एयरोस्पेस इंजीनियरिंग इंजीनियरिंग की नवीनतम शाखाओं में से एक है. पहली बार इसका प्रयोग 19 वीं शताब्दी में संचालित पावर्ड फ्लाईट में किया गया था. एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में अब लाइटर-टू-एयर क्राफ्ट, फिक्स्ड-विंग एयरप्लेन, जेट्स, ऑटोग्रायर्स, ग्लाइडर्स और हेलीकॉप्टर जैसे विमानों को भी डिजाइन किया जाता है.
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में लेटेस्ट ट्रेंड्स
विज्ञान और टेक्नोलॉजी के विकास के साथ-साथ एयरोस्पेस के क्षेत्र में कई इनोवेशंस हुए. एयरोस्पेस इंजीनियरिंग थर्मोइलेक्ट्रिक जेनरेटर जैसे ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी में भी कार्य कर रही है, जो बिजली बनाने के लिए हीट का उपयोग करती है और हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाएं, जो हाइड्रोजन गैस लेती हैं,बिजली, गर्मी और पानी उत्पन्न करने के लिए ऑक्सीजन के साथ इसका मिश्रण करती हैं.
इंजीनियरों की टीम द्वारा एक एल्गोरिदम विकसित किया गया है. यह एल्गोरिदम ब्रेन वेव्स को फ्लाईट कमांड में परिवर्तित कर सकता है.इस टीम ने वास्तविकता में माइंड से कंट्रोल किये जाने वाले एयरक्राफ्ट की संरचना में कामयाबी हासिल करने की उम्मीद जतायी है.
रिसर्चर्स द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में आग लगाकर कूल बर्निंग इफेक्ट का अध्ययन किया जाता है ताकि इस तकनीक का इस्तेमाल करके और बेहतर तथा वातावरण को कम प्रदूषित करने वाले कर मॉडलों का विकास किया जा सके.
अब, एयरोस्पेस इंजीनियर त्वरित और आसान ड्राफ्टिंग, डिजाइन में संशोधन तथा तैयार भागों और असेंबली के 3 डी विज़ुअलाइजेशन के लिए कंप्यूटर एडेड डिज़ाइन सिस्टम (सीएडी) पर भरोसा करते हैं.
वर्चुअल टेस्टिंग ऑफ विंग्स, इन्जींस, कंट्रोल सरफेस और यहाँ तक कि पूरे विमान और अंतरिक्ष यान के आभासी परीक्षण हेतु सभी संभाव्य परिस्थितियों में कंप्यूटर सिमुलेशन अति आवश्यक है.
भारत में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कोर्स करवाने वाले प्रमुख इंस्टीट्यूट्स
- फ्लाईटेक एविएशन एकेडमी, सिकंदराबाद
- वी.एस.एम. इंस्टीट्यूट ऑफ़ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, बैंगलोर
- जया इंजीनियरिंग कॉलेज, तिरुवल्लूर
- हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर (तमिलनाडु)
- हिंदुस्तान कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एचआईसीईटी), कोयंबटूर
- भारत इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी (बीआईईटी), हैदराबाद
- मोहम्मद सथक इंजीनियरिंग कॉलेज, रामानथपुरम
- वेले टेक इंजीनियरिंग कॉलेज, चेन्नई (तमिलनाडु)
- पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़
- एम.एन.आर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, हैदराबाद
- सिद्धार्थ इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, बैंगलोर (कर्नाटक)
- राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इंजीनियरिंग साइंस, कोटा
- एयरोनॉटिकल एंड मैरीन इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट, बैंगलोर (कर्नाटक)
- अधीयमान कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, होसूर
- इंजीनियर्स ट्रेनिंग सेंटर (ईटीसी), त्रिशूर
- गुरु नानक इंजीनियरिंग कॉलेज, हैदराबाद
- हिंदुस्तान इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टैक्नोलॉजी (एचआईईटी), चेन्नई
- हिंदुस्तान यूनिवर्सिटी, केल्ंबक्कम (तमिलनाडु)
- गुरु ग्राम इंस्टिट्यूट ऑफ एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, नागपुर
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, पुणे (महाराष्ट्र)
- कर्पगम इंस्टिट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी, कोयंबटूर
- कुमारगुरु कॉलेज ऑफ टैक्नोलॉजी, कोयंबटूर
- जैन यूनिवर्सिटी, बैंगलोर (कर्नाटक)
- एम.एल.आर.इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, हैदराबाद
- एम.वी.जे.कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, बैंगलोर
- मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मणिपाल
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, देहरादून
- पार्क कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर
- टैगोर इंजीनियरिंग कॉलेज (टीईसी), चेन्नई
- नेहरू कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड रिसर्च सेंटर, थ्रिसुर
- साई फ्लाईटेक एविएशन प्राइवेट लिमिटेड, बिलासपुर
- स्कूल ऑफ एरोनॉटिक्स, द्वारका (गुजरात)
- सथ्यबामा यूनिवर्सिटी, चेन्नई (तमिलनाडु)
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएस), बैंगलोर
- इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग ट्रेनिंग एकेडमी, पुणे (महाराष्ट्र)
- गुरू ग्राम इंस्टिट्यूट ऑफ एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, गुड़गांव
- नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एनआईईटी), कोयंबटूर
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का एग्जाम पैटर्न
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग हेतु फीजिक्स, मैथ्स, मटिरियल साइंस और एरो डायनमिक्स में गहन कौशल और समझ की आवश्यकता होती है. इसके उम्मीदवारों को धातु मिश्र धातु, बहुलक, मिट्टी के बरतन, और कम्पोजिट्स जैसे उन्नत सामग्री से भलीभांति परिचित होना चाहिए. इस ज्ञान की बदौलत ये किसी वस्तु के डिजाइन से पहले ही उसके अच्छे प्रदर्शन तथा उनकी विफलता जन्य स्थितियों का भविष्यवाणी करने में सक्षम होते हैं.
ग्रेजुएशन लेवल के कोर्सेज की परीक्षाओं में निम्नांकित विषय शामिल हैं –
- फीजिक्स
- केमेस्ट्री
- मैथमेटिक
पूछे गए प्रश्न ऑब्जेक्टिव टाइप के होंगे और स्टूडेंट्स को 4 विकल्पों में से सही उत्तर चुनने होंगे. परीक्षा के लिए आवंटित समय 3 घंटे होता है.
एयरोस्पेस इंजीनियर का जॉब प्रोफाइल
किसी एयरोस्पेस इंजीनियर के जॉब प्रोफाइल में एयरक्राफ्ट, स्पेस क्राफ्ट, उपग्रह और मिसाइलों को डिजाइन करने से संबंधित सभी कार्यों को शामिल किया जाता है. ये प्रोफेशनल्स अपने सभी डिजाइन्स का सही आकलन करने के लिए उनके प्रोटोटाइप का परीक्षण भी करते हैं. इसी तरह, ये प्रोफेशनल्स भारत सरकार की निर्धारित योजनाओं के अनुकूल कार्य भी करते हैं. एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की फील्ड में काम करने वाले प्रोफेशनल्स इंजन, एयरफ्रेम, विंग्स, लैंडिंग गियर, इंस्ट्रूमेंट्स और कंट्रोल सिस्टम का निर्माण और इनकी डिजानिंग का कार्य करते हैं.
ये इंजीनियर्स एयर क्राफ्ट की ताकत, उसकी क्षमता, विश्वसनीयता और विमान तथा उसके अन्य पार्ट्स को लम्बे समय तक टिकाऊ बनाये रखने के लिए समय-समय पर उनका परीक्षण भी कर सकते हैं या फिर अन्य जरुरी निर्देश दे सकते हैं.
एयरोस्पेस इंजीनियर इन इंस्टीट्यूट्स में कर सकते हैं अप्लाई
एयरोस्पेस इंजीनियर आमतौर पर प्रोफेशनल ऑफिस एनवायरमेंट में काम करते हैं. कभी-कभी किसी समस्या वश अगर उनकी आवश्यकता होती है तो वे मेनूफैक्चरिंग और टेस्टिंग फैसिलिटी सेंटर पर भी जाते हैं.
एयरोस्पेस इंजीनियर ज्यादातर सरकारी एजेंसियों और मेन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज में काम करते हैं. इसके अतिरिक्त, कुछ चुनिंदा एयरोस्पेस इंजीनियरों को नासा जैसे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर काम करने के लिए भी चुना जाता है.
वर्तमान में एयरोस्पेस इंजीनियर एयरोडायनेमिक्स के बेसिक कॉन्सेप्ट पर काम कर रहे हैं. साथ ही इनके पास एयरक्राफ्ट पावर प्लांट जैसे टर्बो प्रोप, पिस्टन इंजन और जेट्स के कामकाज के विषय में पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए.
कुछ एयरोस्पेस इंजीनियर राष्ट्रीय रक्षा से संबंधित परियोजनाओं पर काम करते हैं और इसके लिए उन्हें सुरक्षा मंजूरी प्राप्त करनी पड़ती.
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कोर्स के लिए कैसे अप्लाई करें ?
उम्मीदवार अपने आवेदन ऑनलाइन या ऑफ़लाइन दोनों ही तरीकों से जमा कर सकते हैं. वे विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जा कर ऑनलाइन फॉर्म जमा कर सकते हैं या फॉर्म से प्रिंट ले सकते हैं और इसे सही तरीके से भरने के बाद संबंधित पते पर भेज सकते हैं. एडमिशन फॉर्म सम्बद्ध कॉलेज के काऊंटर या फिर पोस्ट के द्वारा भी प्राप्त किया जा सकता है.
भारत में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम्स
ग्रेजुएट लेवल (बीई/ बीटेक) के लिए एंट्रेंस एग्जाम्स
- JEE मेन
- JEE एडवांस्ड
- BITSAT
- SRMJEEE
- VITEEE
- AEEE
- VTUEEE
- एमिटी JEE
- GATE - पोस्टग्रेजुएशन लेवल
भारत में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में रोजगार के अवसर
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग क्षेत्र की नौकरियों में कम से कम इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन डिग्री की आवश्यकता होती है.
कई ऐसे एम्प्लॉयर जो विशेष रूप से जो इंजीनियरिंग कंसल्टिंग सर्विसेज प्रदान करते हैं, उन्हें एक सर्टिफाईड इंजीनियर की आवश्यकता होती है. निम्नलिखित एजेंसियां और संगठन हैं, जो एयरोस्पेस इंजीनियरों को रोजगार प्रदान करते हैं.
- एयरलाइंस
- एयर फ़ोर्स
- सरकारी अनुसंधान
- कॉर्पोरेट अनुसंधान
- हेलीकॉप्टर कंपनियां
- फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट
- रक्षा मंत्रालय
- मिसाइल
- एयरशिप्स
- विमानन कंपनियां
- उपग्रह
- अंतरिक्ष यान
- अंतरिक्ष शिल्प
- अंतरिक्ष यात्री
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