होता है. जीवाश्म मुख्यतः भूपर्पटी के अवसादी शैलों में पाए जाते हैं.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation