नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 8 मई 2015 को दिल्ली में सभी घरों पर यमुना नदी को साफ़ करने हेतु मासिक पर्यावरण सुरक्षा भुगतान के रूप में कर लगाने का आदेश दिया.
निर्देश के अनुसार यह टैक्स सीधे तौर से संपत्ति कर अथवा निवासी द्वारा दिए जाने वाले जल कर के अनुपात पर निर्भर होगा. अनधिकृत कालोनियों में जो लोग संपत्ति कर अथवा जल कर नहीं देते उन्हें 100 रूपए से 500 रूपए का मासिक भुगतान करना होगा.
यह निर्णय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की बेंच के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने यमुना नदी में प्रदूषण के खिलाफ पर्यावरण कार्यकर्ता मनोज मिश्रा द्वारा दायर की गयी याचिका की सुनवाई करते हुए दिया.
यह राशि संबंधित विभाग द्वारा बिजली के बिल, पानी के बिल अथवा संपत्ति कर में जोड़कर उपभोक्ता को दी जाएगी, जो बाद में दिल्ली सरकार को स्वतः स्थानांतरित हो जाएगी. इस एकत्रित राशि को यमुना नदी को साफ करने हेतु नए प्रोद्योगिकी उपकरणों को खरीदने तथा संयंत्रों की स्थापना के लिए उपयोग किया जाएगा.
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