पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस पर गठित एक संसदीय समिति ने देश के पूर्वी तट पर स्थित कृष्णा-गोदावरी बेसिन (केजी डी-6 बेसिन) में हो रहे वर्तमान प्रचालन को डिफॉल्ट घोषित करने की सिफारिश 17 नवंबर 2013 को की. समिति के अनुसार इस बेसिन के संविदाकार रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पूर्व स्वीकृत योजना के अनुसार गैस का उत्पादन नहीं किया एवं उत्पादन भी प्रस्तावित मात्रा से कम रहा. इस आधार पर समिति ने बेसिन के वर्तमान प्रचालन को डिफाल्ट घोषित करने की सिफारिश की.
वर्ष 2010-11 में केजी डी-6 ब्लॉक से 55.89 एमएंमएससीएमडी का कुल गैस उत्पादन हुआ और 2012-13 में यह मात्र 26.18 एमएमएससीएमडी रहा, जबकि 2012-13 में उत्पादन 86.73 एमएमएससीएमडी होना चाहिए था.
विदित हो कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस पर गठित इस संसदीय समिति ने पिछले माह ही अपनी सिफारिशें पेट्रोलियम एवं गैस मंत्रालय को सौंपी थीं जिसमे केजी डी-6 बेसिन में गैस का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में हाइड्रोकार्बन मदानिदेशालय के द्वारा एक अध्ययन में सुझाये गये कदमों का संदर्भ दिया.
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस पर गठित इस संसदीय समिति के अध्यक्ष लोकसभा में सांसद सोमाभाई जी. कोली पटेल थे. समिति के गठन के समय इसके अध्यक्ष वी. अरुण कुमार थे.
कृष्णा-गोदावरी बेसिन (केजी डी-6 ब्लॉक, Krishna Godavari Basin)
कृष्णा-गोदावरी बेसिन देश के पूर्वी तट पर स्थित है. यह आंध्र प्रदेश में कृष्णा एवं गोदवरी नदियों के कुल 50000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है. इस बेसिन को डी-6 ब्लॉक के नाम से जाना जाता है. डी-6 ब्लॉक में ही रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 2002 में भारत के सबसे बड़े प्राकृतिक गैस भंडार की खोज की थी, जो कि विश्व की सबसे बड़ी प्राकृतिक गैस भंडार की खोज थी. जबकि, इस बेसिन की खोज तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम के राजामुंदरी एवं नरसापुर स्थित छोटे इकाईयों के प्रचालन के दौरान 1983 में हुई थी, उस समय इन इकाईयों के प्रमुख इकबाल फारूकी थे. कृष्णा गोदावरी बेसिन ऑलिव रिडले प्रजाति के कछुओं का प्राकृतिक आवास है.
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