भारत सरकार ने सार्वजनिक राशन की दुकानों में बिकने वाले मिट्टी तेल की आपूर्ति पर तेल विपणन कंपनियों को प्रति लीटर 12 रुपये सब्सिडी देना सुनिश्चित किया. इसकी जानकारी 13 जुलाई 2015 को दी गई.
वर्तमान में केरोसिन की वास्तविक लागत 33.47 रुपये प्रति लीटर है, जबकि राशन दुकानों से आम जनता को यह 14.96 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचा जाता है. प्रति लीटर 18.51 रुपए का यह अंतर अंडर रिकवरी या राजस्व हानि के रूप में करार दिया गया.
राशन की दुकानों के बिक्री मूल्य और उत्पादन लागत के बीच के अंतर की इस भरपाई के बाद भी यदि नुकसान होता है तो उसे ओएनजीसी जैसी उत्खनन कंपनियां पूरा करेंगी. यह तेल कंपनियां राशन की दुकानों के जरिये 18 रुपये प्रति लीटर के नुकसान पर केरोसिन बेचती हैं. इसमें से 12 रुपये की भरपाई सरकार करेगी जबकि शेष ओएनजीसी, ऑयल इंडिया तथा उत्खनन एवं उत्पादन क्षेत्र की कंपनियां वहन करेंगी.
'मौजूदा तेल मूल्य के आधार पर पूरे वित्त वर्ष के लिए उत्खनन कंपनियों की हिस्सेदारी 5000-6000 करोड़ रुपये हो सकती है.'
जहां तक एलपीजी का मामला है इसकी लागत और सरकार नियंत्रित बिक्री मूल्य के बीच के अंतर की पूरी भरपाई सरकार करेगी.
वित्त वर्ष 2015-16 के बजट में एलपीजी सब्सिडी के लिए 22000 करोड़ रुपये और केरोसिन के लिए 8000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
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