भारत के मशहूर चित्रकार मक़बूल फ़िदा हुसैन का लंदन के एक अस्पताल में 9 जून 2011 को निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे. भारत का पिकासो कहे जाने वाले मक़बूल फ़िदा हुसैन का जन्म महाराष्ट्र के पंढ़रपुर में 17 सितंबर 1915 को हुआ था. वह वर्ष 2006 में भारत से बाहर चले गए थे. फ़ोर्ब्स पत्रिका ने उन्हें भारत का पिकासो की पदवी दी थी. वर्ष 1971 में साओ पावलो समारोह में उन्हें पाबलो पिकासो के साथ विशेष निमंत्रण देकर बुलाया गया था.
भारत सरकार ने मक़बूल फ़िदा हुसैन को वर्ष 1955 में पद्मश्री से, वर्ष 1973 में पद्मभूषण से तथा वर्ष 1991 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया. तथा वर्ष 1986 में उन्हें राज्यसभा में मनोनीत किया गया. केरल सरकार ने उन्हें वर्ष 2007 में राजा रवि वर्मा पुरस्कार से सम्मानित किया. एमएफ़ हुसैन ने 27 फ़रवरी 2010 को क़तर की नागरिकता स्वीकार की. हुसैन ने क़तर की नागरिकता के लिए कोई आवेदन नहीं किया था. क़तर के शाही परिवार ने जनवरी 2010 में सम्मान स्वरुप एमएफ़ हुसैन को नागरिकता का प्रस्ताव दिया था.
वर्ष 1967 में उन्होंने अपनी पहली फ़िल्म थ्रू द आइज़ ऑफ़ अ पेंटर बनाई. ये फ़िल्म बर्लिन फ़िल्म समारोह में दिखाई गई और फ़िल्म ने गोल्डन बेयर पुरस्कार जीता. हिंदी फ़िल्मों की मशहूर अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के बड़े प्रशंसक एमएफ़ हुसैन ने उन्हें लेकर गज गामिनी नाम की फ़िल्म भी बनाई थी. इसके अलावा उन्होंने तब्बू के साथ एक फ़िल्म मीनाक्षी: ए टेल ऑफ़ थ्री सिटीज़ बनाई थी. इस फ़िल्म के एक गाने को लेकर काफ़ी विवाद हुआ था. मुस्लिम संगठनों ने इस फ़िल्म पर आपत्ति की थी.
वर्ष 1996 में हिंदू देवी-देवताओं की नग्न पेंटिग्स को लेकर काफ़ी विवाद हुआ. कई कट्टरपंथी संगठनों ने तोड़-फोड़ की और एमएफ़ हुसैन को धमकी भी मिली. एमएफ़ हुसैन को पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर पहचान 1940 के दशक के आख़िर में मिली. वर्ष 1947 में वे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप में शामिल हुए. एमएफ़ हुसैन वर्ष 2006 से भारत से बाहर रह रहे थे. युवा पेंटर के रूप में एमएफ़ हुसैन बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट्स की राष्ट्रवादी परंपरा को तोड़कर कुछ नया करना चाहते थे. वर्ष 1952 में उनकी पेंटिग्स की प्रदर्शनी ज़्यूरिख में लगी.
क्रिस्टीज़ ऑक्शन में उनकी एक पेंटिंग 20 लाख अमरीकी डॉलर में बिकी. इसके साथ ही वे भारत के सबसे महंगे पेंटर बन गए थे. हुसैन के चित्रों को लेकर चल रहे विवाद पर कई मामले अदालत में लंबित हैं. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सभी मामले दिल्ली की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया. जून 2011 के प्रथम सप्ताह में हुसैन के तीन चित्र 2.32 करोड़ रुपए में बोनहैम में नीलाम हुए. इसमें से एक अनाम तैलीय चित्र में चित्रकार ने अपने प्रिय विषय घोड़े और महिला को उकेरा था. अकेला यही चित्र 1.23 करोड़ रुपए में नीलाम हुआ.
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