कहते हैं किसी भी व्यक्ति की पहचान उस समय होती है जब वह कुछ बोलता है. चाहे कोई कितना भी हैंडसम या स्मार्ट क्यों न हो उसके स्मार्टनेस का सही पता तो उस समय लगता है जब वह अपनी जुबान खोलता है. अर्थात व्यक्ति के बातचीत की शैली से ही उसकी सभ्यता, योग्यता तथा शिक्षा का पता चलता है. 21 वी सदीं में तो उदारीकरण की वजह से कम्युनिकेशन पर बहुत जोर दिया जा रहा है. सही कम्युनिकेशन स्किल ग्लोबलाइजेशन के दौर में कार्पोरेट जगत की एक बहुत बड़ी डिमांड बन चुकी है. अगर आपको प्रोफेशनल जगत में सरवाइव करना है तो सही और प्रभावी कम्युनिकेशन स्किल्स की जानकारी अति आवश्यक है. इसका महत्व इसी बात से पता चलता है कि अधिकांश प्रोफेशनल कोर्सेज के अंतर्गत कम्युनिकेशन स्किल एक अनिवार्य पेपर के रूप में पढाया जाता है. अतः अपने कम्युनिकेशन स्किल्स को प्रभावी बनाने के लिए निम्नांकित बातों पर अवश्य ध्यान दें.
किसी की बात को ध्यान से सुनें : किसी की बात को ध्यान से सुनना तथा उसका मनन करना अथवा उसे अपने मन में समझना और अपनी बारी आने पर सभी बिन्दुओं को स्पष्ट रूप से समझाना या समझना ये दोनों ही बातें सही कम्युनिकेशन की अनिवार्य शर्त है अर्थात जरुरी है. कभी सामने वाले की बात सुनते समय उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए.इससे न सिर्फ आप अपनी असहमति जताते हैं बल्कि सामनेवाला का भी आपमें विश्वास कम होता है. सही कम्युनिकेशन स्किल्स का मतलब ही है सभी के साथ सौहार्द्र रिश्ते की स्थापना.इसलिए किसी से बातचीत करते समय उसमें अपनी रूचि दिखाएँ. अपने उस बातचीत को आनंददायक बनाने के लिए बीच बीच में कुछ सवाल पूछते रहिये. यदि आप ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं तो जब आप किसी से बातचीत करने की कोशिश करेंगे तो आपका कम्युनिकेशन भी उतना प्रभावी नहीं होगा.

संयम और कुशलतापूर्वक बातचीत करें : जब भी आपको अपनी बात किसी से कहनी हो या समझानी हो तो संयम पूर्वक दृढ़ता के साथ अपनी बात कहें. स्थिति कितनी भी गंभीर हो उसे अपनी भाषा पर हावी नहीं होने दें. अक्सर यह देखने में आता है कि लोग जब किसी दूसरे से बात करते हैं तो उन पर आस पास के वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है. अर्थात अगर वहां का माहौल तनाव ग्रस्त है, तो आप गुस्से में या अनमने मन से कोई भी बात करते हैं लेकिन अगर माहौल खुशनुमा हो तो आप ख़ुशी खुशी मुस्कराने के अंदाज में अपनी बात कहते हैं. लेकिन एक अच्छा कम्युनिकेटर वही है जो किसी भी परिस्थिति में संयम के साथ दृढ़तापूर्वक अपनी बात सामनेवाले के समक्ष रखने में सफल होता है. अगर आप किसी ऑफिस में काम करते हैं तो अपने सहकर्मियों तथा टीम मेम्बर्स के साथ समय और काम के हिसाब से बात सॉफ्ट भाषा का इस्तेमाल करते हुए करें. इस बात का भी ध्यान रखें कि आपका सहकर्मी या आपकी टीम आपकी बात समझने रही है. यदि ऐसा नहीं हो पा रहा है तो खीझने या परेशान होने की बजाय किसी और मेथड या उदाहरण के जरिये अपनी बात उन्हें समझाने की कोशिश करें. उदाहरण देते समय कभी भी विवादित या किसी की भी भावना को आहत करने वाले उदाहरण कत्तई नहीं दें. अगर आप अपनी बात किसी को समझा रहे हैं या अपना विचार प्रकट कर रहें हैं उस समय यदि कोई सुझाव दे रहा हो या देना चाहता हो तो निष्पक्ष रूप से उसका सुझाव सुनें तथा अगर सही लगे तो उसपर अमल करने की बात करें. उसे उसके सुझाव के लिए धन्यवाद दें.
बात करते समय अपने बॉडी लैंग्वेज का ध्यान रखें : एक अच्छा कम्युनिकेटर बनने के लिए आपका अपनी बॉडी लैंग्वेज पर पूरा नियनत्रण होना जरूरी है. क्योंकि कभी कभी ऐसा देखने को मिलता है कि लोग बोलते कुछ हैं और उनकी बॉडी लैंग्वेज कुछ और ही कहती है.इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आपकी बॉडी लैंग्वेज हमेशा आपकी भाषा के अनुरूप हो.
कम्युनिकेशन के दौरान शुरू से अंत तक सहज बने रहें : हमेशा एक सहज और सिंपल इंसान बनने की कोशिश करें ताकि लोग आपसे आसानी से बात कर सके. अपने व्यक्तित्व को ऐसा भी न बना लें कि लोग आपसे बात करने में भयभीत होते हैं. अगर ऐसा है तो आप समझ लीजिये की आपका कम्युनिकेशन स्किल्स प्रभावी नहीं है. अप लोगों पर अपनी पॉजिटिव छाप छोड़ने में सफल नहीं होते हैं. इसके अलावा कभी भी अपनी बातों को घूमा-फिराकर या तकिया कलाम लगाकर कहने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए.इससे सामने वाले पर आपका निगेटिव प्रभाव पड़ता है.
हमेशा संदर्भ के अनुसार सही भाषा का चयन करें : जब भी आप किसी से बात कर रहे हों उस समय संदर्भ के अनुसार सही शब्दों का इस्तेमाल करें, कभी भी काम चलाऊ या अभद्र भाषा या शब्दों को अपनी बातों में शामिल नहीं करें. जब आप अच्छे और इंप्रेसिव शब्दों का चयन करने लगेंगे तब लोग स्वाभाविक रूप से आपकी बातों को ध्यान से सुनने लगेंगे और उसमें रूचि लेने लगेंगे.
उम्र और व्यवसाय का ख्याल रखें : हर उम्र और व्यवसाय के लोगों से बात करने का अलग अलग तरीका होता है इसलिए जब भी आप किसी से बात करें तो उसकी उम्र और व्यवसाय का ध्यान जरुर रखें.जब आप किसी छोटे बच्चे से बात कर रहे हैं तो उसका तरीका अलग होगा और जब आप ऑफिस में बात कर रहे है तो उसका तरीका बिलकुल अलग होगा. इस लिए समय और स्थान के अनुसार बात करने की कला का विकास अपने अन्दर करने की कोशिश करनी चाहिए.
आत्म विश्वास के साथ बातचीत करें : आप में इतना आत्म विश्वास होना चाहिए कि आप जो कह रहे हैं उसके विषय में अगर कोई कुछ भी पूछता है तो आप उसका उत्तर देने में सक्षम हैं. आप कभी भी दोतरफा बातें नहीं करें. किसी भी परिस्थिति में अपनी बात को नहीं काटें. आप जो भी बोल रहे हैं उसमें आपका विश्वास होना जरूरी है और आपकी बातों से ये विश्वास छलकना भी चाहिए.
लगभग हर किसी ने लोगों को यह कहते सुना होगा कि दुनिया में जितने भी सफल आदमी हुए हैं उसके पीछे उनकी बेहतर कम्युनिकेशन स्किल का महत्वपूर्ण रोल रहा है.अगर आप भी अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते है तो ये जरूरी है कि आप अपने कम्युनिकेशन स्किल्स को लेकर स्मार्ट बनें.कम्यूनिकेशन स्किल किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का ही हिस्सा होता है और व्यक्तित्व का विकास एक दिन में नहीं होता है. यह एक अनवरत प्रक्रिया है तथा आजीवन चलता रहता है. इसलिए अपने कम्युनिकेशन स्किल्स में सुधार के लिए हमेशा मानसिक रूप से तैयार रहें.