टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा, द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद कनीमोझी, द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) प्रमुख करूणानिधि की पत्नी दयालु दयालु अम्मल, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद बलवा और विनोद गोयनका के सहित 19 लोगों पर 31 अक्टूबर 2014 को आरोप तय किए.
इस मामले में शामिल 19 आरोपियों में नौ कंपनियां भी शमिल हैं जिनके खिलाफ जांच एजेंसी ने चार्जशीट दायर की थी.
अदालत ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय के आरोप-पत्र में सरसरी तौर पर सभी 19 आरोपियों पर मनी लॉण्डरिंग का मामला बनता है. इन पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा-120 बी और मनी लॉण्डरिंग रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप तय किये गये हैं. दोष साबित हो जाए तो 7 वर्ष तक कैद सुनाई जा सकती है.
मामले की सुनवाई 11 नवंबर 2014 से शुरू होगी.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुताबिक डीबी ग्रुप कंपनी ने करीब दो सौ करोड़ रुपये डीएमके की कंपनी कलैंगनार टीवी में कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजीटेबेल के अतर्गत लगाए थे.
2 जी मामले पर दो केस चल रहे हैं. पर्वतन निर्देशालय 200 करोड़ के हेराफेरी की जांच कर रही है तो सीबीआई स्पेक्ट्रम आबंटन में धांधली की जांच कर रही है.
विदित हो कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीट के अनुसार, स्वान टेलीकाम के लिए 2जी स्पेक्ट्रम हासिल करने के एवज में शाहिद बलवा ने अपनी दूसरी कंपनी डीबी रियलिटी के माध्यम से 200 करोड़ रुपये की रिश्वत करुणानिधि के परिवार की कंपनी कलैंगनार टीवी को भेजी थी. रिश्वत की यह रकम कई कंपनियों के माध्यम से घुमाते हुए ऋण और निवेश के रूप में भेजी गई थी, ताकि किसी को संदेह न हो. लेकिन घोटाले के खुलासे और पूर्व संचार मंत्री ए. राजा की गिरफ्तारी के बाद ब्याज सहित 223 करोड़ रुपये की रकम लौटा दी गई. ईडी पहले ही इस पूरी रकम को जब्त कर चुका है.
पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा को इस मामले के कारण इस्तीफा देना पड़ा था. 2जी मामला यूपीए सरकार के वक्त हुआ था लेकिन सरकार ने घोटाले की बात कभी नहीं मानी और जीरो लॉस की बात कही थी.
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