विश्व बैंक ने 7 अक्टूबर 2015 को ग्लोबल मोनिटरिंग रिपोर्ट 2015/16: डेवलेप्म्नेट गोल इन एन एरा ऑफ़ डेमोग्राफिक चेंज शीर्षक से रिपोर्ट जारी की. यह रिपोर्ट 9 से 11 अक्टूबर के मध्य पेरू की राजधानी लीमा, में आयोजित होने वाली विश्व बैंक समूह-अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की वार्षिक बैठक के पहले आयोजित की गई.
रिपोर्ट के अनुसार विश्व के वर्तमान में लोगों का गरीब देशों से अमीर देशों में हो रहा बड़े पैमाने पर पलायन आने वाले दशकों के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए स्थायी सुधार साबित होगा.
रिपोर्ट में यह बताया गया है की यदि विश्व के देश सही नीतियों का निर्माण करें तो यह पलायन विश्व में व्याप्त अत्यधिक गरीबी को समाप्त करने में कारगर साबित होगा.
इसमें विश्व की श्रमजीवी जनसंख्या के 66 प्रतिशत बढ़ने के पश्चात अब घटने का भी उल्लेख किया गया है. इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में थ भी खा गया है की वार्स 2050 तक विश्व की कुल जनसंख्या में 16 प्रतिशत जनसंख्या बुजुर्ग होगी जबकि वर्तमान में बच्चों की संख्या बच्चों की संख्या 2 अरब पर स्थिर है.
रिपोर्ट के अनुसार विश्व की 90 प्रतिशत गरीबी कम आय वाले देशों में व्याप्त है जहाँ की आबादी युवा है और तेजी से बढ़ रही है. जबकि तीन चौथाई वैश्विक वृद्धि उच्च आय वाले देशो में है जहां कम प्रजनन दर है , काम करने वाली जनसंख्या कम है , और बुजुर्गों बढ़ती संख्या है.
देश के स्तर पर, युवा आबादी के साथ सरकारों कौशल और अपने युवाओं के भविष्य के रोजगार की संभावनाएं अधिकतम करने के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करके जनसांख्यिकी के लाभ को अधिकतम कर सकते हैं.
इसके अनुसार देश के स्तर पर, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करके जनसांख्यिकी लाभांश का लाभ लिया जा सकता है. जबकि विश्व स्तर पर वैश्विक स्तर पर,मुक्त सीमा व्यापार और निवेश के माध्यम से जनसांख्यिकीय असंतुलन को प्रबंधित किया जा सकता है.
रिपोर्ट के तहत उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र आगे आने वाले दशकों के लिए श्रमजीवी और युवा जनसंख्या का स्रोत होगा.
रिपोर्ट के अनुसार विश्व को चार समुह में विभाजित किया जा सकता है.
• प्री डिविडेंड कंट्रीज – इस खंड के अंतर्गत उन देशों को शामिल किया गया है जो निम्न आय के हैं, मानव विकास संकेतकों में निम्न स्थान पर हैं, प्रजनन क्षमता का स्तर चार बच्चे प्रति महिला है, जनसंख्या वृद्धि दर अधिक है, इनके निर्भरता अनुपात में गिरावट दर्ज की गई है क्योंकि इनके अधिकतर बच्चे अब श्रमजीवी जनसंख्या में परिवर्तित हो गए हैं. इन देशों को प्रथम जनसांख्यकी लाभांश की नीवं पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए. इस समूह का उदाहरण नाइजीरिया है.
• अर्ली डिविडेंड कंट्रीज – इस समूह के अंतर्गत उन देशों को शामिल किया गया जो निम्न मध्यम आय वाले है, प्रजनन दर प्रति महिला चार बच्चों के जन्म से नीचे गिर गई है, जहां जनसंख्या के कामकाजी उम्र में हिस्सेदारी होने की संभावना काफी बढ़ रही है, इन देशों को प्रथम जनसंख्या लाभांश पर कब्जा करने और द्वितीय जनसंख्या लाभांश की नीवं रखने की ओर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए. इस समूह का उदाहरण ब्राजील है.
• लेट डिविडेंड कंट्रीज – इस समूह में उच्च मध्यम आय वाले देशों को शामिल किया गया है, प्रजनन दर प्रति महिला 2.1 से ज्यादा है, लेकिन प्रजनन क्षमता में गिरावट जारी है, श्रमजीवी जनसंख्या में गिरावट है, उनकी समग्र उम्र संरचना अभी भी पहली जनसांख्यिकीय लाभांश के लिए अनुकूल हैं.हालांकि, वे बहुत तेजी से उम्र बढ़ने की स्थिति का सामना कर रहे हैं तो उनके लिए दूसरा जनसांख्यिकीय लाभांश आवश्यक है. इस समूह का उदाहरण इथोपिया है.
• पोस्ट- डिविडेंड कंट्रीज – जहां प्रजनन दर कम है, वृद्ध जनसंख्या ज्यादा है और श्रमजीवी जनसंख्या में कमी है,यह देश द्वितीय जनसंख्या लाभांश का लाभ उचित निवेश और बचत के मध्यम से कर सकते हैं. इस समूह का उदाहरण जापान है.
रिपोर्ट में भारत
• रिपोर्ट के अनुसार भारत को जो की एक निम्न मध्यम आय वाला देश है अर्ली डिविडेंड समूह में शमाइल किया गया है.
• वर्ष 2015 से 2030 के दौरान कामकाजी उम्र की आबादी में हिस्सेदारी में परिवर्तन प्रतिशत 3.11 है.
• वर्ष 2015-20 के दौरान कुल प्रजनन दर 2.34 प्रतिशत अनुमानित है.
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