जैव विविधता पर नागोया प्रोटोकॉल को उसके लिए अनिवार्य 50वां जरूरी समर्थन जुलाई 2014 के तीसरे सप्ताह में मिल गया. ये समर्थन 12 अक्टूबर 2014 से अर्थात इस समर्थन की औपचारिकताओं को पूरा करने में लगने वाले 90 दिनों के बाद प्रभावी होंगे. यह प्रोटोकॉल जैव विविधता के संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया था.
नायोगा प्रोटोकॉल का समर्थनः वैश्विक आईकी जैव विविधता लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु महत्वपूर्ण कदम
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्री ने नागोया प्रोटोकॉल के समर्थन की व्याख्या करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय आइकी जैव विविधता हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया. इससे जैव विविधता के क्षेत्र में वैश्विक मंच पर भारत की नेतृत्व क्षमता का भी पता चलता है.
सीओपी अध्यक्ष के रूप में भारत और ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय संधि में प्रवेश
यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि भारत अक्टूबर 2012 में हैदराबाद में जैवविविधता पर आयोजित सम्मेलन का मेजबान था. इसके अलावा, भारत, वर्तमान में, जैव विविधता सम्मेलन के लिए दलों के समूह (सीओपी) का अध्यक्ष भी है. इस अंतरराष्ट्रीय संधि जिसे नागोया प्रोटोकॉल कहते हैं, में सीओपी के अध्यक्ष के तौर पर भारत का प्रवेश बहुत मायने रखता है.
संधि पर हस्ताक्षर करवाने में भारत के प्रयास
मई 2014 तक सिर्फ 44 देश नागोया प्रोटोकॉल का समर्थन कर रहे थे लेकिन भारत ने इस मुद्दे को जून 2014 में नौरोबी में हुए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में उठाया और वार्ता के जरिए इस संधि पर हस्ताक्षर करने का रास्ता उसे मिला.
नागोया प्रोटोकॉल के बारे में
• नागोया प्रोटोकॉल मुख्य रूप से एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है.
• इस प्रोटोकॉल का उद्देश्य अनुवांशिक संसाधनों के प्रयोह से होने वाले लाभ को निष्पक्ष और न्यायोचित तरीके से साझा करना है.
• यह प्रोटोकॉल प्रलोभन का सृजन भी करने के लिए बनाया गया है ताकि अनवांशिक संसाधनों का संरक्षण और सतत इस्तेमाल किया जा सके.
• नागोया प्रोटोकॉल का उद्देश्य विकास के साथ– साथ लोगों के लिए जैव विविधता के योगदान को बढ़ाना भी है.
• इस प्रोटोकॉल को नागोया, जापान में 2010 में, जैव विविधता सम्मेन के लिए दलों के समूह (सीओपी) ने अपनाया था.
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