राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 06 जनवरी 2016 को कारागारों की खराब स्थिति के मामले में बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है. एनएचआरसी ने "बिहार में कारागार स्थिति रिपोर्ट 2015' शीर्षक से शोधकर्ता स्मिता चक्रवर्ती की मीडिया में आई विस्तृत रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया.
- आयोग ने मुख्य सचिव और कारागार महानिदेशक, बिहार सरकार को चार सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
- पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और बिहार राज्य विधि सेवा प्राधिकार के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी एन सिन्हा ने बिहार कारागारों की स्थिति सम्बन्धी कार्य स्मिता चक्रवर्ती को प्रदान किया था.
- जिसमे राज्य के सभी 58 कारागारों का दौरा करने और उनकी स्थिति का अध्ययन कर रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था.
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यह भी माना कि वह पूरे देश में कारागार की खराब स्थिति से अनजान नहीं है, लेकिन वर्तमान खबर कैदियों के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन हैं.
- शोधकर्ता स्मिता चक्रवर्ती ने अपने अध्ययन के दौरान 30,070 कैदियों से बात की और अंतिम रिपोर्ट 15 नवंबर 2015 को जारी की.
नियमों का उल्लंघन-
- रिपोर्ट में वर्तमान कैदियों के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन बताया गया है.
- रिपोर्ट कैदियों के मानव अधिकारों और उनके बुनियादी हकों के हनन पर प्रकाश डालती है.
- रिपोर्ट के अनुसार देश भर में जेल सुधारों की तत्काल आवश्यकता है.
- रिपोर्ट में विशेष रूप से महिलाओं के लिए, जेलों में चिकित्सा सुविधाओं के अभाव पर प्रकाश डाला गया है.
- जेलों में कैदियों को जबरन काम करने के लिए बाध्य करने के तथ्यों पर भी प्रकाश डाला गया है. इसे पूर्वाग्रह से ग्रस्त बताया गया है.
- ऐसे लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के अनुरूप कार्यवाही करने का सुझाव दिया गया है.
सुझाव-
- संपूर्ण अध्ययन की मुख्य बात यह है कि बिना किसी अपीलीय निकाय द्वारा पर्यवेक्षण के जेल मैनुअल नियमों द्वारा प्रदान विवेकाधीन शक्तियों के तहत कैदियों की सजा के मुद्दों को सामने लाया जाय.
- अधिवक्ताओं को उनके मुवक्किल (वादी) से जेल में मिलने दिया जाय. जिससे वे उनके परीक्षणों को पूरा करने के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष तथ्यों को पेश कर सकें.
- आवश्यकताओं होने पर विचाराधीन बंदियों को परीक्षणों के तहत नि: शुल्क कानूनी सहायता हेतु वकील से वंचित न रखा जाय.
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