लोकपाल विधेयक पर विचार हेतु गठित राज्यसभा की प्रवर समिति ने आधा दर्जन संशोधनों के साथ सदन में रिपोर्ट 23 नवंबर 2012 को पेश की. राज्यसभा की प्रवर समिति ने कई संशोधन के सुझाव दिए हैं, जिनमें सीबीआई को और अधिक आत्मनिर्भर बनाना, कुछ शर्तों के साथ प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाना और लोकपाल कानून लागू होने के 1 वर्ष के अंदर राज्य सरकारों द्वारा अनिवार्य रूप से लोकायुक्तों की व्यवस्था करना शामिल हैं.
राज्यसभा की प्रवर समिति के अध्यक्ष सत्यव्रत चतुर्वेदी के अनुसार इन संशोधनों को राज्यसभा से पास कराना होगा. सरकार को समिति के प्रस्तावित संशोधनों पर विचार नहीं करना होगा और समिति संशोधित विधेयक पर ही चर्चा करेगी. राज्यसभा से विधेयक पास हो जाने के बाद इसे संशोधित रूप में लोकसभा को भेजा जाना है.
समिति ने प्रधानमंत्री को भी लोकपाल के दायरे में लाने की अनुशंसा की है, लेकिन विदेश मामलों, आंतरिक सुरक्षा, परमाणु ऊर्जा तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्बंधों को लेकर प्रधानमंत्री को छूट देने के लिए कहा है.
समिति ने राज्य लोकायुक्तों को लोकपाल विधेयक से अलग करने की भी सलाह देते हुए इसे राज्यों के विवेकपर छोड़ने के लिए कहा.
विदित हो कि यह विधेयक वर्ष 2011 में शीतकालीन सत्र के आखिरी वक्त में लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन राज्यसभा में यह पारित नहीं हो सका था. इसके मौजूदा स्वरूप को लेकर विभिन्न दलों में मतभिन्नता थी. इसे वर्ष 2012 बजट सत्र के दौरान प्रवर समिति को सौंपा गया था.
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