केंद्र सरकार ने 6 जनवरी 2016 को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित सात राज्यों हेतु 1000 करोड़ रुपये आवंटित किया. इसके तहत केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सात राज्यों में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्यूप ई) से बुरी तरह प्रभावित 35 जिलों हेतु 1000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता (एसीए) के राज्यवार आवंटन को मंजूरी दी.
उपरोक्त केंद्रीय सहायता पाने वाले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 35 जिलों में से 16 प्रभावित जिले झारखंड में, 8 छत्तीसगढ़ में, 6 बिहार में, 2 ओडिशा में और 1-1 महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में हैं.
गृह मंत्रालय ने प्रति जिला 28.57 करोड़ रुपये की दर से धन का आवंटन किया. इस हिसाब से झारखंड को 457.12 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ को 228.56 करोड़ रुपये, बिहार को 171.42 करोड़ रुपये और ओडिशा को 57.14 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्यों में से प्रत्येक को 28.57 करोड़ रुपये आवंटित किए गए.
वामपंथी उग्रवाद से संबंधित मुख्य तथ्य:
वामपंथी उग्रवाद, उग्रवादियों का वह समूह है जो भारतीय संविधान एवं संविधानिक संस्थाओं में विश्वास न रखते हुए एक समानांतर शासन का संचालन करने की कोशिश करते हैं. ये समूह वामपंथ की अतिवादी सिधांत से प्रेरित होते हैं.
वामपंथी उग्रवादियों का प्रमुख उद्देश्य मौजूदा शासन व्यवस्था के ढांचों के बुनियादी स्तर पर रिक्तता पैदा करना होता है. इस उद्देश्य को वे निम्न स्तर के सरकारी अधिकारियों, स्थातनीय पुलिस थानों के पुलिस कार्मिकों, मुख्य धारा में शमिल राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं तथा पंचायती राज प्रणाली के जनप्रतिनिधियों की हत्या करके हासिल करते हैं. राजनीति तथा शासन में रिक्तता पैदा करने के बाद वे आंदोलन में शामिल होने के लिए स्थानीय जनता पर दवाब डालते हैं. इनके द्वारा मौजूदा शासन ढांचे की वास्तविक अपर्याप्तताओं के विरुद्ध जोरदार प्रचार भी किया जाता है. इनमें से अधिकांश संगठनों का नेतृत्व ऐसे शिक्षित लोगों द्वारा किया जाता है जिनका माओवादियों के विद्रोह के सिद्धान्त में दृढ़ विश्वास है.
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