7 नवंबर 2015 को केंद्र सरकार ने रक्षा कर्मियों से संबंधित वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के कार्यान्वयन की अधिसूचना जारी कर दी. यह अधिसूचना 5 सितंबर 2015 को की गई घोषणा के तौर तरीकों के बारे में है.
ओआरओपी योजना की विशेषताएं
• एक हीं रैंक और सेवा की समान अवधि वाले सभी पेंशनरों की पेंशन 2013 के न्यूनतम और अधिकतम पेंशन के औसत के रुप में फिर से तय की जाएगी.
• सभी सेना के पूर्व– कर्मियों के लिए यह 1 जुलाई 2014 से प्रभावी होगा.
• जो औसत से अधिक पेंशन पा रहे हैं उनमें बदलाव नहीं किया जाएगा.
• भविष्य में प्रत्येक पांच वर्षों में एक बार पेंशन का निर्धारण किया जाएगा.
एरियर (शेष राशि) चार छमाही किश्तों में दिया जाएगा
• युद्ध में शहीदों की विधवाओं समेत सभी विधवाओं को एक ही किश्त में एरियर दिया जाएगा.
• इस योजना में स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों को शामिल नहीं किया जाएगा.
• वर्तमान में अनुमानित लागत 8000 से 10000 करोड़ रुपये होगा और भविष्य में इसमे इजाफा होगा.
ओआरओपी क्या है?
सरल भाषा में ओआरओपी का मतलब है सेना के एक ही रैंक और समान सेवा अवधि वाले कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख की परवाह किए बगैर एक समान पेंशन का भुगतान किया जाए.
फिलहाल पूर्व– कर्मचारियों के पेंशन में फर्क होता है क्योंकि इसकी गणना उनकी सेवानिवृत्ति के वक्त उनके वेतन के आधार पर किया जाता है.
भुगतान में फर्क इसलिए होता है क्योंकि वेतन आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर कर्मियों के वेतन अक्सर संशोधित किए जाते हैं.
उदाहरण के लिए जो लोग 1990 में सेवानिवृत्त हुए हैं वे साल 2006 में सेवानिवृत्त हुए कर्मियों की तुलना में कम पेंशन पाते हैं हालांकि दोनों ही प्रकार के कर्मियों की रैंक और सेवा की अवधि समान है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation