भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्से पर देखें, तो हमें हरियाणा जैसा प्रमुख राज्य देखने को मिलता है। भारत का यह राज्य अपनी विविध संस्कृति और अनूठी परंपराओं के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है। राज्य का इतिहास महाकाव्य महाभारत से लेकर 1857 की क्रांति तक देखने को मिलता है, जिसमें राज्य के अलग-अलग स्थानों का विशेष महत्त्व रहा है।
यहां समय-समय पर अलग-अलग शासकों द्वारा शासन किया गया। इस दौरान यहां कई प्रमुख किलों का निर्माण भी हुआ। ऐसे में यहां एक किला ऐसा भी है, जिसे कभी ‘हिंदुस्तान की दहलीज’ भी कहा जाता था। कौन-सा है यह किला, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
हरियाणा का परिचय
हरियाणा राज्य का गठन 1966 में पंजाब से अलग कर किया गया था। यह देश का 20वां सबसे बड़ा राज्य है, जो कि 44,212 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। प्रदेश में कुल 10 नगर निगम, 91 विधानसभा सीटें, 10 लोकसभा सीटें, 5 राज्यसभा सीटें, 22 जिले, 93 तहसील और 73 उपमंडल हैं।
कौन-सा किला था ‘हिंदुस्तान की दहलीज’
हरियाणा के हांसी शहर में स्थित हांसी का किला प्राचीन समय में हिंदुस्तान की दहलीज के तौर पर जाना जाता था। यह किला आज भी यहां मौजूद है, जो कि भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित किलों में शामिल है।
क्यों कहा जाता था हिंदुस्तान की दहलीज
एक समय था, जब भारत में आक्रमण करने वाले हरियाणा के इस रूट से आया करते थे। वहीं, उस समय, जो शासक दिल्ली सल्तनत पर अधिकार जमा लेता था, तो उसे हिंदुस्तान का बादशाह माना जाता था। ऐसे में दिल्ली में प्रवेश करने के लिए यह अहम किला होता था। ऐसा कहा जाता है कि यदि इस किले को जीत लिया जाता था, तो हिंदुस्तान पर शासन करने की राह आसान हो जाती थी। इस वजह से इसे हिंदुस्तान की दहलीज कहा जाता था।
पृथ्वराज चौहान से है संबंध
हांसी किले का संबंध महान शासक पृथ्वीराज चौहान से रहा है। कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी में उन्होंने इस किले में कई महत्त्वपूर्ण परिवर्तन कराए। किला अपनी सैन्य रणनीति और भारी भरकम सेना के लिए भी जाना जाता था। यही वजह था कि इस किले को भेदना मुश्किल था।
तलवारों के निर्माण के लिए जाना जाता था किला
हांसी किला उस समय अपने यहां बनने वाली तलवारों के लिए भी जाना जाता था। यहां युद्ध में इस्तेमाल किए जाने के लिए अलग-अलग प्रकार की तलवारों का निर्माण किया जाता था, जिससे इस किले का नाम असीरगढ़ का किला भी पड़ गया था। क्योंकि, ‘असी’ का अर्थ ‘तलवार’ से है, तो ‘गढ़’ का संबंध ‘किले’ से होता है, जिससे इसका नाम ‘असीरगढ़’ पड़ा।
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