डॉक्टर को धरती पर भगवान के दूसरे रूप में देखते हैं। ऐसा सम्मान किसी दूसरे प्रोफेशन में नहीं मिलता है। यही कारण है कि इसका काफी क्रेज है। इसके लिए प्रवेश परीक्षा काफी स्टूडेंट्स देते हैं, लेकिन सफलता चंद लोगों को ही मिलती है। हाल ही में एआईपीएमटी ने आवेदन आमंत्रित किए हैं। आप चाहें तो बेहतर तैयारी करके उन चंद लोगों में शामिल हो सकते हैं।
आज के युवा उन्हीं प्रोफेशंस को वरीयता दे रहे हैं, जिनमें पैसा और प्रतिष्ठा मिले। इस दृष्टि से देखा जाए तो डॉक्टर का पेशा हमेशा से समाज में सम्माननीय और आदरसूचक रहा है और इसमें पैसे की कमी नहीं है। सबसे बडी चीज इस प्रोफेशन में आपको आत्मसंतुष्टि और लोगों की शुभकामनाएं अलग से मिलती हैं, जो इसे अन्य प्रोफेशन से अलग करता है। अगर आप चाहें तो बिना अतिरिक्त प्रयास के समाज सेवा में बहुमूल्य योगदान भी दे सकते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और आप इस परीक्षा को पास कर जाते हैं, तो आपको आसानी से एजुकेशन लोन भी मिल जाता है। इसके अलावा आपके पास नौकरी और निजी प्रैक्टिस का विकल्प रहता है। यही कारण है कि इसकी परीक्षा में लाखों स्टूडेंट्स हर वर्ष सम्मिलित होते हैं और काफी लोग सफलता भी प्राप्त करते हैं। इसके लिए देश भर में ऑल इंडिया लेवल पर एग्जाम के अलावा विभिन्न राज्यों में पीएमटी होते हैं। आप अपनी सुविधा और योग्यता के अनुरूप किसी भी परीक्षा में बैठ सकते हैं। अक्सर स्टूडेंट्स इस कारण परीक्षा से घबराते हैं कि इसमें काफी स्टूडेंट्स सम्मिलित होते हैं और सीमित सीटें होने के कारण सबसे तेज और मेधावी स्टूडेंट्स ही उत्तीर्ण हो पाते हैं, इस तरह की बातें सही नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक, एक हजार स्टूडेंट्स में से किसी एक का चयन मेडिकल प्रवेश परीक्षा में होता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह अन्य सभी स्टूडेंट्स से बेस्ट है या वह उन लोगों की अपेक्षा काफी इंटेलिजेंट है। उसकी सफलता का राज यह है कि उसने अपनी पढाई कारगर तरीके से की और परीक्षा के समय अपनी स्किल्स का बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया। यह आप भी कर सकते हैं।
कौन हैं योग्य
हाल ही में एआईपीएमटी के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। अखिल भारतीय प्री-मेडिकल/ प्री-डेंटल प्रवेश परीक्षा देने के लिए वही कैंडिडेट्स योग्य हैं, जिनकी आयु 17 से 25 वर्ष के बीच हो और 50 अंकों के साथ फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी (पीसीबी) के साथ 10+2 उत्तीर्ण किया हो या फिर 2011 में परीक्षा दे रहा हो। इसके अलावा सभी मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के लिए अलग-अलग योग्यता होती है, लेकिन सभी परीक्षाओं में पीसीबी स्टूडेंट्स ही योग्य होते हैं।
परीक्षा का स्वरूप
प्राय: मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में दो तरह की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाएं होती हैं। कुछ संस्थानों में एक ही परीक्षा होती है। जहां तक एआईपीएमटी की बात है, तो इसमें दो तरह की परीक्षाएं होती है। एआईपीएमटी की प्रारंभिक परीक्षा के लिए तीन घंटे का समय निर्धारित है, जिसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं बायोलॉजी से ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रत्येक प्रश्न चार अंकों का होता है। प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद मुख्य परीक्षा देनी होगी। यह परीक्षा भी ऑब्जेक्टिव टाइप की होगी। प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में निगेटिव मार्किग का प्रावधान है। एम्स जैसे संस्थानों में अंग्रेजी और जीके से संबंधित प्रश्न भी पूछे जाते हैं। इस कारण आपके लिए बेहतर होगा कि आप जिस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उसके सिलेबस और परीक्षा के बारे में पहले से जानकारी प्राप्त कर लें।
फिजिक्स
न्यू स्पीड इंस्टीट्यूट के फिजिक्स के टीचर रोहित अवस्थी का कहना है कि प्रत्येक स्टूडेंट्स को बेसिक कॉन्सेप्ट समझकर तैयारी करनी चाहिए। पिछले वर्षो के पेपरों को देखेंगे तो तैयारी आसान हो जाएगी। यदि पिछले वर्षो के एआईपीएमटी प्रश्नों को देखें तो फिजिक्स में मेकैनिक्स, मॉडर्न फिजिक्स, सिम्पल सर्किट यूनिट से लगभग 60 प्रश्न पूछे गए थे। इसके अलावा मैगनेटिज्म, वेब, हीट तथा ऑप्टिक्स से 40 के आसपास प्रश्न पूछे गए थे। आप इसे आधार बनाकर तैयारी करते हैं, तो बेहतर स्थिति में होंगे। बेहतर होगा कि एनसीईआरटी पुस्तकों को खूब पढें और न्यूमेरिकल हल करने में अधिक समय दें। यदि आपका न्यूमेरिकल बेहतर है, तो फिजिक्स में अच्छा स्कोर कर सकते हैं। फिजिक्स की तैयारी के लिए सारे फार्मूले ठीक से रिवाइज कर लें। इसमें कॉन्सेप्ट पर ज्यादा ध्यान दें।
केमिस्ट्री
केमिस्ट्री के शिक्षक संजीव भाटिया का मानना है कि एआईपीएमटी के लिए यदि बाहरवीं की एनसीईआरटी की पुस्तकों का गहन अध्ययन किया जाए, तो सफलता निश्चित है। स्टूडेंट्स अन्य किताबों पर समय बर्बाद न करें। केमिस्ट्री में ऑर्गेनिक से 20, इनऑर्गेनिक से 10 और फिजिकल केमिस्ट्री से लगभग 20 प्रश्न पूछे जाते हैं। सम्पूर्ण सिलेबस में केमिकल बॉन्डिंग, काम्पलेक्स कम्पाउंड, रिएक्शन मैकेनिज्म, ऐरोमेटिक कम्पाउंड, पॉलिमर, साल्यूशन, केमिकल इक्विलिब्रियम बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए इनका डीप अध्ययन लाभप्रद है। ऑर्गेनिक, इनऑर्गेनिक एवं फिजिकल केमेस्ट्री के लिए एनसीईआरटी की पुस्तकों का गहन अध्ययन करना चाहिए। इसमें भी न्यूमेरिकल्स महत्वपूर्ण होते हैं। आप इसका खूब अभ्यास करें। यदि आप न्यूमेरिकल्स और रिएक्शन को छोडते हैं, तो केमिस्ट्री में कभी भी बेहतर स्कोर नहीं कर सकते हैं।
बायोलॉजी
आपके लिए बेहतर होगा कि आप बॉटनी और जूलॉजी के लिए बराबर समय दें। इसमें चित्र और डायग्राम के माध्यम से तैयारी को नई दिशा दे सकते हैं। बायोलॉजी के विशेषज्ञ ज्ञानेश मिश्र बताते हैं कि एआईपीएमटी के दोनों पेपरों को ऐसा डिजाइन किया जाता है, जिसमें लगभग प्रत्येक टॉपिक कवर हो जाता है। बायोलॉजी में इकोलॉजी, क्लासीफिकेशन, एनिमल फिजियोलॉजी, एंजियो स्पर्म, एप्लीकेशन, जेनेटिक्स एवं साइटोलॉजी की तैयारी पर विशेष ध्यान दें। इससे अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं। चेप्टर वाइज बात करें तो इकोलॉजी और एप्लीकेशन पार्ट को अच्छे से कवर कर लें। ज्यादा स्कोरिंग रहती है। जूलॉजी सेक्शन में कुछ महत्वपूर्ण टॉपिक्स को ही हल करें। सबसे ज्यादा वेटेज क्लासिफिकेशन से मिलता है। इसके अलावा इकोनॉमिक, जूलॉजी, ह्यूमन साइकोजेनेटिक, ह्यूमन फिजियोलॉजी, ह्यूमन इवोल्यूशन, ऑर्गेनिक इवोल्यूशन, पॉपुलेशन डेमोग्राफी पर ज्यादा ध्यान दें। बॉटनी के सेक्शन से सिलेक्टेड टॉपिक्स को अच्छे से कर लें, ताकि स्कोर करने में फायदा हो। जेनेटिक्स, बायोटेक्नोलॉजी, प्लांट क्लासिफिकेशन, प्लांट एनाटॉमी के साथ-साथ प्लांट मार्फोलॉजी को भी अच्छे से रिवाइज कर लें। बॉटनी में थ्योरी पर ज्यादा ध्यान देना स्टूडेंट्स के लिए फायदेमंद साबित होगा।
एआईपीएमटी का काउंटडाउन
पिछले दिनों एआईपीएमटी की घोषणा हो चुकी है। प्रीलिमिनरी एग्जामिनेशन 3 अप्रैल एवं अंतिम परीक्षा 15 मई 2011 को है। यदि आपकी आयु 25 से 50 वर्ष के बीच है और बाहरवीं में भौतिक, रसायन शास्त्र तथा जीव विज्ञान/ जैव प्रौद्योगिकी को मिलाकर कुल 13 प्रतिशत अंक है, तो आप इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन पत्र मिलने की तिथि - 13 दिसम्बर 2010 से 31 दिसम्बर 2010 है। अधिक जानकारी के लिए देख सकते हैं - www.aipmt.nic.in । यदि आपने सीबीएसई से एआईपीएमटी क्लियर कर लिया तो मेरिट के आधार पर आवंटित देशभर के किसी भी मेडिकल एवं डेंटल कॉलेज में एमबीबीएस एवं बीडीएस की एजुकेशन ले सकते हैं। प्रत्येक राज्य के मेडिकल कॉलेजों में 15 सीटें सीबीएसई स्टूडेंट्स के लिए आरक्षित होती है।
संस्थान चयन में सावधानी
मेडिकल की प्रवेश परीक्षा में पास होने के बाद बारी आती है संस्थान चयन की। वैसे एआईपीएमटी में स्टूडेंट्स की रैंकिंग के आधार पर मेडिकल कॉलेज आवंटित किए जाते हैं। कभी विकल्प भी मांगे जाते हैं। यदि ऐसा अवसर सामने आए, तो सुविधा संपन्न संस्थानों को वरीयता देनी चाहिए।
स्पेशलाइजेशन दे बुलंदियां
यदि आपने एमबीबीएस की पढाई पूरी कर ली तो आगे बढने के लिए स्पेशलाइजेशन जरूरी है। क्योंकि अब सिंपल एमबीबीएस का जमाना नहीं रहा। इसके बाद स्टूडेंट अपनी रुचि के अनुसार क्षेत्रों का चयन कर सकता है। मेडिसिन, सर्जरी, नेफ्रोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी एवं अर्थोपेडिक्स जैसे सब्जेक्ट में किसी एक में परास्नातक का विकल्प होता है। मेडिकल एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें लगातार नॉलेज बढाने के लिए स्टडी जारी रखना अत्यंत जरूरी है। आप रिसर्च करके अपने ज्ञान को बढा सकते हैं। चिकित्सक के पेशे में आगे बढने के लिए खुद को अपडेट रखना बहुत जरूरी है। प्रो. सुनीता तिवारी का मानना है कि हर दिन हाइटेक मशीनों और तकनीकों का दखल बढता जा रहा है। छत्रपति शाहू जी महाराज चिकित्सा विवि के प्रॉक्टर प्रो. अब्बास अली मेंहदी के मुताबिक रोबोटिक सर्जरी समेत कई ऐसी तकनीक हैं, जिनमें फिजिक्स की जानकारी जरूरी है।
प्रमुख मेडिकल परीक्षाएं
बीएचयू एमबीबीएस
: बीएचयू द्वारा आयोजित एमबीबीएस ऑल इंडिया इंट्रेंस टेस्ट दो चरणों में संपन्न होता है-पीएमटी/पीएटी स्क्रीनिंग एवं पीएमटी मेन। इसमें बीफार्मा, बीएएमएस के छात्र स्क्रीनिंग के बाद चयनित कर लिए जाते हैं। स्क्रीनिंग की यह प्रक्रिया मेरिट के आधार पर तय की जाती है। छात्र को बारहवीं की परीक्षा में 50 अंकों सहित फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं बायोलॉजी में उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
एम्स प्रवेश परीक्षा
मेडिकल स्टूडेंट्स के बीच इस परीक्षा का काफी क्रेज होता है, क्योंकि इसमें चयनित छात्र एम्स से डिग्री प्राप्त करते हैं। इसमें भी पीसीबी स्टूडेंट्स ही सम्मिलित हो सकते हैं।
वर्धा एमबीबीएस
यह परीक्षा महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा संपन्न कराई जाती है। इस परीक्षा का पैटर्न व पाठ्यक्रम सीबीएसई के समान होता है। इसमें सबसे अहम है कि इसमें एक गांधियन थॉट का पेपर होता है, जो कि निबंधात्मक एवं संक्षिप्त प्रश्नों पर आधारित हो सकता है। इस परीक्षा की खासियत यह है कि इसमें नामांकन हेतु कोई पेड सीट उपलब्ध नहीं है, जिससे गरीब छात्रों को पर्याप्त राहत मिलती है। प्रवेश परीक्षा में पूछे जाने वाले बहुविकल्पीय प्रश्न फिजिक्स, केमिस्ट्री, जूलॉजी एवं बॉटनी पर आधारित होते हैं, जबकि एक प्रश्नपत्र गांधियन थॉट पर होता है। बारहवीं (फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी सहित) की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र इस परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
एएफएमसी एमबीबीएस
आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज, पुणे द्वारा आयोजित होने वाली एमबीबीएस की यह परीक्षा ऐसे छात्रों को राहत पहुंचा सकती है, जिन्होंने 10+2 की परीक्षा विज्ञान वर्ग से 50 अंकों सहित उत्तीर्ण की हो। इसमें आयु सीमा 17-22 वर्ष है। इस परीक्षा में शारीरिक रूप से फिट होना भी अनिवार्य है।
जेआरसी टीम
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