ज़िम्बाब्वे के राष्ट्रपति रोबर्ट मुगाबे को 22 अक्टूबर 2015 को कन्फ़्यूशियस शांति पुरस्कार-2015 से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार चीन द्वारा वैश्विक स्तर पर सौहार्द बढ़ाने हेतु दिया जाता है. यह पुरस्कार चीन द्वारा दिया जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार है तथा इसे नोबेल शांति पुरस्कार के समकक्ष माना जाता है.
रोबर्ट मुगाबे को विभिन्न कठिनाइयों का सामना करके देश की सरकार, अर्थव्यवस्था में सुधार लाने तथा 91 वर्ष की आयु में भी सक्रिय रूप से कार्य करने पर यह सम्मान दिया गया.
मुगाबे ज़िम्बाब्वे के प्रमुख नेता है, वे वर्ष 1980 में देश के इंग्लैंड से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही शासन कर रहे हैं. उन्होंने 1980 से 1987 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. वे वर्ष 1987 में ज़िम्बाब्वे के पहले राष्ट्रपति बने तथा तब से इसी पद पर कार्यरत हैं.
जनवरी 2015 में उन्हें अफ्रीकन यूनियन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. अपने 35 वर्ष के शासनकाल में वे यदाकदा विवादों में फंसते रहे हैं. उन पर भ्रष्टाचार तथा मानवाधिकारों की अनदेखी का आरोप लगता रहा है. वर्ष 1980 एवं 1990 में हुए भीषण जन संग्राम में सैंकड़ों लोग मारे गये जिसका आरोप भी उन पर लगाया गया.
कन्फ़्यूशियस शांति पुरस्कार
• इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 2010 में चीन की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा की गयी. ऐसा कहा जाता है कि इसे इसलिए आरंभ किया गया क्योंकि चीन सरकार जेल में कैद लिऊ ज़ियाबो को नोबेल शांति पुरस्कार दिए जाने से क्षुब्ध थी.
• इसे कन्फ़्यूशियस के विचारों पर आधारित विश्व में शांति की स्थापना एवं विचारों के प्रसार के उद्देश्य से दिया जाता है.
• इस पुरस्कार में 5 लाख युआन तथा कन्फ़्यूशियस की एक सोने की प्रतिमा दी जाती है.
• इससे पहले व्लादिमीर पुतिन (2011), कोफ़ी अन्नान एवं युआन लोंग्पिंग (2012) एवं फिदेल कास्त्रो (2014) को यह सम्मान दिया जा चुका है.
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