राजस्थान के अरावली पहाड़ियों पर बने छह किले यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल

Jun 23, 2013, 16:58 IST

यूनेस्को ने राजस्थान में अरावली पहाड़ियों पर बने जैसलमेर और चित्तौरगढ़ किले सहित छह किलों को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया.

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने राजस्थान, भारत में अरावली पहाड़ियों पर बने भव्य और सुंदर जैसलमेर और चित्तौरगढ़ किले समेत छह किलों को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची (व‌र्ल्ड हैरिटेज लिस्ट) में शामिल किया. ये किले हैं-चित्तौरगढ़ का किला, सवाई माधोपुर का रणथंभौर किला, राजसमंद का कुंभलगढ़ किला, जैसलमेर का किला, जयपुर का अकबर किला और झालवाड़ का गैगटोन.

राजस्थान के ये 6 किले निम्नलिखित हैं:

 

क्र.स. किले का नाम जिला संरक्षण
1. चित्तौड़गढ़ किला चित्तौड़गढ़
एएसआई
2. कुंभलगढ़ किला राजसमंद एएसआई
3. रणथंभौर किला सवाई माधोपुर एएसआई
4. जैसलमेर किला जैसलमेर एएसआई
5. अंबर किला जयपुर  
राज्य सरकार
6. गागरॉन किला झालावार राज्य सरकार


यूनेस्को की विश्व विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 37वीं बैठक में इन किलों के चयन की घोषणा 21 जून 2013 को की गई. यह बैठक कंबोडिया की राजधानी नॉमपेन्ह में आयोजित की गई.

वर्ष 2011 से अब तक स्मारक और किलों पर अंतरराष्ट्रीय परिषद (International Council on Monuments and Forts, ICOMOS) के अभियानों ने इन स्थलों का सघन निरीक्षण किया. इन दलों ने इन किलों के नामांकनों के बारे में कई अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ बैठकर गहन विचार-मंथन किया. स्मारक और किलों, पर अंतरराष्ट्रीय परिषद (आईसीओएमओएस) की रिपोर्ट के अनुसार इन किलों की इस श्रृंखला का सार्वभौमिक महत्व अतुलनीय है. इस रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान राज्य के भीतर इन छह भव्य, विशालकाय और वैभवशाली पहाड़ी किलों के रूप में आठवीं सदी से अठारहवीं सदी की राजपूत रियासतों (राजपूताना शैली के वास्तुशिल्प) की झलक मिलती है.

वर्ष 2010 में जंतर-मंतर को विश्व विरासत की सूची में शामिल किया गया था.

राजस्थान राज्य की पर्यटन मंत्री बीना काक ने कहा कि इस चयन से हमारी ऐतिहासिक धरोहर और स्मारकों को विश्व स्तर पर पहचान मिली है. इन किलों का इस सूची में शामिल होने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगा ही, राज्य के अन्य स्थलों का भी इस सूची में आने का रास्ता प्रशस्त होगा. बीना काक ने कहा कि आभानेरी, बांदीकुई, बूंदी के स्टेप वेल्स, शेखावटी की फ्रेस्कों पेंटिंग्स को भी यूनेस्को की हैरिटेज लिस्ट में शामिल करने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं.

इन स्मारकों में चार किलों का संरक्षण भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण करता है जबकि बाकी दो किले का संरक्षण राज्य सरकार करती है. ये किले 8वीं सदी से 19वीं सदी के बीच बने हैं जो राजपूताना शैली को चित्रित करते हैं.

राजस्थान सरकार ने इन किलों के बारे में विस्तृत विवरण तैयार कर वर्ष 2011 में ही विश्व विरासत केंद्र को भेजा था और अंतरराष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद की सिफारिश पर यूनेस्को ने इसे अपनी सूची में शामिल किया.

केंद्रीय संस्कृति मंत्री चंदेश कुमार कटोच ने कहा कि हिमाचल के कुल्लु मनाली में स्थित हिमालय नेशनल पार्क और राजस्थान के पाटन में स्थित रानी का वाव को भी यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गया है. वर्ष 2012 में पश्चिमी घाट को यूनेस्को ने अपनी विरासत सूची में शामिल किया था. अब तक देश के 59 स्थल विश्व विरासत की सूची में शामिल किए गए हैं.

यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भारतीय स्थल

हरियाणा और हिमांचल प्रदेश- कालका-शिमला रेलवे
कर्नाटक- हम्पी स्मारक समूह, पत्ताकाल स्मारक समूह
मध्य प्रदेश- साँची के बौद्ध स्मारक, भीम बेटका गुफाएं, खजुराहो के मंदिर समूह
महाराष्ट्र- अजंता की गुफाएं, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल, एलिफेंटा की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं
ओड़िसा- कोणार्क का सूर्य मंदिर
असोम- काजीरंगा नेशनल पार्क, मानस वन्य जीव अभ्यारण्य
बिहार- महाबोधि मंदिर परिसर बोधगया
दिल्ली- हुमायूं का मकबरा , क़ुतुब मीनार, लाल किला
गोवा- बासिलिका ऑफ़ बाम जीसस चर्च
गुजरात- चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक उद्यान
राजस्थान- केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान भरतपुर, जंतर -मंतर जयपुर
तमिलनाडु- चोल मंदिर समूह तंजावुर , महाबलीपुरम मंदिर स्मारक , नीलगिरी पर्वतीय रेलवे
उत्तर प्रदेश- ताजमहल आगरा, फतेहपुर सीकरी , आगरा का किला
उत्तराखंड- नंदा देवी, फूलों की घाटी राष्ट्रिय उद्यान
प० बंगाल - दार्जलिंग पर्वतीय रेलवे, सुंदरवन राष्ट्रिय उद्यान
महत्वपूर्ण - यूनेस्को ने राजस्थान के कालबेलिया नृत्य, छऊ नृत्य ओड़िसा और केरल के मुदिएत्तु नृत्य को अमूर्त संस्कृतिक धरोहरों में शामिल किया है.

युनेस्को विश्व विरासत स्थल
युनेस्को विश्व विरासत स्थल ऐसे विशेष स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं, और यही समिति इन स्थलों की देखरेख युनेस्को के तत्वाधान में करती है.

इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं. कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है. वर्ष 2006 तक पूरी दुनिया में लगभग 830 स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है जिसमें 644 सांस्कृतिक, 24 मिले-जुले, और 138 अन्य स्थल हैं.

प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो. परंतु अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आने वाली पीढ़ियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका संरक्षण करें. बल्कि पूरे विश्व समुदाय को इसके संरक्षण की जिम्मेदारी होती है.

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