सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने वित्त वर्ष 2011-12 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पादन में वृद्धि का अनुमान घटाकर 7.1 फीसदी किया. सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी द्वारा इससे पूर्व लगाया गया अनुमान 7.8 फीसदी का था.
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने 12 दिसंबर 2011 को नया अनुमान जारी किया. जुलाई-सितंबर 2011 तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पादन की विकास दर 6.9 फीसदी रह गई, जो कि पिछले साल की समान तिमाही में 7.7 फीसदी रही थी.
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने भारत के जीडीपी में वृद्धि का अनुमान को घटाने के पीछे तीन तर्क दिए. ये तीन तर्क हैं: विदेशी मांग में कमी, क्षमता विस्तार कार्यों में धीमेपन और कारोबारी विश्वास में कमी. सीएमआइई के अनुसार यूरोजोन में कर्ज संकट के कारण भारतीय उत्पादों की मांग में कमी आई है. साथ ही बेहद ऊंची ब्याज दरों और ख्रराब कारोबारी माहौल के कारण निवेश और क्षमता विस्तार में धीमेपन बना हुआ है.
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मार्च 2010 के बाद से ब्याज दरों में कुल 13 बार में 375 आधार अंक की वृद्धि भी एक महत्वपूर्ण कारण है. ब्याज दरों में इस तेज वृद्धि का असर सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों पर स्पष्ट रूप से पड़ा है. जुलाई-सितंबर 2011 तिमाही में विकास दर अप्रैल-जून 2011 के मुकाबले 0.6 फीसदी घटी है.
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