वैज्ञानिकों ने गुरूत्वाकर्षी तरंगों की खोज की

Feb 12, 2016, 21:54 IST

भौतिक और खगोल विज्ञान के लिए की गयी एक महत्वपूर्ण खोज में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने 11 फरवरी को 2016 गुरूत्वाकर्षी तरंगों का पता लगाया. इसकी भविष्यवाणी अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक सदी पूर्व ही कर दी थी. जो सौ साल बाद सच साबित हुई.

भौतिक और खगोल विज्ञान के लिए की गयी एक महत्वपूर्ण खोज में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने 11 फरवरी को 2016 गुरूत्वाकर्षी तरंगों का पता लगाया. इसकी भविष्यवाणी अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक सदी पूर्व ही कर दी थी. जो सौ साल बाद सच साबित हुई.

  • वैज्ञानिकों के अनुसार इससे ब्रहमांड को समझने के नए रास्ते खुले हैं.
  • ये तरंगें ब्रहमांड में भीषण टक्करों से उत्पन्न हुई थीं.

भारत में भी स्थापित है गुरूत्वाकर्षण प्रयोगशाला-

गुरूत्वाकर्षी तरंग की खोज की घोषणा आईयूसीएए पुणे और वाशिंगटन डीसी, अमेरिका में वैज्ञानिकों ने एक साथ की. भारत में गुरूत्वाकर्षण प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है.

भारतीय संस्थान  ने भी मिशन में किया सहयोग-

  • भारतीय वैज्ञानिकों ने गुरूत्वाकर्षी तरंग की खोज के लिए महत्वपूर्ण परियोजना में डाटा विश्लेषण सहित अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इंस्टिटयूट ऑफ प्लाजमा रिसर्च गांधीनगर, इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे और राजारमन सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलाजी इंदौर सहित कई संस्थान इस परियोजना से जुड़े रहे.

क्या कहा था अल्बर्ट आइंस्टीन ने थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के बारे में -

  • करीब सवा अरब साल पहले ब्रह्मांड में 2 ब्लैक होल में टक्कर हुई थी और यह टक्कर इतनी भयंकर थी कि अंतरिक्ष में उनके आसपास मौजूद जगह और समय, दोनों का संतुलन बिगड़ गया. इस टक्कर के बारे में तत्कालीन वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने 100 साल पहले कहा था कि इस टक्कर के बाद अंतरिक्ष में हुआ बदलाव सिर्फ टकराव वाली जगह पर सीमित नहीं रहेगा. उनके अनुसार इस टकराव के बाद अंतरिक्ष में ग्रैविटेशनल तरंगें (गुरूत्वाकर्षण तरंगें) पैदा हुईं और ये तरंगें किसी तालाब में पैदा हुई तरंगों की तरह आगे बढ़ती हैं.

  • अब दुनिया भर के वैज्ञानिकों को आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी (सापेक्षता के सिद्धांत) के सबूत मिल गए हैं.
  • ब्रिटेन के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने इसे सदी की सबसे बड़ी वैज्ञानिक खोज करार दिया है.
  • आइंस्टाइन से पहले तक अंतरिक्ष और समय को किसी भी असर से मुक्त माना जाता था.
  • दशकों से वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि क्या गुरुत्वाकर्षण तरंगें वाकई दिखती हैं.
  • इसकी खोज करने के लिए यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने लीज पाथफाइंडर नाम का स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में भेजा था.
  • खगोलविदों ने अत्याधुनिक एवं बेहद संवेदनशील लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑबजर्वेटरी या लीगो का इस्तेमाल किया.
  • लीगो की मदद से उन्होंने दूर दो ब्लैक होल के बीच हुई हालिया टक्कर में पैदा हुई गुरूत्वीय तरंग का पता लगाया.

क्या हैं गुरूत्वीय तरंग-

  • गुरूत्वीय तरंगों की सबसे पहली व्याख्या आंइस्टीन ने वर्ष 1916 में अपने सापेक्षिता के सामान्य सिद्धांत के तहत की थी. ये चौथी विमा दिक्-काल में असाधारण रूप से कमजोर तरंगें हैं. जब बड़े लेकिन सघन पिंड, जैसे ब्लैक होल या न्यूट्रॉन स्टार आपस में टकराते हैं तो उनके गुरूत्व से पूरे ब्रह्मांड में तरंगे पैदा होती हैं. उन तरंगों को गुरूत्वीय तरंग कहते हैं.
  • वैज्ञानिकों को 1970 के दशक में की गई गणनाओं के आधार पर गुरूत्वीय तरंगों के अस्तित्व का अप्रत्यक्ष साक्ष्य मिला था.
  • इस उपलब्धि को वर्ष 1993 का भौतिकी का नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था.
  • गुरूत्वीय तरंग की सीधी पहचान से जुड़ी मौजूदा घोषणा को एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.
  • ध्वनि तरंगों के मौजूद होने की बात जानना एक चीज है लेकिन बीथोवेन (महान संगीतकार) के पांचवे सिंफनी को वास्तव में सुन पाना एक अलग ही बात है.
  • वर्ष 1979 में, नेशनल साइंस फाउंडेशन ने तरंगों की पहचान का तरीका निकालने के लिए कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को धन दिया था.
  • 20 साल बाद, उन्होंने वाशिंगटन के हैनफोर्ड और लुइसियाना के लिविंगटन में दो लीगो संसूचक बनाने शुरू किए. इन्हें वर्ष 2001 में सक्रिय किया गया.

खोज दल के वैज्ञानिकों के विचार-

  • खोज दल से इतर जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के भौतिकविद मार्क केमिओनकोव्सी के अनुसार ‘इस खोज के बाद ब्लैक होल के विलय को सुन पाएंगे.’’
  • पेनसेल्वानिया स्टेट विश्वविद्यालय के टीम सदस्य चाड हाना के अनुसार गुरूत्वीय तरंगे ‘‘ब्रह्मांड का साउंडट्रैक है.’’
  • अष्टेकर के अनुसार गुरूत्वीय तरंगों की पहचान इतनी मुश्किल है कि जब आइंस्टीन ने पहली बार इनकी व्याख्या की थी, तब उन्होंने कहा था कि वैज्ञानिक कभी भी इन्हें सुन नहीं पाएंगे.
  • कोलंबिया विश्वविद्यालय के अंतरिक्ष विज्ञानी और खोज दल के सदस्य एस मार्का के अनुसार इस क्षण से पहले तक वे अन्तरिक्ष का संगीत नहीं सुन पाते थे. 
  • जिसकी लागत 1.1 अरब डॉलर है.
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