Success Story: संघ लोक सेवा आयोग(यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवाओं में शामिल है। यही वजह है कि देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे युवा इस परीक्षा के लिए सपने सजोते हैं और अधिकारी बनने का ख्वाब देखते हैं। हालांकि, इस नौकरी को पाना आसान नहीं होता है। यही वजह है कि युवा इस परीक्षा के लिए आखिरी उम्मीद तक टिके रहते हैं और तैयारी करते रहते हैं। आज हम आपके साथ दक्षिण भारत की रहने वाली राम्या की कहानी साझा कर रहे हैं, जिन्होंने पांच बार प्रीलिम्स परीक्षा में असफलताओं को सामना किया और छठे प्रयास में 46वीं रैंक के साथ आईएफएस अधिकारी बन गई।
परिवार की मदद के लिए पॉलीटेक्निक में लिया दाखिला
राम्या के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। इसको देखते हुए उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई होने के बाद जल्द से जल्द कोई कोई कोर्स कर परिवार की मदद का निर्णय लिया। ऐसे में उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद पॉलीटेक्निक में दाखिला लिया।
पॉलीटेक्निक के बाद आगे पढ़ने का निर्णय
जब राम्या पॉलीटेक्निक में पढ़ रही थी, तब उनके एक शिक्षक ने उन्हें बताया कि इससे वह कुछ ज्यादा बड़ा नहीं कर पाएंगी। ऐसे में उन्होंने पॉलीटेक्निक के बाद इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लिया।
इंजीनियरिंग के बाद मिली नौकरी
राम्या को इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद नौकरी भी मिल गई। नौकरी में उन्हें प्रमोशन भी मिला। वहीं, इस दौरान उन्होंने
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय(इग्नू) से एमबीए भी किया।
नौकरी छोड़ तैयारी
राम्या ने 2017 में अपनी नौकरी छोड़ दी थी और यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी पर फोकस किया। हालांकि, उन्हें पहले प्रयास में प्रीलिम्स की परीक्षा में असफलता मिली। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और फिर से परीक्षा की तैयारी शुरू की।
अगले चार प्रयास में प्रीलिम्स में फिर फेल
अपने पहले प्रयास में प्रीलिम्स परीक्षा में फेल होने के बाद जब राम्या ने दूसरा प्रयास किया, तो इसमें भी वह फेल हो गई। वहीं, अपने तीसरे प्रयास में भी वह प्रीलिम्स में फेल हुई। राम्या ने अपनी कमियों पर काम किया, लेकिन चौथे प्रयास में भी वह प्रीलिम्स की परीक्षा को पास नहीं कर सकी। यही नहीं अपने पांचवे प्रयास में भी वह प्रीलिम्स की परीक्षा को पास नहीं कर पाई थी। लगातार पांच बार फेल होने के बाद कोई भी व्यक्ति हार जाता है, लेकिन राम्या ने हार न मानने की जिद पाली हुई थी। ऐसे में उन्होंने अपना छठा प्रयास करने का निर्णय लिया। एक समय ऐसा भी आया, जब उन्हें अपनी तैयारी का खर्चा उठाने के लिए डाटा ऑपरेटर की नौकरी भी करना पड़ी।
छठे प्रयास में बनी आईएफएस
राम्या ने अपना छठा प्रयास किया और इस बार उन्होंने प्रीलिम्स को पास करने के साथ-साथ मेंस और इंटरव्यू को भी पास किया। यही नहीं, उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा को 46वीं रैंक हासिल कर 50 टॉपर की सूची में भी अपना नाम दर्ज कराया। अंत में वह भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी बन गई।