केंद्रीय राज्य परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 23 फरवरी 2014 को राज्यों की 7200 किलोमीटर लंबी सड़कों को राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का निर्णय लिया. इसके साथ ही यूपीए सरकार में करीब 17000 किलोमीटर के राजकीय राजमार्गों को राष्ट्रीय रागमार्ग बना दिया जाएगा.
करीब 10000 किलोमीटर लंबे राज्य के राजमार्गों को पिछले दस वर्षों में राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया गया है. ये सड़कें लेह और लद्दाख जैसे क्षेत्रों के अलावा आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में हैं. फिलहाल देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 80000 किलोमीटर है.
केंद्रीय मंत्रालय को विभिन्न राज्य सरकारों से 64000 किलोमीटर से भी ज्यादा के राज्य सड़कों को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने का प्रस्ताव मिला था जिसमें से मंत्रालय ने 10000 किलोमीटर की सड़कों/ मार्गों को नए राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया है.
राष्ट्रीय राजमार्गों के नेटवर्क का विस्तार एक सतत प्रक्रिया है और नए राजमार्गों की घोषणा कनेक्टिविटी की जरूरतों, प्राथमिकताओं और फंड की मौजूदगी के आधार समय– समय पर किया जाता है.
एक बार किसी इलाके की सड़कों को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित कर दिया जाता है तब उन सड़कों का विकास भारतीय सड़क कांग्रेस द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय राजमार्ग विनिर्देशों के तहत होता है.
योजना आयोग की टिप्पणियों के आधार पर मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों की घोषणा के लिए ग्यारह सूत्री मानदंड तैयार किया है. ये मानदंड हैं–
• देश भर से जुड़ने वाली सड़कें.
• पड़ोसी देशों को जोड़ने वाली सड़कें.
• राष्ट्रीय राजधानी को राज्य की राजधानी से जोड़ने वाली सड़कें और राज्यों की राजधानियों को परस्पर जोड़ने वाली सड़कें.
• प्रमुख बंदरगाहों, गैर– प्रमुख बंदरगाहों, बड़े औद्योगिक केंद्रों या पर्यटन केंद्रों को जोड़ने वाली सड़कें.
• पहाड़ी और अलग– थलग पड़े इलाकों में सामरिक आवश्यकताओं को पूरा करने वाली सड़कें.
• यात्रा की दूरी को कम करने वाली प्रमुख सड़कें जिसने पर्याप्त आर्थिक वृद्धि हासिल होती है.
• पिछड़े और पहाड़ी इलाकों को बड़े इलाकों से जोड़ने वाली सड़कें ( सामरिक महत्व वाली सड़कों के अलावा).
• 100 किलोमीटर की राष्ट्रीय राजमार्ग ग्रिड हासिल की है.
• सड़कों को राजकीय राजमार्गों (एसएच)– तकनीकी और जमीनी आवश्कताओं के साथ, निर्धारित मानक का होना ही चाहिए. यह हालांकि, सुनिश्चित किया जाएगा कि सड़कें आमतौर पर एमडीआर की एसएच मानकों के आधार पर अपग्रेड की जा रही हैं और ग्रिड बनाने के लिए अन्य सड़को को अपग्रेड करने की जरूरत है है. महत्वपूर्ण/ पिछड़े इलाकों को जोड़ने पर भी विचार किया जाएगा.
• मौजूदा राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) राज्य सरकार की संपत्ति होनी चाहिए और इसपर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए.
राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए आवश्यक राइट ऑफ वे ( अधिमानतः 45 मिनट, न्यूनतम 30 मिनट), कब्जा करने के लिए उपलब्ध होना चाहिए, अतिक्रमण मुक्त होना चाहिए और राज्य सरकारों को अधिग्रहण संबंधी औपचारिकताएं छह माह के भीतर पूरी करनी होगी.
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