तमाम स्टार्ट-अप्स की तरह ऑरस नेटवर्क के सामने भी शुरुआत में फंडिंग को लेकर दिक्कतें आई, पर कोशिशों से सॉल्यूशन निकल ही आया। इसके बाद कंपनी के ऑनलाइन कोचिंग का कारोबार फुल स्पीड से चल निकला..
माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी का जॉब ऑफर ठुकराना आसान बात नहींहै, लेकिन आईआईटी कानपुर से एमटेक करने वाले पीयूष अग्रवाल ने कुछ ऐसा ही किया। जॉब ठुकराने के बाद वे रिसर्च के लिए यूएस के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी चले गए। वहां भी मन नहींलगा, तो फिर इंडिया लौट आए। इसके बाद जुलाई 2010 में बेंगलुरु में ऑरस नेटवर्क की शुरुआत की। यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां से क्वालिफाइड प्रोफेसर्स इंडिया या अब्रॉड में बैठे स्टूडेंट्स के लिए क्लासेज कंडक्ट करते हैं। ऑरस का मकसद डिस्टेंस लर्निग और ऑनलाइन एजुकेशन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।
प्रोफेसर्स हुए टेक सेवी
ऑरस नेटवर्क के सीईओ पीयूष अग्रवाल कहते हैं कि इंडियन मार्केट में रिसर्च से उन्हें पता चला कि यहां टीचर्स और स्टूडेंट्स का रेशियो अच्छा नहीं है। ज्यादातर टीचर्स टेक्नोलॉजी फ्रेंडली भी नहीं हैं। इसके बाद मेरे मन में ऑनलाइन ट्यूटोरियल शुरू करने का विचार आया, ताकि ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स तक क्वालिटी एजुकेशन पहुंच सके। आज करीब 50 इंस्टीट्यूट्स ऑरस के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ऑरस उन्हें टेक्नोलॉजी प्रोवाइड करा रही है। इंस्टीट्यूट्स के अलावा, देश भर के प्रोफेसर्स को भी ऑनलाइन क्लासेज से जोड़ा जा रहा है। शुरुआत में लोगों को कनविन्स करने में वक्त लगा, लेकिन अब वे पूरी तरह टेकसेवी हो गए हैं।
लाइव इंटरैक्शन
कोर्स हब, सुपरप्रॉफ जैसे फीचर्स के जरिए चार्टर्ड अकाउंटेंसी के स्टूडेंट्स को ऑनलाइन कोचिंग की सुविधा दी जाती है। सुपरप्रॉफ की खासियत यह भी है कि स्टूडेंट्स प्रोफेसर्स से सीधे इंटरैक्ट कर सकते हैं। इसके जरिए लाइव पोलिंग और लाइव असेसमेंट किया जा सकता है। आज इंडिया के कई क्वालिफाइड चार्टर्ड अकाउंटेंट और फाइनेंशियल मैनेजमेंट के टीचर्स सुपरप्रॉफ की मदद ले रहे हैं। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ इंडिया में ही नहीं, बल्कि दुनिया के किसी भी देश में बैठा नौजवान कर सकता है।
टेक्नोलॉजी का कमाल
वीसैट या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए क्लासेज कंडक्ट करने का चलन इंडिया में पहले से रहा है, लेकिन यह काफी खर्चीला होता है, जबकि ऑरस द्वारा डेवलप की गई टेक्नोलॉजी के साथ ऐसा नहीं है। वीडियो कंप्रेसिंग टेक्नोलॉजी के जरिए कम बैंडविड्थ (100 केबीपीएस) पर वीडियो की स्ट्रीमिंग की जाती है। इससे स्टूडेंट्स को क्वालिटी ऑडियो-विजुअल तो मिलता ही है, इस पर खर्च भी काफी कम आता है। स्टूडेंट को सिर्फ वेबसाइट पर जाकर रजिस्टर करना और सब्सक्रिप्शन लेना होता है। इसके बाद वे वीडियो एक्सेस कर सकते हैं। उन्हें स्टडी मैटीरियल भी भेजा जाता है। अच्छी बात यह है कि इसमें टीचर्स को किसी तरह का इन्वेस्टमेंट नहीं करना होता है, बल्कि उनसे रेवेन्यू शेयर किया जाता है।
मिशन एजुकेशन
आने वाले वर्षो में ऑरस नेटवर्क कंपनी सेक्रेटरी जैसे दूसरे कोर्स शुरू करने की योजना बना रहा है। फिलहाल सीए के 30 टीचर्स इनके साथ जुड़े हैं, जिसे पीयूष 100 तक पहुंचाना चाहते हैं। इसके अलावा, बोर्डिंग स्कूल्स में भी ऑनलाइन कोचिंग की सुविधा देने की प्लानिंग चल रही है। उनका मानना है कि इंडिया में अच्छे शिक्षकों की कमी नहीं है, लेकिन वे हर स्टूडेंट के लिए सुलभ नहीं हो पाते हैं। ऐसे में उन्हें एक प्लेटफॉर्म पर लाना जरूरी है। इसीलिए ऑरस की डेडिकेटेड टीम अलग-अलग शहरों से टीचर्स को ढूंढती हैं। फिर उनसे संपर्क किया जाता है।
टिप्स फॉर न्यू एंटरप्रेन्योर
किसी भी नए वेंचर की तरह ऑरस को भी शुरुआत में फंडिंग की मुश्किल आई. लेकिन फिर याहू इंडिया के पूर्व सीईओ शरद शर्मा और एचसीएल इंफोसिस्टम के को-फाउंडर अजय चौधरी ने मदद की. पीयूष की मानें, तो प्रॉब्लम ढूंढने की बजाय एक्सप्लोर करें. सोचें कम, आइडियाज को इंप्लीमेंट करें.
ऑनलाइन एजुकेशन में रिवॉल्यूशन
तमाम स्टार्ट-अप्स की तरह ऑरस नेटवर्क के सामने भी शुरुआत में फंडिंग को लेकर दिक्कतें आई, पर कोशिशों से सॉल्यूशन निकल ही आया.
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