पंद्रह सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने 14 जुलाई 2014 को न्यूयॉर्क में सर्वसम्मति से प्रस्ताव संख्या 2165 को स्वीकार किया. प्रस्ताव संख्या 2165 तीस लाख सीरियाई लोगों को सीमा पार से मदद करने की अनुमति प्रदान करता है.
यह प्रस्ताव संघर्ष काल में सीरिया के लोगों में 180 दिनों तक राहत की सामग्री का वितरण करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की मानवीय एजेंसियों और अन्य एजेंसियों को अधिकृत करता है. साथ ही यह अनुपालन को आश्वस्त करने के लिए एक निगरानी तंत्र की शीघ्र स्थापना का भी प्रावधान है.
चार अतिरिक्त सीमा पार माध्यम जिनके जरिए राहत सामग्री का वितरण होगा, हैं– बाब अल– सलाम, बाब अल– हवा, अल यारुबियाह और अल– रमता. बाब अल–सलाम और बाब अल– हवा सीमा पार तुर्की में, अल– यारूबियाह और अल– रमता जॉर्डन में हैं. सीमा पार की ये सभी संस्थाएं सीरिया सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं.
राहत सामग्री खाद्य वस्तुओं, बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं, चिकित्सीय एवं शल्य चिकित्सा की आपूर्ति के वितरण के रूप में मिलेगी. सुरक्षित भोजन और बुनियादी स्वास्थ्य सेवा की कमी के कारण सीरिया में मानवीय स्थित बहुत खराब हो गई है.
इस प्रस्ताव में संघर्ष विराम और राजनीतिक वार्ता कायम करने की बात भी कही गई है. प्रस्ताव में घोषित किया गया है कि संघर्ष में शामिल सीरिया की सभी पार्टियों को मानवीय सहायता के वितरण में मदद करनी होगी और उन्हें संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों को सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाने होंगे.
यह प्रस्ताव परिषद द्वारा प्रस्ताव संख्या 2139 को फरवरी 2014 में अपनाने के पांच महीने के बाद सामने आया है जिसमें सीरिया के भीतर तीन वर्ष से ज्यादा समय से संघर्ष वाले इलाके में जरूरतमंद लोगो को निर्बाध मानवीय मदद पहुंचाने की मांग की गई है. 14 जुलाई 2014 को पारित किए गए प्रस्ताव के सह प्रायोजक देश थे ऑस्ट्रेलिया, जॉर्डन और लक्जमबर्ग. शुरुआती विरोध के बाद रुस और चीन दोनों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
टिप्पणी
यूएनएससी ने 14 जुलाई 2014 को सीरिया में बढ़ते मानवीय संकट के बीच प्रस्ताव संख्या 2165 को अपनाया. यूएन की मानवीय एजेंसियों के मुताबिक सीरिया के तीस लाख शरणार्थी देश के बाहर हैं और 10.8 मिलियन सीरिया में विस्थापित होने को मजबूर हैं. इनमें से 4.5 मिलियन लोग मुश्किल पहुंच वाले इलाकों में रह रहे हैं.
अपनी आखिरी रिपोर्ट में यूएन के महासचिव बान की– मून ने कहा है कि मानवीय उपयोग की वस्तुओं के लिए मुख्य बाधा सीरियाई अधिकारियों द्वारा जानबूझकर व्यवस्थित ढंग से राहत सामग्री के वितरण को रोकना है. यह बात रिपोर्ट में कही गई है कि महीना – दर– महीना सीरिया के अधिकारियों ने असद के शासन के विरोध में उसके नियंत्रण वाले क्षेत्रों में कमजोर तबके के लिए चिकित्सा और शल्य उपकरणों को जब्त कर लिया और वे यूएन की प्राथमिकताओं में शामिल सीमा पार की मानवीय सहायता को स्वीकार करने से मना करते आए हैं.
प्रस्ताव संख्या 2165 को सीरिया में मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए गंभीर प्रयास के तौर पर लिया जाना चाहिए. 150000 लोगों की मौत के साथ सीरिया संकट अब अपने चौथे वर्ष में है.
14 जुलाई 2014 को पारित प्रस्ताव में हाल के दिनों में बंटी हुई परिषद ने पहली बार सीरिया के मुद्दे पर एकमत समझौता करते दिखी. इससे पहले, परिषद सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल– असद के प्रमुख सहयोगी रूस और चीन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों के बीच बंटी हुई थी जो विपक्ष का समर्थन कर रहे थे.
फरवरी 2014 में यूएनएससी एक दुर्लभ समझौते पर सहमत हुई और प्रस्ताव संख्या 2139 को अपनाया जिसमें बढ़ते मानवीय संकट पर फोकस किया गया था और मांग की गई थी कि संघर्ष प्रभावित सभी इलाकों में तत्काल सहायता पहुंचाई जाए, आबादी वाले क्षेत्रों की घेराबंदी खत्म की जाए, नागरिकों को भोजन से वंचित करना रोका जाए, नागरिकों पर हमले रोके जाएं और विदेशी लड़ाकों को बाहर निकाला जाए. प्रस्ताव संख्या 2139 में परिषद को सीरियाई पार्टियों द्वारा किए जाने वाले जरूरों कामों के बारे में स्पष्ट उल्लेख किया गया था लेकिन वास्तव में सीरिया की स्थिति बेहद खराब है.
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