केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 16 नवंबर 2015 को जनता की टिप्पणी लेने के लिए हाइड्रोकार्बन रकबा हेतु राजकोषीय एवं संविदात्मक व्यवस्था के लिए पुरस्कार के लिए परामर्श पत्र जारी किया.
इस नई नीति का उद्देश्य मौजूदा अन्वेषण और उत्पादन प्रबंधन में सुधार लाना और आगे चलकर व्यापार में सुविधा प्रदान करना है. यह सितंबर 2015 में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा अनुमोदित सीमांत क्षेत्रों की नीति के अनुरुप है.
प्रस्तावित नीति की मुख्य विशेषताएं
समरूप लाइसेंसिंग नीति (यूएलपी): तेल एवं प्राकृतिक गैस संसाधनों के परंपरागत और गैर परंपरागत संसाधनों को ढूंढने के लिए ठेकेदारों को सक्षम करने हेतु पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि के लिए अलग लाइसेंस की बजाए एक यूएलपी जारी किया जाएगा. इसमें कोल बेड मीथेन, शैल गैस, घन गैस, गैस हाइड्रेट्स के लिए दिया जाने वाला लाइसेंस भी होगा.
ओपन एकरिज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी): यह कंपनियों को 3.14 लाख वर्ग किलोमीटर के भीतर अपनी पसंद के क्षेत्रों के लिए बोली लगाने की अनुमति देगा. इसके बाद इसको हाइड्रोकार्बन महानिदेशक (डीजीएच) अपने खुद के भूवैज्ञानिक एवं भूभौतिकीय आंकड़ों के साथ मान्यता प्रदान करेंगे.
राजस्व भागीदारी करार ( रेवेन्यू शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट– आरएससी): मौजूदा उत्पादन– साझेदारी अनुबंध की बजाए, मसौदे में राजस्व– साझेदारी मॉडल का सुझाव दिया गया है ताकि पारदर्शी और बाजार आधारित तंत्र को लाया जा सके.
मूल्य निर्धारण एवं विपणन स्वतंत्रताः सरकार निर्धारित मूल्य तंत्र के खिलाफ ठेकेदारों को उत्पादन हेतु प्रोत्साहित करने के लिए मूल्य निर्धारण और विपणन स्वतंत्रता प्रदान की जाएगी.
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