भारत में नोट छापने का एकाधिकार यहाँ के केन्द्रीय बैंक अर्थात भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है. भारतीय रिज़र्व बैंक पूरे देश में एक रुपये के नोट को छोड़कर सभी मूल्यवर्गों (denominations)के नोट छापता है. एक रुपये के नोट छापने और सभी प्रकार के सिक्के बनाने का अधिकार वित्त मंत्रालय के पास है. एक रुपये के नोट पर रिज़र्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर नही बल्कि वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं. ध्यान देने योग्य बात यह है कि पूरे देश में मुद्रा की पूर्ती (नोट और सिक्के दोनों) करने का अधिकार केवल भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है. अर्थात वित्त मंत्रालय एक रुपये के नोट और सभी सिक्के बनाकर रिज़र्व बैंक के पास भेज देता है.
भारत में कितनी मुद्रा R.B.I.द्वारा छापी जायेगी इसका निर्धारण न्यूनतम आरक्षी प्रणाली (Minimum Reserve System) के आधार पर किया जाता है. यह प्रणाली पूरे देश में 1957 से कार्य कर रही है जिसके अनुसार R.B.I. को 200 करोड़ की संपत्ति को अपने पास रखना होता है; जिसमे सोने का भण्डार रु.115 और 85 करोड़ रु. की विदेशी मुद्रा रखनी होती है. R.B.I.इतनी संपत्ति अपने पास रखकर अर्थव्यवस्था की जरुरत के हिसाब से कितनी भी मात्रा में रुपया छाप सकती है. इसे ही न्यूनतम आरक्षी प्रणाली कहा जाता है.
ज्ञातव्य है कि नोटबंदी के बाद RBI द्वारा बड़ी मात्रा में नए 200 रु., 500 रु. और 2000 रु. के नोटों की छपाई की गयी थी. जिसके कारण RBI का मुद्रा छपाई पर किया जाने वाला खर्च बहुत बढ़ गया है.
भारत की करेंसी नोटों का इतिहास और उसका विकास
रिज़र्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट कहती है कि उसने जुलाई 2016 से जून 2017 के बीच नोटों की छपाई पर 7,965 करोड़ रुपये खर्च किये है जो कि पिछले साल के खर्च 3,420 करोड़ रुपये की तुलना में 133% अधिक है. इसका नतीजा यह हुआ कि रिज़र्व बैंक द्वारा केंद्र सरकार को दिए जाने वाले लाभ हस्तांतरण में 54% की कमी आई है.
इतनी जानकारी के बाद अब दिमाग में यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि आखिर इन रुपयों की छपाई में कितना खर्च आता है अर्थात एक नोट को बनाने में कितनी लागत आती है.
नोटबंदी के बाद RBI की ओर से जारी किए गए 500 रुपए के नोटों की लागत का पता चल गया है. सरकार ने लोकसभा में 18 दिसम्बर 2017 को इस सम्बन्ध में यह जानकारी दी है.
सरकार की ओर से दिए गए एक लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री पी. राधाकृष्णन ने बताया कि पिछले साल नोटबंदी के बाद से 8 दिसंबर तक 500 रुपए के कुल 1,695.7 करोड़ नए नोट छापे गए हैं. सरकार ने 2000 और 200 रुपए की कीमत वाले नोटों की छपाई और उन पर किए जाने वाले खर्च की जानकारी भी दी है.
आइये जानते हैं कि किस नोट की छपाई पर कितनी लागत आती है:
1. 200 रुपये का नोट छापने की लागत
अब तक रिज़र्व बैंक ने अब तक 200 रुपये की मूल्य वैल्यू के 178 करोड़ नोट छापे हैं जिनकी कुल लागत 522.8 करोड़ रुपए आई है. इस प्रकार रिज़र्व बैंक को 200 रुपये का एक नोट छापने पर लगभग 2.93 रुपए खर्च करने पड़े हैं.
2. 500 रुपए का नोट छापने की लागत
8 नवम्बर, 2016 से अब तक रिज़र्व बैंक ने 500 रूपये की वैल्यू के 1,695.7 करोड़ नोट छापे हैं जिनकी कुल छपाई लागत 4,968.84 करोड़ रुपए आई है. अर्थात रिज़र्व बैंक को 500 रूपए का एक नोट छापने में 2.94 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं. इसका मतलब यह हुआ कि 500 रुपये छापने पर सरकार के पास सिर्फ 497 रुपये के लगभग ही लाभ के रूप में पहुँच रहे हैं.
3. 2000 रुपए का नोट छापने की लागत
ज्ञातव्य है कि भारत सरकार ने नोटबंदी के समय 1000 का नोट बंद कर दिया था और उसके स्थान पर 2000 रुपये का नया नोट जारी किया था. इस प्रकार नवम्बर 2016 से अब तक 2000 रु. के कुल 365.4 करोड़ नोट छापे जा चुके हैं और इनकी छपाई पर कुल 1,293.6 करोड़ रुपए का खर्च आया. इस प्रकार कैलकुलेशन करने पर पता चला कि रिज़र्व बैंक को 2000 रुपये का एक नोट छापने के लिए 3.54 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं.
यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि रिज़र्व बैंक को नोटों की छपाई के लिए मुख्य खर्च नोट में इस्तेमाल होने वाले कागज, स्याही, सुरक्षा धागा और मशीनों की खरीद पर करना पड़ता है. रिज़र्व बैंक नोट बनाने में इस्तेमाल होने वाले कागज और स्याही को विदेशों से आयात भी करता है.
उम्मीद है कि आपको नोटों की छापाई में आनी वाली लागत को जानकर अच्छा लगा होगा.
भारत में रुपया कैसे, कहां बनता है और उसको कैसे नष्ट किया जाता है?
Comments
All Comments (0)
Join the conversation