पारंपरिक कोर्सेज को चाहिए नया कलेवर

एजुकेशन करियर का हॉट सेक्टर है क्योंकि पर्दे के पीछे इन्हीं के रिसर्च बेस पर कोई कोर्स अपडेट या लॉन्च किए जाते हैं...

Jul 23, 2013, 10:13 IST

एजुकेशन में स्कोप

एजुकेशनल रिसर्च


एजुकेशन करियर का हॉट सेक्टर है क्योंकि पर्दे के पीछे इन्हीं के रिसर्च बेस पर कोई कोर्स अपडेट या लॉन्च किए जाते हैं। इनका मेन वर्क एजुकेशन फील्ड में रिसर्च करके सोसायटी को एडवांटेज पहुंचाना है। इसमें कौन सा कोर्स स्टूडेंट्स के लिए बेहतर है? किसमें ज्यादा जॉब मिलेंगे? और इसके प्रमुख कारण क्या है? किसमें जॉब की कमी है? और इसके लिए कौन सा कोर्स लॉन्च करना फायदेमंद होगा? जैसे सवालों के हल तलाशे जाते हैं। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो इसमें जॉब तभी मिलती है, जब संबंधित क्षेत्रों में अच्छा-खासा रिसर्च किया हो।

एजुकेशनल पब्लिशिंग

अधिकतर बुक्स पब्लिशिंग हाउस से निकलती हैं। प्राइवेट और गवर्नमेंट लेवल पर कई पब्लिशिंग हाउसेज हैं। इसमें प्रूफ रीडिंग से लेकर एडिटिंग, राइटिंग तक के काम होते हैं। अगर आपके पास एजुकेशन से रिलेटेड डिग्री या डिप्लोमा है, तो आप करियर बना सकते हैं।

सिविल सर्विसेज

सिविल सर्विसेज में जाना चाहते हैं, तो इस सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन करके एंट्री ले सक ते हैं। स्टेट और सेंट्रल गवर्नमेंट हर वर्ष एग्जाम लेती है। इसके अलावा भी एग्जाम होते रहते हैं।

टीचिंग

इसमें प्राइमरी टीचर से लेकर कॉलेजेज में लेक्चरर की जॉब पा सकते हैं। इसकी बैचलर डिग्री बीएड के बराबर है। यदि टीचिंग लाइन में एंट्री चाहते हैं, तो आपके लिए कई सारे ऑप्शंस हैं। ऑनलाइन एजुकेशन कोर्स भी कर सकते हैं।

एजुकेशनल साइकोलॉजी

अगर आप सोशल सर्विस के साथ करियर भी चाहते हैं, तो यह फील्ड बेस्ट है। आप काउंसलर बनकर स्टूडेंट्स की हेल्प कर सकते हैं। यहां आपके पास सरकारी व प्राइवेट इंस्टीट्यूट में नौकरी करके एजुकेशन प्रॉब्लम्स सॉल्व करने के मौके हैं।

बनें पॉलिसी मेकर

एक्सप‌र्ट्स के अनुसार इस फील्ड में तभी सक्सेस हासिल कर सकते हैं, जब आपमें कुछ अलग करने की भूख हो। इसके साथ ही इंटेलेक्चुअल, कम्युनिकेशनल, ऑर्गेनाइजेशनल स्किल्स के साथ-साथ कंप्यूटर लिटरेसी भी जरूरी है। अगर इस तरह की स्किल्स आप में हैं, तो बेशक इस सब्जेक्ट को चुन सकते हैं। एजुकेशन सब्जेक्ट में संबंधित रिसर्च, पॉलिसी मेकिंग, कम्युनिकेशन स्किल्स, काउंसलिंग आदि में बेहतरीन करियर बना सकते हैं।

एजुकेशनल जर्नलिज्म

मीडिया सेक्टर में यह सेगमेंट पॉपुलर हो रहा है। सभी न्यूजपेपर और न्यूज चैनल एजुकेशन को कवर करते हैं। आपकी रुचि मीडिया फील्ड में है, तो करियर के अनेक रास्ते खुले हैं। इसके अलावा घर बैठे फ्रीलांसिंग का स्कोप भी है।

फिलॉसफी

सिविल सर्विस


सिविल सर्विसेज में यह सबसे स्कोरिंग सब्जेक्ट है। इस कारण इस सब्जेक्ट को काफी स्टूडेंट्स पढते हैं और बेहतर मा‌र्क्स लाकर इसमें सेलेक्ट होते हैं। अगर आपकी रुचि इस फील्ड में है, तो एक ऑप्शनल सब्जेक्ट लेकर सिविल सर्विसेज की तैयारी कर सकते हैं।

लॉ फ‌र्म्स

लीगल फील्ड में लॉ की डिग्री लेने के साथ यदि फिलॉसफी की स्टडी की है, तो दूसरो की अपेक्षा आगे बढने के चांसेज अधिक हो जाते हैं। इसका कारण है कि इस सब्जेक्ट के स्टूडेंट्स को हर बात प्रूफ के साथ में देनी होती है। इस तरह उनका माइंड पहले से एनालिटिकल और तर्कपूर्ण बन जाता है। इसके अलावा रिलीजन, पॉलिटिक्स की नॉलेज उनकी तरक्की में बडा रोल अदा करती है।

एजुकेशन

अगर पढने और पढाने में आपकी रुचि है तो इस फील्ड में करियर बना सकते हैं। कॉलेज में लेक्चरशिप के अलावा हायर इंस्टीट्यूट में भी अनेक ऑप्शंस हैं। कोचिंग और ट्यूशन से घर बैठे कमाई कर सकते हैं। साथ ही रिक्रूटमेंट कंसल्टेंसी में भी फिलॉसफी स्टूडेंट्स के लिए ऑप्शंस हैं।

हिंदी में हैं ऑप्शंस

फंक्शनल हिंदी


फंक्शनल हिंदी, हिंदी का वह रूप है, जिसे किसी प्रयोजन विशेष या उद्देश्य से जोडकर देखा जाता है। यानी डेली लाइफ की किसी भी फील्ड में हिंदी कोजिस रूप में इस्तेमाल करते हैं, वही फंक्शनल हिंदी है। आज फंक्शनल हिंदी में छुपी संभावनाओं के कारण न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी इसे अपनाया जा रहा है।

टीचिंग

हिंदी में बीए व बीएड करने के बाद स्कूल्स में टीचर की जॉब मिल जाती है। वहीं कॉलेज लेवल पर एमए करने के बाद एम-फिल और पीएचडी के पश्चात लेक्चरर पद पर पहुंचने के ऑप्शंस हैं। पीएचडी होल्डर कॉलेज व यूनिवर्सिटी लेवल पर कहीं भी लेक्चरर की जॉब पा सकते हैं। टीचिंग के लंबे एक्सपीरियंस पर रीडर और प्रोफेसर भी बन सकते हैं।

मीडिया

देश-विदेश में फैला मीडिया नेटवर्क हिंदी स्टूडेंट्स को आकर्षक करियर के रास्ते दे रहा है। हिंदी पर स्ट्रॉन्ग कमांड के चलते स्टूडेंट्स को जर्नलिज्म में एंट्री करने में आसानी होती है। स्टूडेंट्स बीए या एमए के बाद जर्नलिज्म में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं। कोर्स के बाद न्यूज पेपर, मैगजीन, न्यूज चैनल में बतौर रिपोर्टर या सब-एडिटर शुरुआत कर सकते हैं। इस फील्ड में काम करने के लिए लैंग्वेज पर कमांड के अलावा मीडिया इंस्टीट्यूट से हिंदी में डिप्लोमा या डिग्री करना फायदेमंद है।

टूरिज्म

टूरिज्म में भी इनके लिए जॉब के ऑप्शन हैं। इस फील्ड में बेहतर करने के लिए कल्चरल टूरिज्म मैनेजमेंट में भी डिप्लोमा कर सकते हैं।

फिल्म

हिंदी के बढिया जानकार फिल्म और टीवी सीरियल में किस्मत आजमा सकते हैं। केवल एक्टिंग ही नहीं गीत-संगीत, स्क्रिप्ट राइटर, डायलॉग राइटर के तौर पर भी ग्लैमर फील्ड में खुद को इस्टैब्लिश कर सकते हैं। लैंग्वेज से खेलना, व्यावहारिक या लोकल भाषा का इस्तेमाल भी यहां प्लस प्वाइंट हैं।

हिंदी ऑफिसर

हिंदी भाषा अधिनियम का प्रावधान है कि सभी इंस्टीट्यूशन्स को हिंदी ऑफिसर रखने हैं। लिहाजा आज इस सब्जेक्ट्स के स्टूडेंट्स के लिए काम के खूब मौके हैं। एंबैसीज में भी हिंदी स्पेशलिस्ट को हाथों-हाथ लिया जाता है।

ट्रांसलेटर

अगर दो या दो से अधिक लैंग्वेजेज पर कमांड है, तो ट्रांसलेटर बन सकते हैं। विभिन्न ट्रैवल एजेंसीज व गवर्नमेंट, प्राइवेट इंस्टीट्यूट्स ऐसे लोगों को मौका देते हैं। मीडिया के क्षेत्र में भी ऐसे लोगों की डिमांड है। इसमें हिंदी की नॉलेज होने के साथ-साथ आपको अंग्रेजी की भी नॉलेज होनी चाहिए।

एग्जाम से आरजे तक

हिंदी से ग्रेजुएट होने के बाद विभिन्न कॉम्पिटिटिव एग्जाम से बैंक, ज्यूडिशियरी, सिविल सर्विस, स्टेट सर्विस के अलावा रेलवे, बैंक आदि में भी जॉब के रास्ते हैं। हिंदी स्पेशलिस्ट के सामने सीनियर-जूनियर हिंदी टाइपिस्ट, स्टेनो, हिंदी असिस्टेंट, ट्रांसलेटर, एडवरटाइजमेंट, स्लोगन राइटर, पू्रफ रीडर्स, क्रिटटिव राइटिंग, रेडियो जॉकी, एंकर्स, कॉरेस्पॉन्डेंस, एडिटर्स, हिंदी स्पो‌र्ट्स कमेंटेटर जैसे कई ऑप्शन हैं।

पॉलिटिकल साइंस

कैंपेन सेक्टर

अपनी कंट्री पॉलिटिकल एक्टिविटीज में बहुत आगे है। नेशनल लेवल पर तो कुछ ही बडी पार्टीज हैं, लेकिन स्टेट्स लेवल की पार्टीज को जोड लिया जाए, तो यह बहुत ज्यादा हो जाती हैं। इलेक्शन हो या न हो अपनी एक्टिविटीज की इन्फॉर्मेशन के लिए ये पार्टीज इस सब्जेक्ट के स्पेशलिस्ट को अपाइंट करती हैं।

एनजीओ और सोशल वर्क

गवर्नमेंट और इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन्स समय-समय पर बहुत से प्रोग्राम्स चलाती रहती हैं। इसके लिए भी वह पॉलिटिकल साइंस के लोगों को अपने साथ जोडती हैं। इनके साथ जुडकर भी काफी आगे बढा जा सकता है।

टीचिंग सेक्टर


पॉलिटिकल साइंस सभी यूनिवर्सिटीज और इंस्टीट्यूट्स में पढाई जाती है। एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स की संख्या भी अधिक रहती है। अच्छे टीचर्स की तलाश सभी जगह है, जिन्हें सब्जेक्ट की अच्छी नॉलेज है, वे इसके लिए भी ट्रॉई कर सकते हैं। इसके अलावा, सिविल सेवा में भी इस सब्जेक्ट का काफी क्रेज है।

हिस्ट्री में करियर

हेरिटेज मैनेजमेंट


इंडिया में प्राचीन स्मारकों के संरक्षण, खुदाई और रिसर्च का काम तेजी से चल रहा है। पुरातत्व विभाग की सक्रियता हिस्ट्री स्टूडेंट्स को करियर की नई राहें दे रही हैं। इस फील्ड में ग्रोथ के लिए हिस्ट्री की डीप नॉलेज के साथ उसकी इंपॉर्टेस को भी समझना होगा। चीजों का पौराणिक महत्व, खोज-बीन, आकलन में रुचि भी करियर में हेल्पफुल होगी।

इंफॉर्मेशन मैनेजर

टूरिज्म सेक्टर में इंफॉर्मेशन मैनेजर का मेन किरदार है। यहां हिस्ट्री पासआउट्स खुद के लिए चांस तलाश सकते हैं। इस सब्जेक्ट में हिस्ट्री के अंतर्गत देश के विभिन्न ऐतिहासिक और प्राचीन स्मारकों के बारे में बताया जाता है। यदि इंफॉर्मेशन मैनेजर को इसकी नॉलेज है, तो वह आने वाले टूरिस्ट को बेटर तरीके से डील करेगा। इस वर्क के लिए सब्जेक्ट की डीप नॉलेज के साथ कम्युनिकेशन स्किल्स, लैंग्वेजेज की नॉलेज मस्ट है।

गाइड

गाइड पुरातात्विक, ऐतिहासिक महत्व की सभी चीजों की नॉलेज रखते हैं। इतिहास के स्पेशलिस्ट व इसकी एजुकेशन रखने वाले क्वालिफाइड यूथ्स के पास बेटर वर्क ऑपर्चुनटीज हैं। बतौर गाइड, ट्रैवल जर्नलिस्ट, ट्रैवल राइटर, फ्रीलांस टूर गाइड काम किया जा सकता है। गुड कम्युनिकेशन, फ्रेंडली नेचर, कई लैंग्वेजेज की नॉलेज ग्रोथ में हेल्पफुल होगी।

क्यूरेटिंग

क्यूरेटिंग इन दिनों फर्टाइल फील्ड है। इसका काम लाइब्रेरीज, म्यूजियम, आर्ट गैलरी, ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की देखरेख व संरक्षण-संवर्धन होता है। म्यूजियम की रोज की एक्टीविटीज, कल्चरल प्रोग्राम्स को ऑर्गेनाइज करना इनका ही काम है। इस फील्ड में ग्रोथ के लिए हिस्ट्री, म्यूजियम स्टडीज व रिलेटेड सब्जेक्ट्स में मास्टर्स होना कंपल्सरी है।

आर्किविस्ट

अपनी जडों से लगाव इस फील्ड में एक्टिव लोगों की स्पेशियलिटी है। एक आर्किविस्ट के तौर पर आपको ऐतिहासिक साक्ष्यों के असेसमेंट, कलेक्शन, मेंटिनेंस, प्रिजर्वेशन जैसे काम करने होते हैं। एक्सप‌र्ट्स मानते हैं कि हिस्ट्री के साथ बायोलॉजी/बॉटनी, कार्बन डेटिंग की नॉलेज यहां हेल्पफुल है।

अदर सेक्टर्स

हिस्ट्री के स्टूडेंट्स के लिए भी कई तरह के हॉट ऑप्शन्स मौजूद हैं। वे चाहें तो एजुकेशनिस्ट, आर्कियोलॉजिस्ट, रिसर्चर, हिस्टोरियन, हिस्ट्री टीचर, राइटर के तौर पर विभिन्न ऑर्गेनाइजेशन्स के साथ वर्क कर सकते हैं। अगर हिस्ट्री के स्टूडेंट की सामाजिक सरोकारों में रुचि है, तो उसके लिए एनजीओ में भी कई ऑप्शंस हैं। एनजीओ के साथ जुडकर वह देश ही नहीं, विदेश में भी काम कर सकता है।

पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन

एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर


अगर आप में डिसीजन लेने की एबिलिटी और आगे बढकर जिम्मेदारी उठाने की क्षमता है, तो आप एडमिनिस्ट्रेशन की ओर रुख कर सकते हैं। सिविल सर्विसेज और स्टेट लेवल के एग्जाम में सक्सेस पाकर आप गवर्नमेंट कीपॉलिसी मेकिंग में भी अहम रोल अदा कर सकते हैं।

कॉरपोरेट मैनेजर

स्ट्रॉन्ग लीडरशिप, प्रॉब्लम सॉल्विंग कैपेसिटी है और एजुकेशन के दौरान यूजी और पीजी लेवल पर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन सब्जेक्ट रहा है, तो कॉरपोरेट की ओर रुख कर सकते हैं। इसमें हैवी सैलरी के साथ ही मैनेजेरियल स्किल्स डेवलप करने की जरूरत होती है।

कंसल्टेंट

इन दिनों इस तरह के प्रोफेशनल की काफी डिमांड है, क्योंकि गवर्नमेंट और प्राइवेट सेक्टर की सभी कंपनीज व इंस्टीट्यूट अच्छे वर्क के लिए बेहतर एंप्लाई चाहते हैं। एंप्लाई की क्वॉलिटी को इंपू्रव करना इनका मेन वर्क है। इसके अलावा प्रोग्राम डेवलपमेंट, पब्लिक रिलेशन, मार्केटिंग और ऑर्गेनाइजेशनल पॉलिसी में भी ये मेन रोल अदा करते हैं। यदि आप में पैशन, डिसीजन, मेकिंग कैपिसिटी है, तो आप इस फील्ड को आजमा सकते हैं।

एजुकेशन

गवर्नमेंट और प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस में पब्लिक एड के जानकार रखे जा रहे हैं, क्योंकि कैंपस प्लेसमेंट में स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग देने का वर्क इन्हीं के जिम्मे होता है। इसके साथ ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, हेल्थ केयर एडमिनिस्ट्रेशन में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से पीजी या हायर एजुकेशन करने वाले स्टूडेंट्स को प्रिफरेंस दी जाती है। कॉलेज में लेक्चरर बनकर भी करियर संवार सकते हैं। एजुकेशन सेक्टर में सैलरी भी ठीक-ठाक है। इसके अलावा भी करियर के ऑप्शन इस सब्जेक्ट में काफी हैं।

होम साइंस

डायटिशियन एंड न्यूट्रिशनिस्ट


लाइफ स्टाइल तेजी से बदल रही है। लोग खुद तो अच्छा दिखना चाहते ही हैं साथ ही अपने घरों को भी अच्छा दिखाना चाहते हैं। इस समय डायटिशियन एवं न्यट्रिशनिस्ट की डिमांड बहुत है। गवर्नमेंट और प्राइवेट दोनों ही जगहों पर अच्छी वर्क अपॉच्र्युनिटीज हैं। यहां हॉस्पिटल, इंडस्ट्री में भी काम किया जा सकता है। चाहें तो लोगों के पर्सनल हेल्थ एडवाइजर का भी वर्क ऑप्शन चुन सकते हैं। इसमें कॉम्पिटिशन तो है, लेकिन एक बार पकड बन गई तो फिर नेम और फेम दोनों ही आसानी से मिल जाता है।

टीचिंग

कंट्री में होम साइंस को मेन सब्जेक्ट के रूप में बहुत जल्दी ही पढाया जाना शुरू कर दिया जाता है। इसलिए ज्यादातर स्कूल एवं कॉलेजों को बेहतर होम साइंस टीचर्स की तलाश रहती है। इस सब्जेक्ट की कोचिंग चलाकर भी बढिया ऑक्यूपेशन बनाया जा सकता है।

कॉम्पिटिटिव एग्जाम


अगर आप इस सब्जेक्ट में कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी करते हैं, तो आपको बेहतर अवसर मिलते हैं। प्राय: सभी एग्जाम में होम साइंस लेकर स्टूडेंट्स एग्जाम देते हैं और सक्सेस होते हैं।

साइकोलॉजी में करियर

क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट

ये मनोवैज्ञानिक समस्या से पीडित व्यक्तियों को मेडिसिन और सर्जिकल तरीके से ठीक करते हैं। यह एक बडा सेक्टर है, जिसमें हेल्थ साइकोलॉजी, न्यूरो साइकोलॉजी और जेरो साइकोलॉजी भी शामिल है।

काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट


कैसे किसी खास साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम से बाहर निकलना है, काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट यही बताते हैं। इसके लिए ये इंटरव्यू, टेस्ट आदि की मदद लेते हैं।

एजुकेशनल साइकोलॉजिस्ट


ये टीचर, स्टूडेंट्स, एडमिनिस्ट्रेशन एवं पैरेंट्स की प्रॉब्लम्स का सॉल्व करते हैं। इसके अलावा, इंडस्ट्रियल साइकोलॉजिस्ट, रिसर्च साइकोलॉजिस्ट, सोशल साइकोलॉजिस्ट आदि के रूप में भी काम कर सकते हैं।

टीचिंग और एग्जाम में ऑप्शन

हर कॉलेज व स्कूल में इस सब्जेक्ट के टीचर रखे जाते हैं और सिविल सर्विसेज में बहुत सारे स्टूडेंट्स इसे लेकर एग्जाम पास करते हैं।

संस्कृत : ओल्ड इज गोल्ड

टीचिंग

संस्कृत एजुकेशन प्राइमरी से ही कोर्स का पार्ट है और इसमें हम रिसर्च तक कर सकते हैं। टीचिंग यहां भी एक बेटर ऑप्शन है। इसके लिए सब्जेक्ट की डीप नॉलेज जरूरी है। इसमें आगे बढने के लिए सीखने की लगन और भाषा व्याकरण पर कमांड होना जरूरी है, क्योंकि व्याकरण के मामले में संस्कृत को बेहद डेवलप्ड लैंग्वेज माना जाता है।

डिफेंस

डिफेंस सेक्टर में धर्माचार्य पोस्ट के लिए जॉब निकलती हैं। संस्कृत में हायर एजुकेशन लेकर इसके लिए अप्लॉई कर सकते हैं।

मैन्युस्क्रिप्टोलॉजी और पेलोग्राफी

विभिन्न कंट्रीज में प्राचीन लैंग्वेजेज पर रिसर्च हो रहे हैं। इसमें संस्कृत भी शामिल है। इसकी पांडुलिपियों को पढने वाले स्पेशिलिस्ट्स की डिमांड है। जो लोग संस्कृत पर कमांड रखते हैं, वे इन रिसर्च ग्रुप्स के साथ जुड सकते हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन पूजा का भी क्रेज अब बढ रहा है। इसमें भी चांस आजमाया जा सकता है। अच्छी नॉलेज है तो मीडिया में न्यूज एंकर या रीडर भी बना सकते हैं।

सोशियोलॉजी में मल्टीपल ऑप्शंस

सोशल रिसर्च


गवर्नमेंट सोशल सेक्टर पर ज्यादा ध्यान दे रही है, इस कारण उन्हें ऐसे यूथ की जरूरत है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, विवाह, सामाजिक रीतियों आदि के बारे में न सिर्फ तथ्यपरक सर्वेक्षण करें बल्कि गवर्नमेंट को अपने इनपुट्स की बदौलत विकासपरक नीतियां बनाने में मदद करें। सरकारी व गैर-सरकारी दोनों ही क्षेत्रों में सोशल रिसर्चर के लिए ऑप्शंस हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च, एनजीओ, सेंटर फॉर सोशल रिसर्च, मानव संसाधन मंत्रालय, बाल पोषण, शिक्षा जैसे कई क्षेत्रों में सोशल रिसर्चर्स की रिक्वॉयरमेंट है।

पब्लिक पॉलिसी एनालिस्ट

इसका काम रिसर्च व स्टडी के जरिए सरकार द्वारा चलाई जा रही नीतियों का विश्लेषण, मौजूदा कमियों की स्टडी कर उन पर सलाह देना है। टैक्स पॉलिसी एनालिस्ट, क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन पॉलिसी, सिक्योरेटी पॉलिसी एनालिस्ट जैसे क्षेत्रों में सोशियोलॉजी या फिर एंथ्रोपोलॉजी में मास्टर डिग्री होल्डर्स के लिए चांसेज हैं।

एनजीओ

इन दिनों देश व समाज में अलग-अलग मुद्दों पर कई एनजीओ (नॉन-गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशन) कार्यरत हैं। यदि आपके भीतर समाज के लिए कुछ करने की चाहत है तो इनके साथ जुड सकते हैं। हालांकि यहां विषय की बाध्यता नहीं है, फिर भी इस सब्जेक्ट की नॉलेज आपको फील्ड में कदम दर कदम इस्तेमाल होगी। निर्धन, पीडितों, शोषितों के प्रति गहरी संवेदना व उनके कल्याण के लिए समर्पण भाव जैसी चीजें कार्यक्षेत्र में जरूरी हैं।

मार्केट रिसर्च

इस क्षेत्र में सोसायटी व उसके ट्रेंड की समझ रखने वाले युवाओं को मौका दिया जाता है। दरअसल, आज कंज्यूमर प्रोडक्ट बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां अपने उत्पाद की सेल से लेकर डेवलपमेंटके लिए मार्केट रिसर्च पर बेस्ड हैं। ऐसे में यहां क्वॉलिफाइड लोगों को हायर किए जाने के अच्छे चांसेज हैं। मार्केट की बेहतर परख, बदलते ट्रेंड्स की नॉलेज, शानदार कम्युनिकेशन यहां आपके बहुत काम आएगी।

सर्वे रिसर्चर

सोशियोलॉजी में कोर्स के बाद आपके करियर ऑप्शंस में इजाफा हो जाता है। इस क्षेत्र में क्वॉलिफाइड यूथ के पास ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, फॉरेन सर्विस ऑफिसर, डाटा एनालिस्ट, प्रोजेक्ट मैनेजर, सर्वे रिसर्चर, टूरिज्म, ह्यूमन राइट ऑफिसर आदि के तौर पर काम के असीमित मौके हैं।

 

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