इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक और आईबीपीएस पीओ: जानिये सेलरी, प्रमोशन और ट्रांसफर पोलिसी में अंतर

Dec 9, 2016, 15:32 IST

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की है जिसके तहत अगले साल सितम्बर से देश भर में शुरू होने वाली विभिन्न शाखाओं के लिए 650 सहायक प्रबंधक के पदों पर भर्ती होनी है। बैंक पूरी तैयारी के साथ अपना परिचालन शुरू करने जा रहा है।

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की है जिसके तहत अगले साल सितम्बर से देश भर में शुरू होने वाली विभिन्न शाखाओं के लिए 650 सहायक प्रबंधक के पदों पर भर्ती होनी है। बैंक पूरी तैयारी के साथ अपना परिचालन शुरू करने जा रहा है। यह नौकरी अभी भी कई लोगों के लिए रहस्य बनी हुई है, क्योंकि इसके बारे में अभी तक ज्यादा जानकारी निकलकर सामने नहीं आयी है। वहीं दूसरी तरफ आईबीपीएस पीओ की जॉब भी है और आपमें से कई लोग इस बात को जानने के इच्छुक होंगे कि आने वाले कुछ महीनों में किस तरह से इन नौकरियों के लिए अप्लाई करें और कैसे इनकी तैयारी करें। इस आर्टिकल के जरिये हम आईबीपीएस पीओ और आईपीपीबी पीओ दोनों के बारे में विस्तृत विश्लेषण करेंगे जिससे कि आपको इस बारे में बेहतर जानकारी मिल सके और आप भविष्य में अपनी रूचि और स्थिति के अनुसार एक बेहतर विकल्प चुन सकें ।

आईबीपीएस पीओ और आईपीपीबी पीओ : आपको कौन सा विकल्प चुनना चाहिए?

आईबीपीएस पीओ आपको देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नौकरी प्रदान करता है और अफसोस की बात यह कि इस बार आईबीपीएस पीओ एक्जाम के तहत ईसीजीसी में नियुक्ति नहीं होगी क्योंकि इस वर्ष ईसीजीसी अपने उम्मीदवारों का चयन स्वयं करेगा । यह अपने क्लास वन ऑफिसर की नियुक्ति के लिए अपने देश भर के कार्यालयों में खुद की परीक्षा आयोजित करेगा । इसके साथ ही एक्सीम बैंक भर्ती भी बैंकों की सूची में नहीं है। दूसरी ओर हमारे सामने आईपीपीबी है जो पूरी तैयारी के साथ परिचालन शुरू करने जा रहा है। चलिए हम यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि कौन जी जॉब आपके भविष्य के लिए बेहतर रहेगी:

कार्य की प्रकृति: किसी भी पीएसबी में परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में आप अपने बैंक के चालू खाता बचत खाता (सीएएसए) में होने वाले लेन- देन के साथ-साथ फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। साथ ही आप पर म्यूच्युल फंड, बीमा उत्पाद जैसे तीसरे पक्ष के उत्पाद बेचने की भी जिम्मेदारी होती है। इसके अलावा आपको विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत ऋण वितरण भी करना होता है जो आगे चलकर एनपीए(गैर- निष्पादित परिसंपत्ति) में भी तब्दील हो सकता है, इसलिए आपको यह भी सुनिश्चित करना होता है कि उधार लेने वाला इस लोन के योग्य है कि नहीं।  आईपीपीबी के मामले में आप बचत और चालू खातों के से संबंधित मसलों पर केवल 1 लाख रूपये तक की ही सीमित ऋण राशि प्रदान कर सकते हैं।
पोस्टिंग: आईबीपीएस पीओ के मामले में आप अपने सामाजिक जीवन के बारे में भूल जाइए, हां यदि आप एक महिला हैं तो आपको पोस्टिंग को लेकर कुछ रियायत मिल सकती है। आपकी पोस्टिंग ग्रामीण और सुनसान इलाकों में हो सकती है जहां कई जगहों पर तो कोई बुनियादी सुविधा नहीं होती है और ना ही बिजली होती है और ऐसे मामलों मे आपसे यह भी उम्मीद की जाती है कि आप अपने बैंक के कारोबार में बढ़ोत्तरी करें।  आपका जीवन एकांतमय हो जाता है और अधिकतर मामलों में तो आपके साथ ना परिवार होता है और ना ही मित्र और मनोरंजन के साधन  (हाँ, क्योंकि वहाँ ना कोई सिनेमा हॉल होता है ना ही कोई शॉपिंग मॉल, इसे छोड़िए कई जगह तो पानी की भी बड़ी समस्या रहती है) का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।
वेतन: ग्रामीण क्षेत्रों में आईबीपीएस पीओ कर्मचारियों के आरंभिक स्तर का वेतन 37000 हजार रुपये के आसपास होता है। इसके अलावा कोई भत्ता और आवासीय किराया भी बैंक द्वारा प्रदान नहीं किया जाता है। वहीं आईपीपीबी के मामले में शुरूआती वेतन लगभग समान ही रहता है जो आईबीपीएस पीओ के समान 23700 रहता है, वहीं ए श्रेणी के शहरों में पीएसबी अपने परिवीक्षाधीन अधिकारियों को लगभग 65000-70000 रूपये वेतन देता है जिसमें आवासीय लीज राशि भी शामिल रहती है। भारतीय स्टेट बैंक अपने नौकरी विज्ञापन में इस राशि की जानकारी देता है और यही कारण हैं कि विज्ञापन में यह राशि 12.93 लाख रुपये दिखायी देती है।
आईबीपीएस पीओ एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में कार्य करता है जबकि आईपीपीबी पीओ एक सरकारी नौकरी है: जी हाँ, आईबीपीएस पीओ के जरिए आपको सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पोस्टिंग मिलती है ना कि सरकारी बैंक में। आप एक सरकारी कर्मी नहीं होते हैं क्योंकि अधिकतर पीएसबी बैंकों में केंद्र सरकार की एक बड़ी हिस्सेदारी तो होती है लेकिन मालिकाना हक नहीं होता है। वहीं आईपीपीबी की बात की जाए तो इस पर एकमात्र स्वामित्व केंद्र सरकार का होता है क्योंकि केंद्र सरकार के पास इसके 100 फीसदी शेयर हैं।  
तनाव: आईबीपीएस पीओ एक ऐसा काम है, जहां हर कदम में आपको अपने काम तथा टारगेट को लेकर तनाव का सामना करना पड़ता है क्योंकि अपने वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निर्धारित टारगेट पूरा करना होता है। पहले ही दिन से आपकी मुख्य चिंता शुरू हो जाती है क्योंकि आपको दिए गए लेन-देन के भुगतान वाले लक्ष्य को तय समय के अंदर पूरा करना होता है। यदि आपके द्वारा दिया गया ऋण एनपीए हो जाता है तो आपको उधारकर्ताओं के घर के चक्कर भी लगाने पड़ते हैं। वहीं आईपीपीबी की बात करें तो वहाँ कोई ऋण नहीं होता है और भुगतान की सीमा 1 लाख रुपये तक ही सीमित है। अतः हम कह सकते हैं कि एक बैंक पीओ के रूप में पीएसबी अधिकारियों की तुलना में आईपीपीबी के कर्मियों का जीवन ज्यादा आसान होता है।
स्थानांतरण (ट्रांसफर): एक बैंक की नौकरी की कमजोर पहलू यह है कि इसमें लगातार ट्रांसफर होते रहता है। हर तीन साल में आपको अलग-अलग शाखाओं में विभिन्न भूमिका के लिए तैनात किया जाता है। ट्रांसफर के मामले में यह बात आईबीपीएस पीओ और आईपीपीबी पीओ दोनों पर समान रूप से लागू होती है।
प्रोमोशनल पहलू: बैंकिंग सेक्टर एक ऐसा क्षेत्र है जहां प्रमोशन की सर्वाधिक और तेजी से संभावनाएं बढती हैं। यहां यदि आप एक युवा परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में ज्वॉईन करते हैं तो इस बात के भी आसार है कि आप बैंक के चैयरमैन के पद से रिटायर हों । यह बात आईबीपीएस पीओ और आईपीपी पीओ दोनों मामले में लागू होती है, क्योंकि दोनों ही जगह अधिकारियों को प्रमोट करने के लिए प्रदर्शन को ही मानक माना जाता है। आईपीपीबी पीओ में प्रमोशन की संभावना अधिक है क्योंकि यह अभी पूरी तरह से नया है और यहीं कारण है कि इसे काम को फैलाने के लिए लोगों की जरूरत होगी। ऐसी स्थिति में आपके पास मौका होगा कि आप बैंक में एक अच्छा रैंक पा सकें ।

आईबीपीएस पीओ आपको एक नौकरी प्रदान करता है जिसे हर कोई अच्छी तरह से जानता है लेकिन आईपीपीबी पीओ के बारे में अधिकतर ऐसी चीजें हैं जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होगी क्योंकि यह पहली बार कर्मचारियों की निुयक्ति करने जा रहा है और अभी तक इसकी सेवा शर्तों के बारे में पता नहीं चल पाया है।  लेकिन अगर आप इस बार जब अपने समय को बैंक से संबंधित अन्य परीक्षाओं की तैयारी के लिए समर्पित कर रहे हैं तो आईपीपीबी पीओ आपके लिेए बेहतर और सही विकल्प होगा। आईबीपीएस पीओ की नौकरी के लिए बहुत समय चाहिए होता है और इसके साथ-साथ कई बार ध्यान अन्य तरफ भी भटक जाता है। दोनों नौकरियों में प्रमोशन पाने के तरीके और वेतन समान हैं। तो अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार निर्णय लें और जीवन में अच्छा करें।

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Education Desk

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