सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण नियमों में बदलाव को असंवैधानिक करार दिया. आइएएस, आइपीएस जैसी अखिल भारतीय सेवाओं में सामान्य तथा आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नियमों में केंद्र सरकार द्वारा फेरबदल संविधान का उल्लंघन है.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन और न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने 20 जुलाई 2011 को अपने आदेश में बताया कि सामान्य, अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए रोस्टर प्रणाली का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए और निर्धारित कोटा सीमा से अधिक आरक्षण अवैध और असंवैधानिक है.
ज्ञातव्य हो कि आइपीएस अधिकारी और सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार जी श्रीनिवास राव की याचिका पर यह आदेश दिया गया. श्रीनिवास ने गृह राज्य आंध्र प्रदेश के बदले मणिपुर-त्रिपुरा संयुक्त कैडर दिए जाने के केंद्र के 1999 के फैसले को चुनौती दी थी. उन्हें 1998 की सिविल सेवा परीक्षा में 95वां रैंक मिला, लेकिन पिछड़ा वर्ग के एक अन्य उम्मीदवार को आंध्र प्रदेश कैडर दिया गया था.
केंद्र सरकार ने पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार को आंध्र प्रदेश कैडर दिए जाने पर तर्क दिया कि पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को निर्धारित सीमा के अलावा दो अतिरिक्त आरक्षण दिया गया क्योंकि 1998 में उनका कोटा पूरी तरह नहीं भर सका था. सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के तर्क को खारिज करते हुए यह निर्णय दिया.
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