बाघों को बचाने के लिए सम्मेलन
रूसी प्रधानमंत्री ने बुलाया सम्मेलन:
दुनिया भर में बाघों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है। हालात यहां तक पहुँच गए हैं कि यदि इसे बचाने का प्रयास न किया गया तो जल्दी ही यह जीव लुप्तप्राय हो जाएगा। इसी तथ्य को देखते हुए दुनिया का पहला बाघ सम्मेलन रूस में वहां के प्रधानमंत्री व्लादिमिर पुतिन द्वारा आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में प्रण किया गया कि इस विलुप्त होते हुए प्राणी को बचाने के लिए दानदाताओं से 33 करोड़ डॉलर की राशि जुटाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले सौ सालों में बाघों की संख्या एक लाख से घटकर साढ़े तीन हजार से भी कम हो गई है।
क्या उद्देश्य है सम्मेलन का?
सम्मेलन के आयोजन का मुख्य उद्देश्य एक पंचवर्षीय योजना बनाकर बाघों को बचाने के लिए राजनीतिक व आर्थिक सम्मेलन जुटाना था जिससे लोगों में जागरुकता पैदा की जा सके।
गौरतलब है कि दुनिया में और उसमें भी खासकर भारत में अवैध शिकार की वजह से दुनिया में बाघों की संख्या अब मात्र साढ़े तीन हजार के आसपास रह गई है और इसमें भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।
ऐसा भी कहा जा रहा है कि यदि यही स्थिति बनी रही तो अगले 20 वर्र्षों में दुनिया के जंगलों से बाघ समाप्त हो जाएंगे।
सम्मेलन में फैसला लिया गया कि वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने पर सहमति बन गई। इस सम्मेलन के बाद सभी देश मिलकर एक कार्ययोजना तैयार करेंगे। वे एक ऐसी संस्था की स्थापना के बारे में भी विचार करेंगे जो इस सम्मेलन के घोषणापत्र को अमल में लाने की दिशा में काम कर सके।
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