ग्लेशियरों के पिघलने की हुई पुष्टि
द एशिया सोसाइटी ने लीं तस्वीरें:
माउंट एवरेस्ट से ली गई तस्वीरों से यह बात पूरी तरह से सिद्ध हो गई है कि 89 वर्ष में हिमालय की काफी बर्फ पिघल चुकी है। इन तस्वीरों से यह भी अनुमान लगाया गया है कि इस सदी के मध्य तक ये ग्लेशियर बुरी तरह से प्रभावित हो चुके होंगे। ये तस्वीरें द एशिया सोसाइटी ने खींची हैं और बाद में इनका तुलनात्मक अध्ययन किया।
होंगे भयंकर दुष्परिणाम
हिमालय दुनिया का सबसे बड़ा बर्फ का भंडार है। इन ग्लेशियरों के पिघलने से गंगा, ब्रह्म्ïापुत्र, सालवीन, इरावदी, मेकोंग, यांग्त्से और येलो नदियों का जल अपवाह प्रभावित होगा। इन नदियों पर भारत, बांग्लादेश , चीन इत्यादि देशों के करोड़ों लोगों की आजीविका निर्भर करती है। अंतत: इसका बुरा प्रभाव यहां की कृषि पर पड़ेगा और उत्पादकता में कमी आएगी।
इसके पहले भी हिमालय के ग्लेशियरों को लेकर काफी विवाद हो चुका है। भारतीय वैज्ञानिक डॉ. आर. के. पचौरी की अध्यक्षता वाली संयुक्त राष्ट्र पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज ने 2035 तक हिमालय के ग्लेशियरों के पूरी तरह से पिघल जाने की घोषणा की थी, जिसको बाद में इस संस्था ने वापस ले लिया था।
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