इंटरनेशनल प्रोग्राम ऑन स्टेट ऑफ ओशयंस नामक रिपोर्ट 20 जून 2011 को जारी की गई.विश्वभर में समुद्रों के स्थितियों पर जारी इस रिपोर्ट के तहत समुद्रों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं और समुद्री जीवों के विलुप्त होने का खतरा आशंका से अधिक तेजी से बढ़ रहा है. समुद्री वैज्ञानिकों के एक पैनल ने अपनी यह रिपोर्ट 21 जून 2011 को संयुक्त राष्ट्र को सौंपी. रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्लोबल वार्मिग और प्रदूषण बढ़ाने के कई कारक एक साथ मिलकर स्थिति को बहुत ज्यादा खतरनाक बना रहे हैं. इन कारकों में समुद्र से बड़ी मात्रा में मछली पकड़ने के अलावा कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से पानी की अम्लीयता बढ़ना, समुद्री जीवों के प्राकृतिक निवास का नष्ट होना और समुद्री बर्फ का पिघलना है. जल स्रोतों के पास उद्योगों की बढ़ती हुई संख्या के कारण पानी में खतरनाक रसायन घुल रहे हैं.
विदित हो कि यह रिपोर्ट इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर में वैश्विक समुद्री कार्यक्रमों के निदेशक कार्ल लंडिन के दल ने महासागर की स्थिति को लेकर यह रिपोर्ट तैयार की. इसे 20 जून 2011 को संयुक्त राष्ट्र को सौंपी गई. रिपोर्ट ने हिंद महासागर में मौजूद एक हजार साल पुराने प्रवाल (यानी मूंगे की चट्टानें) नष्ट होने को अविश्वसनीय बताया.
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