भारतीय स्टेट बैंक पीओ की अधिसूचना जारी हो चुकी है और इसी तरह लिपिक (क्लर्कियल) पदों पर आने वाले महीनों में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने होने वाली है। सरकारी गलियारों के साथ- साथ इन दिनों निजी क्षेत्रों में भी महिला सशक्तिकरण का नारा तेजी से फैल रहा है। कई महिलाएं पीओ और क्लर्क के रूप में बैंकिंग क्षेत्रों में काम कर रही हैं। हमारे सामने सबसे अच्छा उदाहरण है भारतीय स्टेट बैंक की वर्तमान चैयरमैन, जिन्होंने 1977 में में एक परिवीक्षाधीन अधिकारी (पीओ) के रूप में बैंकिग क्षेत्र में नौकरी की शुरूआत की थी। हालांकि पोस्टिंग अभी भी एक मुद्दा बना हुआ हैं, एसबीआई का मानव संसाधन (एचआर) विभाग अधिकतर पीओ के मामले में महिलाओं को घर के आस पास ही पोस्टिंग देता है और अधिकतर लिपीकीय कॉडर के लिए भी इतने नजदीक में पोस्टिंग देता है कि कम से कम रोजाना घर से आना-जाना हो सके।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) पीओ बनाम एसबीआई क्लर्क: कौन सी जॉब महिलाओं के लिए अधिक उपयुक्त है?
महिला या पुरूष के मामले में सबसे पहला सवाल भेदभाव को लेकर उठता है। खैर, व्यावहारिक रूप से, यह संभव नहीं है कि एक औरत अपने परिवार के बिना घर से कहीं दूर रहे। वह हर दिन देर रात तक नहीं रूक सकती है क्योंकि उसे घर समय पर पहुंचना होता है। जीवन में कार्य का संतुलन प्रभावित हो सकता है । हालांकि, भारतीय स्टेट बैंक के अहम पदों पर कई महिलाएं विराजमान हैं जो कई तरह की जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं। चलिए कई ऐसे कारकों के बारे में बात करते हैं जो आपको अपने करियर के प्रति निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं:
- पीओ की नौकरी में जिम्मेदारियां बढ़ जाती है: यदि आपके पास कुछ अधिकारों को अमल में लाने की शक्ति है, तो इसके साथ ही आपके पास इसका निर्वहन करने की भी जिम्मेदारी होती है, क्योंकि शक्तियां, बिना जिम्मेदारी की नहीं मिलती हैं। लिपिक कर्मचारियों के लिए, आपके पास जिम्मेदारी लेने के लिए आपका अधिकारी होता है लेकिन एक अधिकारी को खुद जिम्मेदारी निर्वहन करनी होती है। इसके लिए आपको समझौता भी करना पड़ता है। जिम्मेदारी के संदर्भ में, यह गुण पुरूषों की तुलना में महिला उम्मीदवारों में स्वाभाविक रूप से विद्यमान होता है। कहा जाता है कि, यह एक आदमी पर निर्भर करता है कि वह कार्य करे और जिम्मेदारी को बखूबी से निभाए तथा एक विशेष वर्ग (पुरूष या महिला) से इसका कुछ लेना देना नहीं है।
- पीओ मतलब कार्य के घंटों का दवाब: यदि आप जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं, तो आपको लंबे वर्किंग ऑवर्स (कार्य के घंटे) तक खुद को काम करने के लिए तैयार करना होगा, कम से अपनी ज्वॉईनिंग के आरम्भिक वर्षों में। इस संबंध में एक लिपिक स्टाफ के रूप में आप बिजनेस ऑवर्स के बाद घर जाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन एक पीओ के रूप में आप ऐसा नहीं कर सकते हैं।
- पीओ मतलब बेहतर मेहनताना: यह एक नौकरी में प्रमुख कारक होता है और जब आप दोनों पदों की सीटीसी को देखते हैं तो आपको दोनों पदों के बीच फर्क का गहराई से पता चलता है। एक लिपिक की तुलना में एक पीओ का प्रारंभिक वेतन लगभग दोगुना होता है और साथ में आपको उनसे अधिक भत्ते, सुविधाएं और फोन का खर्चा भी मिलता है।
- पीओ मतलब है सर्वे-सर्वा: जीवन में ऐसा कौन है जो अधिकार नहीं चाहता है और हाँ, पीओ आपको यह मौका देता है। आपके पास लिपिकीय (क्लर्कियल) स्टाफ होता है और आप उसे काम का आवंटन करने और उसका सुपरवीजन आदि करने के लिए अधिकृत होते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि आप लिपिकीय स्टाफ के कार्य का निरीक्षण करने के लिए सर्वे-सर्वा हैं। क्या अभी भी कार्य की भूमिका के बारे में अनिश्चित हैं? ठीक है, आपके पास प्राधिकरण के एक अधिकारी के रूप में अपने क्लर्क को आदेश देने का अधिकार है।
- पीओ का मतलब है बेहतर पदोन्नति: जी हां, आप एक कदम आगे से शुरू करते हुए अपने समर्पण और धैर्य के साथ आप कई कदम आगे जाकर इसे शानदार तरीके से खत्म कर सकते हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण श्रीमती अरुंधती भट्टाचार्य हैं, जो भारतीय स्टेट बैंक की वर्तमान अध्यक्ष हैं। एक पीओ के रूप में उन्होंने अपना कैरियर शुरू किया था और आज वो पूरे एसबीआई की कमान संभाल रही हैं। केवल वो ही नहीं, कई ऐसी महिलाएं हैं जो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एक ऑफिसर के रूप में शुरूआत करने के बाद आज उनकी मुखिया के रूप में कार्य कर रही हैं।
- महिलाओं के लिए लचीली पोस्टिंग और ट्रांसफर नीतियां : बैंकिंग नौकरी का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि दूरदराज के स्थानों में पोस्टिंग होने के साथ-साथ लगातार स्थानान्तरण (ट्रांसफर) भी होते रहता है। लेकिन, आपको अपने अनुसार सुविधाजनक स्थानों पर भी पोस्टिंग मिल सकती है। यदि आप महिला हैं तो एसबीआई में आपका पदोन्नति पहलू आपके ग्रामीण क्षेत्रों में बिताए गए कार्यकाल से प्रभावित नहीं होता है।
- पीओ मतलब है और अधिक सीखना: यदि आप एक महत्वाकांक्षी महिला हैं तो पीओ की जॉब निश्चित रूप से आपके लिए है। इसका कारण यह है आपको वित्तीय दुनिया के विभिन्न पहलुओं को जानने का मौका मिलता है और आपको आपकी रैंकिग के हिसाब से आगे बढ़ने का मौका मिलता है। कहा जाता है कि, अधिक प्रोन्नति के लिए आपकी ओर से अधिक लगन की आवश्यकता होती है।
- यदि आप पीओ हैं तो जीवन में कार्य का संतुलन प्रभावित हो सकता है: जी हां, आप अपने कार्य में निपुण हैं तो भी यह प्रभावित हो सकता है। एक बैंक में आपका कार्य कभी भी समाप्त नहीं होता है और आप कार्य के परिणामों को नजरदांज नहीं कर सकते जिस कारण आपको छुट्टी की भी अनुमति नहीं मिलती है।
एक नौकरी का चुनाव करना मुख्य रूप से उस व्यक्ति पर निर्भर करता है जो इसे कर रहा है। यदि आप महत्वाकांक्षी हैं और शीर्ष पर पहुंचना चाहते हैं तो आपको पीओ का विकल्प चुनना चाहिए। आप नई ऊंचाइयों तक पहुँचगें और अपनी मेहनत से आप और अधिक नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं। दूसरी तरफ, एक क्लर्क के रूप में आपका कार्य पब्लिक डीलिंग का होता है और आप बिजनेस ऑवर (कार्य के घंटे) खत्म होने के बाद आराम से घर जा सकते हैं। चुनाव आपको करना है कि आप 5 साल या 10 साल में अपने को कहां देखना चाहते हैं और जीवन में आपकी क्या प्राथमिकताएं है। यदि आप एक बैंकर के रूप में अधिक आरामदायक महसूस करते हैं तो आपको पीओ का चुनाव करना चाहिए और यदि नहीं तो फिर क्लर्क आपके लिए बेहतर होगा।
ऑल द बेस्ट!!
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