देश के हर नागरिक को वित्तीय व्यवस्था से जोड़ने पर सुझाव देने के लिए गठित नचिकेत मोर समिति ने 7 जनवरी 2014 को अपनी रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सौंप दी. देश के कोने-कोने में बैंक खोलने व लोगों को वित्तीय उत्पाद पहुंचाने पर यह रिपोर्ट मौजूदा व्यवस्था में व्यापक बदलाव के पक्ष में है. रिपोर्ट की पहली सिफारिश है कि सरकार को एक जनवरी, 2016 तक देश के हर नागरिक को बैंक खाता नंबर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखना चाहिए. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए समिति ने कई सुझाव दिए हैं.
मोर समिति की सिफारिशें
• मौजूदा कृषि ऋण व्यवस्था संबंधी गतिविधियों पर फिर विचार करने की आवश्यकता पर बल देते हुए समिति ने ब्याज में छूट और ऋण माफी जैसी योजनाओं को समाप्त करने की सिफारिश की है.
• समिति ने वैधानिक नकदी अनुपात धीरे-धीरे समाप्त करने या सरकारी बॉंडों में निवेश का प्रतिशत कम करने का भी सुझाव दिया.
• प्राथमिकता क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण की मौजूदा सीमा 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की सिफारिश की.
• एक जनवरी 2016 तक हर वयस्क का बैंक अकाउंट हो.
• किसी भी हिस्से से सिर्फ 15 मिनट की पैदल दूरी पर बैंक शाखा हो.
• उपभोक्ता मूल्य आधारित महंगाई दर से ज्यादा मिले जमा पर ब्याज.
• हर गरीब को उसकी सुविधा से कर्ज देने की व्यवस्था .
• गरीब परिवार को काफी कम प्रीमियम पर हर तरह का बीमा मुहैया हो.
• आधार नंबर के साथ ही बैंक खाता नंबर देने की व्यवस्था.
• एनबीएफसी को बैंकों के एजेंट के रूप में काम करने की अनुमति दी जाए.
• गरीबों व छोटे उद्यमियों को कर्ज के लिए नए पेमेंट बैंक खोले जाए.
• सस्ती सेवा देने के लिए बैंकों को नए सिरे से तैयार किया जाए.
• बैकों की सेवा देने वाले एमएफआइ, एनजीओ की निगरानी के लिए राज्य आयोग गठित करें.
• बैंको की एनपीए सूचनाओं को सार्वजनिक किया जाए.
• कर्ज माफी के बजाय सीधे किसानों को वित्तीय मदद मिले.
• गरीबों व छोटे उद्यमियों के लिए खास तौर पर एक बैंक स्थापित किया जाए.
विदित हो कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने बैंकिंग विशेषज्ञ नचिकेत मोर की अध्यक्षता में इस समिति का गठन सितम्बर 2013 में किया था.
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