सीमा प्रबंधन विभाग (Department of Border Management) ने संशोधित सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BDAP) के दिशा-निर्देश 8 जुलाई 2015 को जारी किए. सीमा प्रबंधन विभाग केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) के तहत एक विभाग है.
सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास कार्यक्रमों से जुड़े केंद्र सरकार के विभागों, राज्य सरकारों, नीति आयोग और सीमा की रक्षा कर रहे बलों सहित सभी संबंधित पक्षों से विचार विमर्श के बाद ये बदलाव किये गये.
बीएडीपी के दिशा निर्देशों में निम्नलिखित महत्वपूर्ण संशोधित दिशा-निर्देशों को शामिल किया गया हैं.
• सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम का विस्तार अंतरराष्ट्रीय सीमा से 0-10 किमी के अंदर स्थित सभी गावों को कवर करने के लिए किया गया है. इसमें 17 राज्यों के सीमावर्ती ब्लॉक का ध्यान भी नही रखा गया है जो अंतरराष्ट्रीय भूमि सीमाओं का गठन किया गया था.
• सीमाई क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) राज्य सरकारों के जरिये सीमाई कस्बों में इसी वित्त वर्ष 2015-16 से शुरू किया गया.
• कुछ केन्द्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों यथा-ग्रामीण विकास मंत्रालय, खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, और मानव संसाधन मंत्रालय, बीएडीपी योजनाओं के साथ इन मंत्रालयों की योजनाओं के साथ अभिसरण सुनिश्चित करने के लिए सचिव, सीमा प्रबंधन विभाग, गृह मंत्रालय की अध्यक्षता में बीएडीपी पर अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) का सदस्य बनाया गया है.
• दिशा-निर्देशों के मुताबिक राज्य सरकारों का दायित्व सीमाई प्रखंड के सिर्फ उन्हीं गांवों में बीएडीपी कोष का इस्तेमाल सुनिश्चित करना होगा जहां से अंतरराष्ट्रीय सीमा महज शून्य से दस किलोमीटर के बीच स्थित है.
• बीएडीपी के तहत अनुमत योजनाओं की सूची को निम्नलिखित योजनाओं / गतिविधियों को शामिल करने के लिए विस्तारित किया गया.
a) स्वच्छता अभियान
b) कौशल विकास कार्यक्रम
c) सीमावर्ती क्षेत्रों में खेल गतिविधियों का संवर्धन
d) ग्रामीण पर्यटन / सीमा पर्यटन का संवर्धन
e) धरोहर स्थलों का संरक्षण
f) दूरस्थ और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में हैलीपैड का निर्माण जहां सडकों का आवागमन नहीं है.
g) खेती में आधुनिक/वैज्ञानिक तकनीक, जैविक खेती, और अन्य के उपयोग के लिए किसानों का कौशल विकास प्रशिक्षण.
• स्वतंत्र निरीक्षक (व्यक्तिगत / एजेंसी) द्वारा बीएडीपी योजनाओं के आकस्मिक निरीक्षण के लिए गृह मंत्रालय के तहत तीसरी पार्टी के निरीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र के लिए प्रावधान किया गया है जिसे नेशनल क्वालिटी मॉनिटर के रूप में नामित किया गया.
• राज्य सरकार और जिला स्तरीय निगरानी / सतर्कता समिति जिसमें मौजूदा संसद और विधायकों के स्थानीय सदस्यों का प्रतिनिधित्व होगा, द्वारा बीएडीपी योजनाओं की निगरानी करेगी.
पृष्ठभूमि
सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) को 17 राज्यों में कार्यान्वित किया जाएगा, जिनका गठन अंतरराष्ट्रीय भूमि सीमाओं के तहत किया गया था. वे 17राज्य हैं: अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल.
यह इन 17 राज्यों में 104 सीमावर्ती जिलों के 367 बॉर्डर ब्लाकों में लागू किया जाना है.
बीएडीपी शुरू करने का मकसद अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास और दूरवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की विशेष विकास जरूरतों को पूरा करना है. इस परियोजना का लक्ष्य केंद्र या राज्य सरकारों की योजनाओं या बीएडीपी के जरिये आवश्यक बुनियादी सुविधाओं के साथ सीमाई इलाकों में स्थायित्व लाना है.
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