बिहार का नाम सुनते ही हमारे मन में वहां कि संस्कृति, इतिहास, ऐतिहासिक विरासत, रिती-रिवाज, छठ पूजा, गीत और भाषाओं का ख्याल आने लगता है। बात अगर बिहार के भाषा की करें, तो वहां विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती है, जिसमें से हिन्दी और भोजपुरी सबसे प्रसिद्ध भाषाओं में से एक हैं। लेकिन, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बिहार में एक-दो नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती है।
बात अगर बिहार के भाषाओं की करें, तो यह विभिन्न फूलों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है, जिसके हर कोने में आपको एक नई भाषाओं की धुन सुनने को मिलेगी। आइए बिहार के विभिन्न भाषाओं (Languages of Bihar) के बारे में जानते हैं, जो दुनिया भर में प्रसिद्ध है। बिहार की मीठी भाषाएं लोगों के दिलों पर राज करती हैं।
बिहार का पुराना नाम क्या था?
भारत का इकलौता जिला जिसकी सीमाएं 4 राज्यों से घिरी हैं, कहलाता है एनर्जी कैपिटल ऑफ इंडिया
भोजपुरी
बिहार भोजपुरी भाषाओं के लिए बेहद प्रसिद्ध है। यहां के पूर्वी अत्तर प्रदेश सहित अन्य हिस्सों में खूब भोजपुरी बोली जाती है। बिहार में भोजपुरी का प्रचलन ब्रिटिश काल से ही है और जैसे-जैसे यहां से लोग दूसरे देशों में जाते गए यह भाषा दुनिया के कई कोनों में प्रसिद्ध होती गई। पहले इस भाषा को 'कैथी' लिपि में लिखा जाता था, लेकिन अब यह देवनागरी में लिखी जाती है। हालांकि, भोजपुरी को एक अलग पहचान दिलाने की कोशिश जारी है, लेकिन अभी तक इसे आधिकारिक तौर पर यह दर्जा नहीं दिया गया है।
मैथिली
बिहार के मिथिला क्षेत्र और भारत के अन्य भागों में बोली जाने वाली मैथिली लगभग 3.2 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। यह नेपाल में दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। इसे कभी केवल एक बोली माना जाता था, लेकिन अब यह भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। पहले इसे 'मिथिलाक्षर' लिपि में लिखा जाता था, लेकिन अब अधिकतर देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जाता है। मैथिली का सबसे पुराना लिखित पाठ 14वीं शताब्दी का है, जो इसकी प्राचीनता को दर्शाता है।
मगही
मगही भाषा का प्राचीन 'मगधी प्राकृत' से गहरा संबंध है, जिसे महात्मा बुद्ध से सीधा जुड़ा माना जाता है। लगभग 1.3 करोड़ लोग मगही बोलते हैं, खासकर पटना, नालंदा, गया, नवादा, जहानाबाद और औरंगाबाद जैसे जिलों में। इसकी ऐतिहासिक जड़ें इसे बिहार की एक महत्वपूर्ण भाषा बनाती हैं।
अंगिका
अंगिका मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्वी बिहार के साथ-साथ झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। यह बंगाली और मैथिली से काफी मिलती-जुलती है और कभी-कभी इसे मैथिली की एक उप-बोली भी माना जाता है। अंगिका बोलने वालों की संख्या के अनुमान अलग-अलग हैं, लेकिन इसकी खासियत यह है कि इसका लिखित साहित्य लगभग 800 ईस्वी पुराना है, जो इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा को दर्शाता है।
बज्जिका
बज्जिका भाषा बिहार के बज्जिकांचल क्षेत्र और नेपाल के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। अनुमान है कि इसे बोलने वालों की संख्या लगभग 1.5 करोड़ हो सकती है। इसे पहले 'वैशाली बोली', 'वृज्जिका' या 'बृज्जिका' जैसे नामों से जाना जाता था। इसका नाम लगभग 600 ईसा पूर्व के प्राचीन वज्जि साम्राज्य के नाम पर रखा गया है, जो इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दर्शाता है।
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