केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 23 दिसंबर 2014 को 1984 के सिख दंगों के लिए गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) की जांच व सिख दंगों के मामले की दोबारा जांच हेतु माथुर समिति गठित की. सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति न्यायाधीश जीपी माथुर (सेवानिवृत्त) समिति के प्रमुख होंगे. समिति अपनी जांच रिपोर्ट अप्रैल 2015 तक सौंपेगी.
यह समिति दंगों के दौरान जान गंवाने वाले व्यक्तियों को दिए जाने वाले पांच लाख रुपये के मुआवजे के भुगतान के मामले को भी देखेगी. यह मुआवजा केंद्र सरकार द्वारा 10 दिसंबर 2014 को स्वीकृत किया गया. यह समिति सिख दंगों से जुड़ीं विभिन्न शिकायतों पर भी गौर करेगी.
गृह मंत्रालय ने सिख विरोधी दंगों के मामले में अलग-अलग संगठनों और संस्थाओं द्वारा भारी संख्या में शिकायतें प्राप्त होने के बाद समिति गठित करने का फैसला किया. इससे पहले नानावटी आयोग ने पुलिस द्वारा बंद किए गए 241 मामलों में सिर्फ चार मामलों को ही खोले जाने की सिफारिश की थी, लेकिन भाजपा शेष 237 मामलों की जांच कराना चाहती थी. यह कदम कुल 3325 पीडि़तों में से देश की राजधानी दिल्ली से संबंध रखने वाले 2733 लोगों से जोड़कर भी देखा जाता है.
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को सिख सुरक्षा कर्मी द्वारा हत्या किए जाने के बाद वर्ष 1984 में सिख दंगे हुए थे.
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