मुझे अपने घर वालों से,Teachers से एवं मित्रों से आलोचना मिलती रहती है जो मुझे कभी भी अच्छी नहीं लगती। समझ नहीं आता कि क्या करूं? कृपया मार्गदर्शन करें।
- अनिल चतुर्वेदी
मान लीजिए कि आपकी कभी भी कोई आलोचना न करे। आपको कैसा लगेगा? लाइफ काफी बोरिंग हो जाएगी और कुछ भी कर गुजरने की इच्छा समाप्त हो सकती है। आलोचक तो हर जगह मिलेंगे। एक तरह से जो Teacher आपकी उत्तर-पुस्तिका देख रहा है वह भी आलोचक की नजर से ही तो देख रहा है। आप पहले व्यक्ति नहीं जो सोचते हैं कि आलोचक आपको तंग कर रहे हैं। आप अकेले व्यक्ति भी नहीं हैं जिनकी आलोचना होती है। समाचार पत्र उठाइए तो देश के प्रधानमन्त्री से लेकर विश्व के प्रत्येक स्थिति एवं व्यक्ति की आलोचना होती है। मजे की बात तो यह है कि,प्रत्येक आलोचक के भी असंख्य आलोचक होते हैं। अपने आसपास की स्थितियों एवं व्यक्तियों से परेशान होने की अपेक्षा मिली हुई आलोचना को Postive Feedback मानें और अपने व्यक्तित्व से उपयुक्त बदलाव लाने के बारे में सोच कर लाभ उठाएं। कैसे करें-
1-यह मान लें कि आलोचना तो मिलेगी ही - जो व्यक्ति आपके मुंह पर आपकी आलोचना करें वह तो वास्तव में आपका भला मित्र है। आखिर वह आपको एक अन्य तरीके से सोचने की दिशा तो दिखाता है। बुजुर्ग भी कह गए हैं निन्दक नियरे राखिए। समस्या तो तब आती है जब लोग आपके पीठ पीछे जो बात आपकी करते हैं जो आप तक पहुंच नहीं पाती। आपको ऐसी बातों का मंथन कर सुधरने का मौका भी नहीं मिलती।
2-ठण्डे दिमाग से व्यवहार करें -हर आलोचना आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है।यदि आप अपनी उन्नति चाहते हैं तो भावनाओं को कंट्रोल कीजिए और सहजता एवं विनम्रता से अपने आलोचक को सुनिए। कोई आपको गिफ्ट दे तो आप उसे कैसे स्वीकारते हैं? आलोचना भी तो एक गिफ्ट है जो आपके मित्र, Teachers एवं परिवार के सदस्य आपको दे रहे हैं। वह भी तो आप में उत्तम परिवर्तन चाहते हैं।
3-सलाह भी मांगिए- आपका आलोचक आपके व्यक्तित्व में बदलाव की अपेक्षा रखता है। जरा उनकी सलाह भी लीजिए। हो सकता है कि उनके पास कुछ अच्छा Solution हो। Sachin Tendulkar ने भी तो असंख्य बार अपने कोच की आलोचना का सामना किया होगा और उनकी सलाह पर काम भी किया होगा। फिर आप क्यों नहीं कर सकते। यह आवश्यक नहीं है कि हर सलाह पर आप अमल अवश्य करें। कहते हैं, सुनिए सबकी, करिए मनकी आपको कौन रोकता है?
4-बहस में न पडें - अक्सर लोग अपने आलोचक से भिड जाते हैं। क्या फायदा।आलोचना तो फिर भी वह आपकी कर सकते हैं चाहे पीठ पीछे करें। आपको स्वयं में सुधार लाने का मौका तो निकल गया।
5-प्रशंसा करें- हर उस आलोचना से जिससे आप लाभान्वित हुए हैं, आलोचक की प्रशंसा करना तो आपका फर्ज बनता है। इससे सम्बन्ध और भी सुदृढ होंगे। कॅरियर में ऐसा करने से और भी मित्र बनेंगे और अधिक मित्रों वाला व्यक्ति ही सफलता की ओर आसानी से बढता रहता है।
राजीव खुराना
कॅरियर व मैनेजमेंट कंसल्टेंट
rajivkhurana@jagran.com & www.jagranjosh.com
मुझे परिवार वालों अध्यापकों एवं मित्रों की आलोचना अच्छी नहीं लगती.क्या करूं?
मुझे अपने घर वालों से,Teachers से एवं मित्रों से आलोचना मिलती रहती है जो मुझे कभी भी अच्छी नहीं लगती समझ नहीं आता कि क्या करूं कृपया मार्गदर्शन करें
Comments
All Comments (0)
Join the conversation