वेटिकन द्वारा 13 मई 2015 को “पवित्र न्यायधिकरण तथा फिलिस्तीन” द्वारा जारी एक संयुक्त वक्तव्य में फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता दी गयी.
इस संयुक्त वक्तव्य का शीर्षक है “द्विपक्षीय पवित्र न्यायधिकरण तथा फिलिस्तीन राज्य”. इसे वेटिकन में व्यापक समझौते के बाद आयोजित एक विस्तृत अधिवेशन के बाद जारी किया गया. इससे पहले 15 फरवरी 2000 में एक बुनियादी समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे.
बुनियादी समझौते 2000 में फिलिस्तीन में कैथोलिक चर्च की स्थिति तथा उसके कार्यकलापों के आवश्यक पहलुओं को शामिल किया गया था.
विस्तृत अधिवेशन की अध्यक्षता एंटनी केमिलेरी (पवित्र न्यायधिकरण के अवर सचिव), रौन सुलेमान (फिलिस्तीन मामलों के उप विदेश मंत्री) द्वारा की गयी.
मान्यता का महत्व
वेटिकन ने 2014 में पोप की फिलिस्तीन यात्रा के बाद से ही उसे अधिकारिक रूप से राज्य के रूप में मान्यता प्रदान कर दी थी लेकिन यह संयुक्त वक्तव्य पहला कानूनी दस्तावेज़ है.
साथ ही, यह दस्तावेज़ यह भी प्रमाणित करता है कि वेटिकन ने फिलिस्तीन को फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) से फिलिस्तीन राज्य के रूप में दर्जा दे दिया है. वेटिकन के पवित्र न्यायाधिकरण तथा पीएलओ के बीच 26 अक्टूबर 1994 से संपर्क सूत्र स्थापित किये गए थे.
वेटिकन द्वारा दी गयी यह मान्यता इस्राइल सरकार द्वारा जारी किये गए दिशा-निर्देशों के बाद प्रदान की गयी है. इन दिशा-निर्देशों में फिलिस्तीन के साथ शांति समझौते पर हो रहे प्रयासों में तेज़ी लाने की बात कही गयी है लेकिन इसमें फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता नहीं दी गयी.
फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता देने वाले अन्य राज्य
संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2012 में फिलिस्तीन को मतदान के उपरांत गैर सदस्य पर्यवेक्षक राज्य का दर्जा दिया था. विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र के 135 सदस्य राष्ट्र फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता दे चुके हैं.
अक्टूबर 2014 में स्वीडन ने फिलिस्तीन को मान्यता प्रदान की जबकि ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन तथा आयरिश पार्लियामेंट ने कुछ महीने पहले ही देश में सरकारों से इस आग्रह पर विचार करने का निवेदन किया.
टिप्पणी
वेटिकन द्वारा उठाया गया यह कदम स्वागत योग्य है क्योंकि इससे फिलिस्तीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य के रूप में मान्यता प्राप्त करने में सहायता मिलेगी.
यह फैसला न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि नैतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वेटिकन विश्व भर में लाखों ईसाइयों का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें फिलिस्तीन भी शामिल है.
इससे फिलिस्तीन की आतंकवादी राज्य की छवि भी मिटेगी तथा फिलिस्तीन में सह-अस्तित्व और शांति के लिए हो रहे प्रयासों को बल मिलेगा.
वेटिकन के इस कदम की इस्राइल तथा संयुक्त राज्य अमेरिका ने आलोचना की है. इजरायल के विदेश मंत्रालय के अनुसार इस मान्यता से शांति प्रयासों पर कोई असर नहीं होगा एवं फिलिस्तीन के साथ प्रत्यक्ष द्विपक्षीय वार्ता के प्रगति होने की सम्भावना नहीं है.
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