31 दिसंबर 2014 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक 2014 पर हस्ताक्षर कर दिया. इसके साथ ही राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम 2014 प्रभाव में आ गया है.
विधेयक को 121वां संवैधानिक संशोधन विधेयक 2014 भी कहा जाएगा. यह एक राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) की स्थापना करेगा जो उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोलोजियम प्रणाली की जगह लेगा.
एनजेएसी विधेयक को अगस्त 2014 में संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया था. दिसंबर 2014 तक 16 राज्यों के विधान मंडल ने इसे अंगीकार कर लिया था. इस प्रकार संविधान के अनुच्छेद 368 के अनुसार किसी संवैधानिक संशोधन विधेयक के मामले में राज्यों द्वारा 50 प्रतिशत के समर्थन की शर्त को इसने पूरा कर लिया था.
एनजेएसी अधिनियम 2014 की मुख्य विशेषताएं
- यह एनजेएसी को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स (उच्च न्यायालयों) में जजों की नियुक्ति के लिए संवैधानिक दर्जा देता है.
- बतौर संवैधानिक निकाय यह कार्यकारी अधिकारियों को सर्वोच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में समान भूमिका प्रदान करता है.
- यह अनुच्छेद 124(2) और 217(1) में संशोधन निर्दिष्ट करता है जो कि क्रमशः सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति से संबंधित है.
- अब सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति राष्ट्रपति एजेएसी के परामर्श से करेंगें.
- एनजेएसी स्थापित हो जाने के बाद केंद्र सरकार एनजेएसी को 30 दिनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में रिक्तियों के बारे में जानकारी मुहैया कराएगी. आगामी छह माह की रिक्तियों के बारे में भी आयोग को अग्रिम में जानकारी दी जाएगी.
एनजेएसी की संरचना
एनजेएसी के अध्यक्ष भारत के मुख्य न्यायाधीश होंगे. केंद्रीय कानून मंत्री और दो प्रख्यात हस्तियों जिसमें से एक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ा वर्ग या महिलाओं में से नामित किया जाएगा, के अलावा इसमें बतौर सदस्य सुप्रीम कोर्ट के दो सबसे वरीष्ठ जज भी होंगे.
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