जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सभा सदस्यों का 11 वां सम्मेलन 1 से 19 अक्तूबर 201 तक आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद में आयोजित करने का निर्णय लिया गया. इस सम्मेलन में लगभग 194 देशों के पर्यावरण एवं वनमंत्री, विश्व बैंक एवं एडीबी जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के भाग लेने की संभावना है. भारत के लिए यह बड़े गौरव की बात है कि वह पिछले 60 वर्षों में पहली बार इस सम्मेलन के आयोजन की मेजबानी भारत को सौंपी गई. इस सम्मेलन पर लगभग 87 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है. सम्मेलन में जैविक विविधता पर्यावरण प्रणाली सेवाओं को होने वाले खतरों एवं मौसम परिवर्तन पर भी विचार किया जाना है. वैज्ञानिक मूल्यांकनों, औजारों के विकास, प्रोत्साहन एवं प्रक्रियाएं, प्रौद्योगिक का हस्तांतरण बेहतर पद्धतियों और देशज एवं व्यापार समुदायों सहित संबंधित वनधारकों की पूर्ण एवं क्रियात्मक भागीदारी पर भी इसमें विचार-विमर्श किया जाना है.
विदित हो कि जैविक विविधता पर पहला सम्मेलन रियो डि जीनेरियो में पृथ्वी सम्मेलन के नाम से 1992 में हुआ था. जैव-विविधता पर सम्मेलन जैव विविधता के संरक्षण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि है.
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