भारत और बांग्लादेश ने चश्मे वाले लंगूर के साथ-साथ असम के करीमगंज जिले से लगी बाड़ वाली सीमा के पास पठारिया हिल्स रिजर्व फॉरेस्ट में पाए जाने वाले अन्य नर-वानरों के संरक्षण के लिए समन्वित प्रयास करने का फैसला किया है.
पठारिया हिल्स रिजर्व फॉरेस्ट में पाए जाने वाले चश्मे वाले लंगूर (स्पेक्टेकल्ड लंगूर), हूलॉक गिबॅन और गोल्डन लंगूर की प्रजाति लुप्त होने के कगार पर है और यह क्षेत्र भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित है.
संरक्षण संबंधी प्रयासों में इन प्राणियों का अस्तित्व बचाए रखने के लिए आसपास के गांवों में जागरूकता अभियान चला कर लोगों से जलाने की लकड़ी के लिए जंगलों को नष्ट न करने का आग्रह किया जाएगा.
इसके साथ ही भारत बांग्लादेश सीमा पर तैनात बीएसएफ कर्मियों से भी इस कार्यक्रम में मदद ली जाएगी.
चश्मे वाले लंगूर के बारे में
• चश्मे वाले ये लंगूर सदाबहार वन, बांस के वन और पठारिया से लगे पहाड़ी इलाकों में पाए जाते हैं.
• इन लंगूरों के चेहरे में आंखों के आसपास और उपरी तथा निचले होंठ के आसपास सफेद घेरे होते हैं.
• बांस की शाखाएं और पत्तियां इनका मुख्य भोजन हैं.
• ये एक दिन में बांस के एक पेड़ की 80 फीसदी पत्तियां और 30 फीसदी फल तक खा जाते हैं.
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